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क्या झारखंड विधानसभा चुनाव में इरफान अंसारी ने 15 साल पुराना बदला लिया सीता सोरेन से! जानिए क्या है इससे जुड़ी कहानी

झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद कई सीटों पर जीत-हार की समीक्षा हो रही है. जिसमें जामताड़ा सीट का परिणाम काफी चर्चा में है.

Irfan Ansari Took Revenge From Sita
इरफान अंसारी, सीता सोरेन, दुर्गा सोरेन और फुरकान अंसारी. (कोलाज इमेज-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 2 hours ago

गोड्डा: जामताड़ा विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी इरफान अंसारी ने भाजपा उम्मीदवार सीता सोरेन 43676 वोटों से हरा दिया. इरफान अंसारी को कुल 133266 वोट मिले और सीता सोरेन को 89590 मत मिले. चुनाव परिणाम के बाद संथाल परगना में चर्चा हो रही है. कई लोगों का कहना है कि इरफान अंसारी ने सीता सोरेन को हराकर पंद्रह साल पुराना हिसाब चुकता किया है. लोगों का कहना है कि इरफान अंसारी ने अपने पिता फुरकान अंसारी की हार का बदला सीता सोरेन से लिया है.

दरअसल, वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और झामुमो गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे थे. गोड्डा लोकसभा सीट कांग्रेस के हिस्से में आयी थी. इस सीट से तत्कालीन सीटिंग सांसद फुरकान अंसारी चुनाव लड़ रहे थे. नामांकन का आखिरी दिन था और बस कुछ मिनट ही शेष रह गए थे. इसी क्रम में अचानक झामुमो उम्मीदवार के रूप में सीता सोरेन के पति दुर्गा सोरेन ने गोड्डा सीट से नामांकन कर दिया, जो गठबंधन धर्म के विपरीत था.

शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन के इस कदम का असर यह हुआ कि बिना किसी प्रचार के दुर्गा सोरेन को लगभग 90 हजार मत मिल गए और फुरकान अंसारी 6000 मतों से भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे से चुनाव हार गए. इसके बाद फुरकान अंसारी कभी लोकसभा चुनाव जीत नहीं पाए. कमोबेश वे राजनीतिक रूप से हाशिए पर चले गए. इससे पूर्व फुरकान अंसारी 1982, 1985, 1990, 1995 और 2000 में जामताड़ा से लगातार पांच बार विधायक रहे थे. फिर 2005 में गोड्डा लोकसभा से सांसद बने.

वहीं इस संबंध में पत्रकार हेमचंद बताते हैं कि उस वक्त दुर्गा सोरेन ने फुरकान अंसारी से अपनी राजनीतिक दुश्मनी साधी थी. जबकि इसके लिए गुरुजी शिबू सोरेन तैयार नहीं थे. वहीं दुर्गा सोरेन के बारे कई मंच से गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे कहते रहे हैं दुर्गा सोरेन उनके मित्र थे. उन्होंने दुर्गा सोरेन की दिल्ली में मदद की थी. संभवतः इसी दोस्ती को दुर्गा सोरेन ने 2009 के लोकसभा चुनाव में निभाया.

अब सवाल यह है कि दुर्गा सोरेन ने फुरकान से दुश्मनी निभाई या फिर निशिकांत से दोस्ती. दोनों ही हाल में नुकसान फुरकान अंसारी को उठाना पड़ा. इतना ही नहीं सांसद निशिकांत दुबे एक ओर हेमंत सोरेन पर राजनीतिक रूप से हमलावर रहे तो दूसरी ओर दुर्गा सोरेन कि असामयिक मौत की सीबीआई जांच कि मांग करते रहे हैं.

वहीं 2024 के विधानसभा चुनाव में जामताड़ा विधानसभा सीट से फुरकान अंसारी के बेटे इरफान अंसारी चुनावी अखाड़े में तीसरी जीत दर्ज की है. इस बार भाजपा ने दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन को जामताड़ा से टिकट दिया था. पूरे चुनाव के दौरान इरफान अंसारी और सीता सोरेन दोनों के बीच जुबानी जंग भी खूब चली और दोनों ने एक-दूसरे से तीखे हमले किए. इनके बयान भी मीडिया में सुर्खियों में रही.

23 नवंबर को चुनाव परिणाम आ गया. इरफान अंसारी ने सीता सोरेन को बड़े अंतर से हरा दिया है. इसके बाद से ही चर्चा है कि इरफान अंसारी ने अपने पिता फुरकान अंसारी की हार का बदला दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन से ले लिया है. इस तरह सीता सोरेन भाजपा में जाने के बाद पहले दुमका से लोकसभा का चुनाव हार गईं थी और अब जामताड़ा से विधानसभा चुनाव हार कर राजनीतिक रूप से हाशिए पर चली गई हैं.

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दरअसल, वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और झामुमो गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे थे. गोड्डा लोकसभा सीट कांग्रेस के हिस्से में आयी थी. इस सीट से तत्कालीन सीटिंग सांसद फुरकान अंसारी चुनाव लड़ रहे थे. नामांकन का आखिरी दिन था और बस कुछ मिनट ही शेष रह गए थे. इसी क्रम में अचानक झामुमो उम्मीदवार के रूप में सीता सोरेन के पति दुर्गा सोरेन ने गोड्डा सीट से नामांकन कर दिया, जो गठबंधन धर्म के विपरीत था.

शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन के इस कदम का असर यह हुआ कि बिना किसी प्रचार के दुर्गा सोरेन को लगभग 90 हजार मत मिल गए और फुरकान अंसारी 6000 मतों से भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे से चुनाव हार गए. इसके बाद फुरकान अंसारी कभी लोकसभा चुनाव जीत नहीं पाए. कमोबेश वे राजनीतिक रूप से हाशिए पर चले गए. इससे पूर्व फुरकान अंसारी 1982, 1985, 1990, 1995 और 2000 में जामताड़ा से लगातार पांच बार विधायक रहे थे. फिर 2005 में गोड्डा लोकसभा से सांसद बने.

वहीं इस संबंध में पत्रकार हेमचंद बताते हैं कि उस वक्त दुर्गा सोरेन ने फुरकान अंसारी से अपनी राजनीतिक दुश्मनी साधी थी. जबकि इसके लिए गुरुजी शिबू सोरेन तैयार नहीं थे. वहीं दुर्गा सोरेन के बारे कई मंच से गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे कहते रहे हैं दुर्गा सोरेन उनके मित्र थे. उन्होंने दुर्गा सोरेन की दिल्ली में मदद की थी. संभवतः इसी दोस्ती को दुर्गा सोरेन ने 2009 के लोकसभा चुनाव में निभाया.

अब सवाल यह है कि दुर्गा सोरेन ने फुरकान से दुश्मनी निभाई या फिर निशिकांत से दोस्ती. दोनों ही हाल में नुकसान फुरकान अंसारी को उठाना पड़ा. इतना ही नहीं सांसद निशिकांत दुबे एक ओर हेमंत सोरेन पर राजनीतिक रूप से हमलावर रहे तो दूसरी ओर दुर्गा सोरेन कि असामयिक मौत की सीबीआई जांच कि मांग करते रहे हैं.

वहीं 2024 के विधानसभा चुनाव में जामताड़ा विधानसभा सीट से फुरकान अंसारी के बेटे इरफान अंसारी चुनावी अखाड़े में तीसरी जीत दर्ज की है. इस बार भाजपा ने दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन को जामताड़ा से टिकट दिया था. पूरे चुनाव के दौरान इरफान अंसारी और सीता सोरेन दोनों के बीच जुबानी जंग भी खूब चली और दोनों ने एक-दूसरे से तीखे हमले किए. इनके बयान भी मीडिया में सुर्खियों में रही.

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