रांचीः झारखंड बचाओ अभियान की ओर से झारखंड रूपरेखा प्राकृतिक सौंदर्य संस्कृति अस्मिता को बचाने के उद्देश्य से 10 मार्च को राजभवन के पास एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है. धरना प्रदर्शन के तत्पश्चात राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को झारखंड के विषय वस्तु को लेकर ज्ञापन सौंपने का कार्य किया जाएगा. इसको लेकर झारखंड बचाओ अभियान एक मुहिम है. संगठन की ओर से संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें झारखंड आंदोलनकारी बुद्धिजीवी और पूर्व विधायक गण मौजूद रहे.
झारखंड बचाओ अभियान की माने तो पिछले 5 वर्षों से झारखंड बचाने की मुहिम के तहत झारखंड की अस्मिता और पहचान लोगों में बनी रहे इसको लेकर संघर्ष जारी है. उनकी माने तो झारखंडी अस्मिता और पहचान की रक्षा के लिए तमाम सवालों को वैचारिक धरातल पर उतारने की मुहिम जारी है. इस मुहिम को झारखंड आंदोलनकारियों ने शुरू किया और आने वाले पीढ़ी को झारखंड की रक्षा सुनिश्चित करने को लेकर सशक्त और जागरूक कर रही है. झारखंड को भ्रष्ट शासन से मुक्त करना, झारखंड में एक उत्तरदायी सरकार की स्थापित करना ताकि संघर्षशील झारखंडी जनता की आशाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप प्रगतिशील झारखंड का निर्माण किया जा सके. यह मुहिम लगातार जारी है.
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वहीं, झारखंड बचाओ अभियान के जरिए बताया गया कि झारखंड की तमाम ज्वलंत मुद्दों को लेकर आगामी 14 से 16 अप्रैल को रांची में झारखंड वैचारिक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. यह सम्मेलन राज्यस्तरीय नहीं बल्कि हमारी ऐतिहासिक सांस्कृतिक भौतिक सीमा के अंदर बिहार, बंगाल, उड़ीसा और झारखंड प्रदेश में रहने वाले आदिवासियों, अनमोल वासियों के साथ मिलकर किया जाना सुनिश्चित किया गया है. इस सम्मेलन में संपूर्ण संस्कृति सीमा क्षेत्र के 1000 प्रतिनिधि शामिल होंगे. तीन दिवसीय सम्मेलन में सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक शैक्षणिक विषयों पर परिचर्चा और शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे.
झारखंड अलग होने की जो परिकल्पना की गई थी वह शायद आज अधूरी रह गई है. झारखंड की संस्कृति, सांस्कृतिक धरोहर, वेशभूषा अस्मिता आज समाप्त होती जा रही है और इसे बचाए रखने के उद्देश्य से झारखंड बचाओ अभियान लगातार संघर्ष कर रही है ताकि झारखंड की संस्कृति अस्मिता सभ्यता बरकरार रहे.