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कैसे होगा कोरोना मुक्त झारखंड! 79 लाख लोगों ने अब तक नहीं लिया पहला डोज

झारखंड में कोरोना वैक्सीनेशन के प्रति लोगों में जागरूकता की कमी देखी जा रही है. राज्य में करीब 79 लाख 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों ने अभी तक वैक्सीन का पहला डोज नहीं लिया है. वहीं राज्य में 18 प्लस की कुल आबादी का महज 30% यानी करीब 72 लाख 99 हजार 093 लोगों ने ही वैक्सीन का दूसरा डोज लिया है.

first dose of corona vaccine
झारखंड में वैक्सीनेशन
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Published : Nov 25, 2021, 7:52 PM IST

रांची: झारखंड देश के उन राज्यों में से एक है जहां बड़ी संख्या में लोगों ने अभी तक कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन का पहला डोज भी नहीं लिया है. 24 नवंबर तक के सरकारी आंकड़ों के अनुसार झारखंड में करीब 79 लाख 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों ने अभी तक वैक्सीन का पहला डोज नहीं लिया है. यह वैक्सीन के लिए लक्षित 18 प्लस की आबादी का 32% के करीब है.

इसे भी पढे़ं: RAT किट की गुणवत्ता की जांच करेगा रिम्स, रांची से सीएस ने कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पर उठाए थे सवाल


वहीं राज्य में दूसरा डोज लेने वालों की स्थिति और भी खराब है. राज्य में 18 प्लस की कुल आबादी का महज 30% यानी करीब 72 लाख 99 हजार 093 लोगों ने ही वैक्सीन का दूसरा डोज लिया है.

देखें पूरी खबर

धीमी गति से चल रहा वैक्सीनेशन


झारखंड में अभी भी (24 नवम्बर तक) 78 लाख 91 हजार 714 लोग ऐसे हैं जो 18 साल या उससे अधिक उम्र के हैं. ऐसे लोगों को अगर 31 दिसम्बर 2021 तक वैक्सीन दे देना है तो हर दिन 02 लाख 13 हजार से अधिक लोगों को वैक्सीन का पहला डोज लगाना होगा. राज्य में पिछले कुछ दिनों का आंकड़ा देखें तो पहला डोज लेने वाले लोगों की संख्या 40 हजार से भी कम है. ऐसे में यह संभव होता नहीं दिखता की वर्ष 2021 के अंतिम दिन तक भी राज्य के सभी 18 प्लस की आबादी को वैक्सीन का पहला डोज भी लग पाए.

लोगों में जागरूकता की कमी


रांची सदर अस्पताल में वैक्सीनेशन के नोडल पदाधिकारी कहते हैं कि लोगों में जागरूकता की कमी है. ऐसे में अब कोशिश की जा रही है कि अस्पताल आने वाले हर व्यक्ति से पूछकर, काउंसिलिंग कर वैक्सीन लगाई जाए. डॉ बिमलेश सिंह ने बताया कि यह कार्य रांची में शुरू हो गया है.

इसे भी पढे़ं: Corona Alert! इलाजरत कोरोना संक्रमित मरीज की मौत, स्वास्थ विभाग में हड़कंप


झारखंड में वैक्सीन की कमी नहीं

पहले झारखंड सरकार वैक्सीन की अनुपलब्धता और उसकी कमी का हवाला देते रहती थी. लेकिन अब राज्य में वैक्सीन की कोई कमी नहीं है. 50 लाख से ज्यादा वैक्सीन अभी राज्य के स्टॉक में है. बावजूद राज्य में हर दिन वैक्सीनेशन अपनी क्षमता (03 लाख टीकाकरण हर दिन ) के मुकाबले मुश्किल से कभी एक से सवा लाख तक होता है. औसत टीकाकरण राज्य में 01 लाख से कम ही है.



टीकाकरण को लेकर लोगों में गंभीरता नहीं


राज्य में कोरोना के खिलाफ सशक्त हथियार होने के बावजूद लोगों में टीकाकरण को लेकर कोई गंभीरता नहीं है. पहले कोरोना वैक्सीन को लेकर मन में उठने वाले कई तरह के सवाल की वजह से लोग टीका लेने से कतराते थे. अब ज्यादातर लोगों ने मान लिया है कि कोरोना वायरस का खात्मा हो गया है. रिम्स कोरोना टास्क फोर्स के कोऑर्डिनेटर डॉ प्रभात ने लोगों के इस सोच को खतरनाक बताया है.


वैक्सीन नहीं लगाने वाले बनाते हैं बहाने

झारखंड में 16 जनवरी से ही कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हुआ था. हेल्थ वर्कर और फ्रंट लाइन वॉरियर्स के बाद बुजुर्गों का भी टीकाकरण शुरू हो गया था. अभी तक वैक्सीन नहीं लगाने वाले लोग पूछने पर अलग-अलग तरह के बहाने बनाते हैं.

रांची: झारखंड देश के उन राज्यों में से एक है जहां बड़ी संख्या में लोगों ने अभी तक कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन का पहला डोज भी नहीं लिया है. 24 नवंबर तक के सरकारी आंकड़ों के अनुसार झारखंड में करीब 79 लाख 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों ने अभी तक वैक्सीन का पहला डोज नहीं लिया है. यह वैक्सीन के लिए लक्षित 18 प्लस की आबादी का 32% के करीब है.

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वहीं राज्य में दूसरा डोज लेने वालों की स्थिति और भी खराब है. राज्य में 18 प्लस की कुल आबादी का महज 30% यानी करीब 72 लाख 99 हजार 093 लोगों ने ही वैक्सीन का दूसरा डोज लिया है.

देखें पूरी खबर

धीमी गति से चल रहा वैक्सीनेशन


झारखंड में अभी भी (24 नवम्बर तक) 78 लाख 91 हजार 714 लोग ऐसे हैं जो 18 साल या उससे अधिक उम्र के हैं. ऐसे लोगों को अगर 31 दिसम्बर 2021 तक वैक्सीन दे देना है तो हर दिन 02 लाख 13 हजार से अधिक लोगों को वैक्सीन का पहला डोज लगाना होगा. राज्य में पिछले कुछ दिनों का आंकड़ा देखें तो पहला डोज लेने वाले लोगों की संख्या 40 हजार से भी कम है. ऐसे में यह संभव होता नहीं दिखता की वर्ष 2021 के अंतिम दिन तक भी राज्य के सभी 18 प्लस की आबादी को वैक्सीन का पहला डोज भी लग पाए.

लोगों में जागरूकता की कमी


रांची सदर अस्पताल में वैक्सीनेशन के नोडल पदाधिकारी कहते हैं कि लोगों में जागरूकता की कमी है. ऐसे में अब कोशिश की जा रही है कि अस्पताल आने वाले हर व्यक्ति से पूछकर, काउंसिलिंग कर वैक्सीन लगाई जाए. डॉ बिमलेश सिंह ने बताया कि यह कार्य रांची में शुरू हो गया है.

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झारखंड में वैक्सीन की कमी नहीं

पहले झारखंड सरकार वैक्सीन की अनुपलब्धता और उसकी कमी का हवाला देते रहती थी. लेकिन अब राज्य में वैक्सीन की कोई कमी नहीं है. 50 लाख से ज्यादा वैक्सीन अभी राज्य के स्टॉक में है. बावजूद राज्य में हर दिन वैक्सीनेशन अपनी क्षमता (03 लाख टीकाकरण हर दिन ) के मुकाबले मुश्किल से कभी एक से सवा लाख तक होता है. औसत टीकाकरण राज्य में 01 लाख से कम ही है.



टीकाकरण को लेकर लोगों में गंभीरता नहीं


राज्य में कोरोना के खिलाफ सशक्त हथियार होने के बावजूद लोगों में टीकाकरण को लेकर कोई गंभीरता नहीं है. पहले कोरोना वैक्सीन को लेकर मन में उठने वाले कई तरह के सवाल की वजह से लोग टीका लेने से कतराते थे. अब ज्यादातर लोगों ने मान लिया है कि कोरोना वायरस का खात्मा हो गया है. रिम्स कोरोना टास्क फोर्स के कोऑर्डिनेटर डॉ प्रभात ने लोगों के इस सोच को खतरनाक बताया है.


वैक्सीन नहीं लगाने वाले बनाते हैं बहाने

झारखंड में 16 जनवरी से ही कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हुआ था. हेल्थ वर्कर और फ्रंट लाइन वॉरियर्स के बाद बुजुर्गों का भी टीकाकरण शुरू हो गया था. अभी तक वैक्सीन नहीं लगाने वाले लोग पूछने पर अलग-अलग तरह के बहाने बनाते हैं.

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