रांची: सोमवार शाम पांच बजे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए यह घोषणा की कि अब 18 से 44 वर्ष के आयु वर्ग को भी केंद्र सरकार की तरफ से मुफ्त में कोरोना टीका मुहैया कराया जाएगा. केंद्र सरकार की इस घोषणा के बाद राज्यों में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई.
झारखंड में भी प्रधानमंत्री के इस फैसले का कुछ राजनीतिक पार्टियों ने समर्थन किया तो वहीं विपक्ष और राज्य सरकार में शामिल पार्टियों के नेताओं ने प्रधानमंत्री के इस फैसले को दबाव में लिया गया फैसला बताया.
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राज्य सरकार में शामिल झारखंड इकाई की भाकपा माले नेता बी केवट ने कहा कि कुछ दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय की ओर से केंद्र सरकार को यह निर्देश दिए गए थे कि राज्यों को टीका मुफ्त में मुहैया भारत सरकार की ओर से कराया जाए, जिसके बाद भारत सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद यह फैसला लिया है.
उन्होंने प्रधानमंत्री की ओर से की गई घोषणा पर कहा कि यह फैसला लेने में इतनी देर क्यों की गई, जबकि वैक्सीनेशन सबसे ज्यादा जरूरी था. इसी वजह से ज्यादातर लोग मर रहे थे. इसके बावजूद भी सरकार ने इतने अहम फैसले को लेने में काफी समय लगा दिया, जो कि सरकार की संवेदनहीनता को दिखाता है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अजय कुमार सिंह बताते हैं प्रधानमंत्री का यह फैसला निश्चित रूप से स्वागत योग्य है, लेकिन प्रधानमंत्री इस फैसले को लेने में काफी समय लगा चुके हैं. क्योंकि राज्य सरकार और विपक्ष की तरफ से इसकी मांग लगातार की जा रही थी.
इसके बाद सरकार ने यह फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि इस फैसले से केंद्र सरकार को अपनी पीठ थपथपाने की जरूरत नहीं है. क्योंकि यह फैसला लेने में सरकार ने काफी देर लगा दी. जबकि सरकार को लोगों की जान बचाने के लिए यह फैसला और भी पहले लेना चाहिए, जिससे कि आज कई लोग हमारे बीच से जुदा नहीं होते.
सरकार में शामिल जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता श्रवण कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी के फैसले का स्वागत किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि जिस तरह से निजी अस्पतालों में टीका लगाने की दर महज 150 रुपये तय की है वह भी एक बेहतर कदम है. क्योंकि झारखंड में आज भी ज्यादातर लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं.
गौरतलब है कि झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता मुफ्त में टीका मुहैया कराने के लिए लगातार केंद्र सरकार से अपील कर रहे थे. अब जब केंद्र सरकार ने मुफ्त में टीका मुहैया करा दिया है तो अब केंद्र सरकार और भाजपा विरोधी नेताओं की ओर से बयानबाजी शुरू हो गई है.