रांची: झारखंड सरकार की पहल पर राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस यानी रिम्स के ट्रामा सेंटर में एक खास मशीन स्थापित की गई है. यह बिहार और झारखंड में अब तक की सबसे एडवांस सीटी स्कैन मशीन है. इस मशीन को जर्मनी से मंगाया गया है. 10 साल के मेंटेनेंस कॉस्ट को जोड़ दें तो इस मशीन की कीमत 10 करोड़ रुपए से ज्यादा हैं. ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने रिम्स ट्रॉमा सेंटर के हेड डॉ प्रदीप भट्टाचार्य और रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर नवीन से इस मशीन की खासियत के बारे में बातचीत की.
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256 स्लाइस सीटी मशीन की खासियत
डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि यह मशीन गंभीर बीमारियों के जांच में मील का पत्थर साबित होगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और रिम्स के डायरेक्टर डॉक्टर कामेश्वर प्रसाद की पहल पर इस मशीन की खरीददारी हो पाई है. इस मशीन के रिपोर्ट के आधार पर रिसर्च में भी मदद मिलेगी. इसके जरिए हार्ट ब्लॉकेज की 3डी तस्वीर सामने आ जाएगी.
अबतक हार्ट ब्लॉकेज का पता लगाने के लिए इनवेसिव इमेजिंग टेक्निक के जरिए एंजियोग्राफी होती थी. इस दौरान मरीजों को तकलीफ भी होती थी. लेकिन सीटी एंजियोग्राफी के दौरान मरीज को किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं उठानी पड़ेगी. आमतौर पर हार्ट में कुछ प्रॉब्लम की शिकायत के बाद भी लोग एंजियोग्राफी से बचने की कोशिश करते हैं. जिसकी वजह से आगे चलकर बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है.
अक्टूबर से मिलेगी मरीजों को सुविधा
रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में पदस्थापित रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर नवीन कुमार ने बताया कि फिलहाल सिटी एंजियोग्राफी के लिए झारखंड के लोग कोलकाता या दिल्ली जाया करते थे. लेकिन अब लोगों को यह सुविधा रांची में ही मिलने लगेगी. उन्होंने कहा कि यह 256 स्लाइस वाली सिटी मशीन है. यह बिहार- झारखंड की अब तक की सबसे एडवांस मशीन है.
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रिम्स के ट्रामा सेंटर में इस अत्याधुनिक मशीन को इंस्टॉल कर दिया गया है. अब सिर्फ एटॉमिक एनर्जी रिसर्च बोर्ड की तरफ से परमिशन मिलने का इंतजार है. उन्होंने उम्मीद जताई कि अक्टूबर महीने से मरीजों को इसकी सुविधा मिलने लगेगी.