रांचीः झारखंड बीजेपी पहली बार आदिवासी रैली करने जा रही है. 5 जून को रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित होनेवाले इस महारैली को लेकर बीजेपी प्रदेश कार्यालय से लेकर कार्यक्रम स्थल तक लगातार बैठकों का दौर जारी है. महारैली को सफल बनाने को लेकर बीजेपी के एक-एक नेता तैयारी में जुटे हैं.
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झारखंड में ट्रायवल वोट पर हमेशा राजनीति होती रही है. प्रत्येक दल का फोकस आदिवासी समुदाय के इर्द गिर्द रहता है. 2019 के विधानसभा चुनाव में ट्रायवल वोट की बेरुखी का खामियाजा बीजेपी उठा चूकी है. इस वजह से लगातार ट्रायवल को फोकस कर बीजेपी कार्यक्रम आयोजित करती है. यही वजह है कि मिशन 2024 को ध्यान में रखकर बीजेपी झारखंड में पहली बार आदिवासी रैली करने जा रही है.
गुरुवार को प्रदेश बीजेपी कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, आदित्य साहू सहित कई भाजपा नेता शामिल हुए. बैठक में आदिवासी रैली की तैयारी की समीक्षा की गई. इसके साथ ही रैली को सलफ बनाने को लेकर रणनीति तैयार किया गया. बैठक के बाद दीपक प्रकाश ने मोरहाबादी मैदान स्थित कार्यक्रम स्थल का जायजा लिया. कार्यक्रम स्थल पर कार्यकर्ताओं को बैठने की व्यवस्था और मंच की व्यवस्था बेहतर करने को लेकर संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह के साथ विचार विमर्श किया गया.
इस महारैली में हजारों लोगों के बैठने की व्यवस्था की जा रही है. इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि 5 जून को रांची में विशाल आदिवासी महारैली का आयोजन किया जा रहा है. इस महारैली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने आदिवासी समाज के लिए अलग से जनजाति मंत्रालय और जनजाति आयोग का गठन कर मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी की ओर से आदिवासियों के लिए किए गए कार्यो को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदिवासी समाज के हित के लिए कई ऐसे ऐतिहासिक कार्य किये हैं.
आदिवासी रैली के बहाने जनजातियों के बीच पकड़ मजबूत करने में जुटे भाजपा कार्यकर्ताओं का मानना है कि इसका दूरगामी प्रभाव झारखंड की राजनीति पर पड़ेगी. अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद समीर उरांव ने कहा कि रांची में होने वाले आदिवासी महारैली भव्य और ऐतिहासिक होगा. उन्होंने कहा कि इस महारैली में विभिन्न आदिवासी समाज अपने-अपने आदिवासी परिधान, पारंपरिक वाद्य यंत्र जैसे नगाड़ा, मांदर, नृत्य मंडली, विभिन्न खोड़हा के टोली के साथ शामिल होंगे.