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प्रवासी मजदूरों के लिए ग्रामीण विकास विभाग तैयार, नई योजनाओं से दिया जाएगा रोजगार - Migrant Laborers in Jharkhand

दूसरे राज्य से आ रहे प्रवासी मजदूरों को लेकर ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि उन्हें रोजगार कैसे दिया जाएगा. मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि विभाग के तहत नई योजनाओं को लॉन्च किया जाएगा और मजदूरों का जॉब कार्ड बनाकर रोजगार दिया जाएगा.

workers will be given employment in jharkhand
मंत्री आलमगीर आलम
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Published : May 14, 2020, 6:04 PM IST

Updated : May 14, 2020, 6:24 PM IST

रांची: दूसरे राज्यों से लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की 90 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में बसती है. ऐसे में सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के लिए इन प्रवासी मजदूरों के रोजगार की व्यवस्था करना सबसे बड़ी चुनौती है. सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम ने गुरुवार को ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि यह चुनौती से कम नहीं, लेकिन उन्होंने दावा भी किया कि झारखंड सरकार प्रवासी और स्थानीय मजदूरों को हर हाल में रोजगार से जोड़ेगी और नई योजनाएं शुरू कर उन्हें राहत पहुंचाने में सफल होगी.

प्रवासी को रोजगार देना चुनौती

मनरेगा में 200 दिन का रोजगार

ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम ने स्वीकार करते हुए कहा कि प्रवासी मजदूरों को राज्य में रोजगार से जोड़ना बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि सबसे पहले मनरेगा की शुरुआत की गई और इससे अच्छा रिस्पांस भी मिला है. इसके साथ-साथ सरकार से आग्रह भी किया गया है कि एक सौ दिन की जगह 200 दिन का रोजगार मनरेगा के तहत दिया जाए और मजदूरी को भी 300 रुपए तक किया जाए.

मजदूरों का बनाया जाएगा जॉब कार्ड

नई योजनाएं होंगी लॉन्च

मंत्री ने कहा कि इसके अलावा नई योजनाएं भी लॉन्च की जानी चाहिए ताकि जमीनी स्तर पर काम हो सके और ग्रामीण क्षेत्र का विकास के साथ-साथ लोगों को रोजगार और राहत मिल सके. उन्होंने कहा कि इसके लिए कोशिशें भी की जा रही है. यही वजह है कि 3 नई योजनाएं नीलांबर पीतांबर जल समृद्धि योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना और वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना की शुरुआत की गई है.

केंद्र सरकार के पैकेज से लोग हताश

जल संचय पहला लक्ष्य

उन्होंने इन नई योजनाओं का मकसद बताते हुए कहा कि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सके. हमारा ग्रामीण क्षेत्र कृषि पर ज्यादा निर्भर है. ऐसे में अगर किसानों को 12 महीने पानी दी जा सके तो किसान आत्मनिर्भर हो सकते हैं. ऐसे में जल संचय करना पहला लक्ष्य है और इस पर काम शुरू हो गया है. वहीं, वर्तमान में लगभग सवा तीन लाख मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार भी मुहैया कराया गया है. इसके साथ ही प्रखंड और पंचायत तक जाने का प्रयास किया जा रहा है, जहां वृक्षारोपण की योजना है और सरकारी और गैर सरकारी जमीन में वृक्षारोपण किए जाने की तैयारी चल रही है.

प्रवासी मजदूरों का जॉब कार्ड

आलमगीर आलम ने कहा कि अभी प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला जारी है और आने वाले एक महीने तक यह जारी रहेगा. ऐसे में आने वाले समय में जैसे-जैसे प्रवासी मजदूर आएंगे. उनके लिए रोजगार की व्यवस्था की जाएगी. फिलहाल जो प्रवासी मजदूर आ रहे हैं. उन्हें 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है. उसके बाद उनका जॉब कार्ड पंचायत और ब्लॉक स्तर पर बनाया जा रहा है, जिसमें अभी थोड़ा वक्त लगेगा.

मजदूरों को रोजगार

मंत्री ने कहा कि इस दौरान नई योजनाएं शुरू की जाएंगी और रोजगार मुहैया कराया जाएगा. हालांकि, उन्होंने कहा कि बरसात की वजह से 2 महीने परेशानी हो सकती है, लेकिन जो सरकार का प्लान है उसके तहत प्रवासी मजदूरों को काम दिया जाएगा. इसके साथ ही हुनरमंद प्रवासी मजदूरों का सर्वेक्षण किया जा रहा है और उन्हें चिन्हित कर रोजगार दिए जाने की भी तैयारी चल रही है.

महिला समूह को आठ हजार रुपए

वहीं, उन्होंने वर्ल्ड बैंक से मिलने वाले आर्थिक मदद को लेकर कहा कि 1,20,000 महिला किसान की समूह को 8-8 हजार रुपए देने की तैयारी चल रही है. इसके साथ ही उच्च किस्म के खाद और बीज समेत कृषि संबंधित मामलों में इस राशि का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि दूध और अंडा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी काम किया जाएगा. क्योंकि लॉकडाउन की वजह से इसका उत्पादन ठप पड़ गया था, लेकिन 3-4 महीने में इसके उत्पादन क्षमता बढ़ाते हुए इसे जीवित किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में भीषण सड़क हादसा : यूपी के 8 मजदूरों की मौत, 50 घायल

केंद्र सरकार से लोग हताश और निराश

केंद्र सरकार के आर्थिक पैकेज को लेकर मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि झारखंड के लोगों को जो आशा थी. वह इस पैकेज में नहीं दिखी है. उन्होंने कहा कि उम्मीद थी कि इस पैकेज से यहां के लोगों को रोजगार और राहत मिलेगी, लेकिन वित्त मंत्री के ब्रीफिंग के बाद यहां के लोग हताश और निराश हैं. उन्होंने कहा कि किसानों को लेकर कोई भी योजना सामने नहीं रखी गई है बल्कि जो आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई. उसमें पहले ही किए गए खर्च को सामने रखा गया. ऐसे में अब देखना होगा कि ग्रामीण क्षेत्र के लिए क्या कुछ योजनाएं बची हैं.

रांची: दूसरे राज्यों से लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की 90 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में बसती है. ऐसे में सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के लिए इन प्रवासी मजदूरों के रोजगार की व्यवस्था करना सबसे बड़ी चुनौती है. सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम ने गुरुवार को ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि यह चुनौती से कम नहीं, लेकिन उन्होंने दावा भी किया कि झारखंड सरकार प्रवासी और स्थानीय मजदूरों को हर हाल में रोजगार से जोड़ेगी और नई योजनाएं शुरू कर उन्हें राहत पहुंचाने में सफल होगी.

प्रवासी को रोजगार देना चुनौती

मनरेगा में 200 दिन का रोजगार

ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम ने स्वीकार करते हुए कहा कि प्रवासी मजदूरों को राज्य में रोजगार से जोड़ना बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि सबसे पहले मनरेगा की शुरुआत की गई और इससे अच्छा रिस्पांस भी मिला है. इसके साथ-साथ सरकार से आग्रह भी किया गया है कि एक सौ दिन की जगह 200 दिन का रोजगार मनरेगा के तहत दिया जाए और मजदूरी को भी 300 रुपए तक किया जाए.

मजदूरों का बनाया जाएगा जॉब कार्ड

नई योजनाएं होंगी लॉन्च

मंत्री ने कहा कि इसके अलावा नई योजनाएं भी लॉन्च की जानी चाहिए ताकि जमीनी स्तर पर काम हो सके और ग्रामीण क्षेत्र का विकास के साथ-साथ लोगों को रोजगार और राहत मिल सके. उन्होंने कहा कि इसके लिए कोशिशें भी की जा रही है. यही वजह है कि 3 नई योजनाएं नीलांबर पीतांबर जल समृद्धि योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना और वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना की शुरुआत की गई है.

केंद्र सरकार के पैकेज से लोग हताश

जल संचय पहला लक्ष्य

उन्होंने इन नई योजनाओं का मकसद बताते हुए कहा कि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सके. हमारा ग्रामीण क्षेत्र कृषि पर ज्यादा निर्भर है. ऐसे में अगर किसानों को 12 महीने पानी दी जा सके तो किसान आत्मनिर्भर हो सकते हैं. ऐसे में जल संचय करना पहला लक्ष्य है और इस पर काम शुरू हो गया है. वहीं, वर्तमान में लगभग सवा तीन लाख मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार भी मुहैया कराया गया है. इसके साथ ही प्रखंड और पंचायत तक जाने का प्रयास किया जा रहा है, जहां वृक्षारोपण की योजना है और सरकारी और गैर सरकारी जमीन में वृक्षारोपण किए जाने की तैयारी चल रही है.

प्रवासी मजदूरों का जॉब कार्ड

आलमगीर आलम ने कहा कि अभी प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला जारी है और आने वाले एक महीने तक यह जारी रहेगा. ऐसे में आने वाले समय में जैसे-जैसे प्रवासी मजदूर आएंगे. उनके लिए रोजगार की व्यवस्था की जाएगी. फिलहाल जो प्रवासी मजदूर आ रहे हैं. उन्हें 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है. उसके बाद उनका जॉब कार्ड पंचायत और ब्लॉक स्तर पर बनाया जा रहा है, जिसमें अभी थोड़ा वक्त लगेगा.

मजदूरों को रोजगार

मंत्री ने कहा कि इस दौरान नई योजनाएं शुरू की जाएंगी और रोजगार मुहैया कराया जाएगा. हालांकि, उन्होंने कहा कि बरसात की वजह से 2 महीने परेशानी हो सकती है, लेकिन जो सरकार का प्लान है उसके तहत प्रवासी मजदूरों को काम दिया जाएगा. इसके साथ ही हुनरमंद प्रवासी मजदूरों का सर्वेक्षण किया जा रहा है और उन्हें चिन्हित कर रोजगार दिए जाने की भी तैयारी चल रही है.

महिला समूह को आठ हजार रुपए

वहीं, उन्होंने वर्ल्ड बैंक से मिलने वाले आर्थिक मदद को लेकर कहा कि 1,20,000 महिला किसान की समूह को 8-8 हजार रुपए देने की तैयारी चल रही है. इसके साथ ही उच्च किस्म के खाद और बीज समेत कृषि संबंधित मामलों में इस राशि का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि दूध और अंडा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी काम किया जाएगा. क्योंकि लॉकडाउन की वजह से इसका उत्पादन ठप पड़ गया था, लेकिन 3-4 महीने में इसके उत्पादन क्षमता बढ़ाते हुए इसे जीवित किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में भीषण सड़क हादसा : यूपी के 8 मजदूरों की मौत, 50 घायल

केंद्र सरकार से लोग हताश और निराश

केंद्र सरकार के आर्थिक पैकेज को लेकर मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि झारखंड के लोगों को जो आशा थी. वह इस पैकेज में नहीं दिखी है. उन्होंने कहा कि उम्मीद थी कि इस पैकेज से यहां के लोगों को रोजगार और राहत मिलेगी, लेकिन वित्त मंत्री के ब्रीफिंग के बाद यहां के लोग हताश और निराश हैं. उन्होंने कहा कि किसानों को लेकर कोई भी योजना सामने नहीं रखी गई है बल्कि जो आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई. उसमें पहले ही किए गए खर्च को सामने रखा गया. ऐसे में अब देखना होगा कि ग्रामीण क्षेत्र के लिए क्या कुछ योजनाएं बची हैं.

Last Updated : May 14, 2020, 6:24 PM IST
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