रांचीः झारखंड में प्रमुख विपक्षी दल के रुप में हैसियत रखने वाली बीजेपी के लिए गुजरा हुआ साल काफी उतार चढ़ाव और चुनौतियों से भरा रहा. कोरोना से झारखंड बीजेपी के कई नेताओं की मौत हो गयी. कोरोना के कारण झारखंड भाजपा ने अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा सहित कई छोटे बड़े नेताओं को खो दिया. वहीं इस साल पार्टी के कई कार्यकर्ता अपराधियों के निशाने पर रहे.
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साल 2021 में झारखंड बीजेपी की प्रमुख गतिविधियां (Activities of Jharkhand BJP In Year 2021) रहीं, जिसने प्रदेश की सियासत को प्रभावित किया. कोरोना और पार्टी सदस्यों को खोने के बीच पार्टी ने संगठन मजबूती और कोरोना संक्रमण से जूझ रहे लोगों तक राहत सहायता पहुंचाने में लगी रही. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान झारखंड बीजेपी ने सेवा ही संगठन को जीवंत बनाकर काम करने में जुटी रही.
महिला सशक्तिकरण पर जोर
भाजपा केंद्रीय नेतृत्व द्वारा प्रदेश ईकाई को सशक्त करने के लिए जहां कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण से लेकर संगठन के अंदर कई नेताओं को विशेष जिम्मेदारी दी गयी. झारखंड बीजेपी में महिलाओं को जगह मिली. पार्टी के अंदर महिला सशक्तिकरण पर जोर देते हुए अन्नपूर्णा देवी, आशा लकड़ा सहित कई महिला नेताओं को प्रमोट किया गया. अन्नपूर्णा देवी केंद्रीय मंत्री के रुप में स्थान बनाने में सफल रहीं तो वहीं आशा लकड़ा पार्टी की राष्ट्रीय सचिव बनाई गयीं. इसके अलावा झारखंड बीजेपी के कई नेताओं को केंद्र सरकार के उपक्रम में महत्वपूर्ण पद पर मनोनीत किया गया. झारखंड बीजेपी नेताओं को केंद्र में जिम्मेदारी मिली. ऐसे नेताओं का संगठन और केंद्रीय स्तर पर उनका कद बढ़ा है.
प्रखर विपक्ष के किरदार में झारखंड बीजेपी
प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश के नेतृत्व में झारखंड बीजेपी द्वारा कार्यक्रम के जरिए सालभर संगठन की गतिविधि बनी रही. झारखंड भाजपा ने हेमंत सरकार का विरोध किया. सरकार को सदन से लेकर सड़क तक कई मुद्दों पर पार्टी प्रमुखता से घेरती रही. रूपा तिर्की केस, विधानसभा में नमाज कक्ष या पेट्रोल डीजल पर वैट कम करने की मांग भाजपा कार्यकर्ता आंदोलित होते दिखे. जेपीएससी के मुद्दे पर सदन में भाजपा विधायक मनीष जायसवाल को शीतकालीन सत्र के दौरान बेल में आकर प्रोसिडिंग फाड़ने के कारण निलंबित होना पड़ा. हालांकि बाद में स्पीकर ने उन्हें माफ भी कर दिया. कई मुद्दों को लेकर झारखंड बीजेपी का आंदोलन लगातार जारी रहा और आगे भी जारी रहेगा.
लेकिन इन सबके बीच नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर भाजपा का दवाब सरकार के समक्ष असफल रहा. बाबूलाल मरांडी का भले ही संगठन के अंदर कद बढ़ा मगर सत्र के दौरान वो हमेशा सदन में निर्दलीय की भूमिका में यूं ही बैठे रहे. पूर्व सीएम रघुवर दास का संगठन के अंदर छवि बनी रही. बतौर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास संगठन मजबूती के लिए संथाल पर फोकस करते दिखे. सीएम हेमंत सोरेन को अक्षम बताते हुए जेएमएम से बसंत सोरेन को सीएम बनाने संबंधी रघुवर दास का बयान सुर्खियों में रही.
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दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा अपने क्षेत्र खूंटी पर फोकस करने के अलावा मंत्रालय पर ध्यान देते दिखे. पश्चिम बंगाल चुनाव में भी झारखंड बीजेपी के कई नेताओं को खास जिम्मेदारी दी गयी. रांची सांसद संजय सेठ पीएम मोदी के बंगाल में चुनावी कार्यक्रम को सफल बनाने में जुटे दिखे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी की चुनावी नैया पार लगाने के लिए झारखंड भाजपा के 100 से ज्यादा कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश में कैंप कर रहे हैं. चुनावी प्रबंधन के लिए माहिर माने जाने वाले झारखंड बीजेपी के संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह उत्तर प्रदेश के चुनावी समर में कई महीनों से हैं. बहरहाल खट्टे मिठे अनुभवों के साथ झारखंड बीजेपी साल 2021 में संघर्ष और संगठन मजबूती को केंद्रित कर भविष्य को संवारने में लगी है.