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झारखंड राज्य सहकारी बैंक में 50 लाख का घोटाला, प्राथमिकी दर्ज - कोतवाली थाना रांची

रांची के शहीद चौक स्थित झारखंड राज्य सहकारी बैंक में 50 लाख के घोटाले का मामला सामने आया है. बैंक के वरीय अधिकारियों पर भवन की साज-सज्जा मरम्मत नवीनीकरण और नेटवर्किंग के नाम पर राशि के गबन का आरोप लगाया गया है.

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Published : Feb 1, 2019, 9:13 AM IST

रांची: शहीद चौक स्थित झारखंड राज्य सहकारी बैंक में 50 लाख के घोटाले का मामला सामने आया है. इस मामले में बैंक के महाप्रबंधक सुशील कुमार ने बैंक के पूर्व महाप्रबंधक बृजेश्वर नाथ और वरीय प्रबंधक राजेश तिवारी के खिलाफ रांची के कोतवाली थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई है.

बैंक के वरीय अधिकारियों पर आरोप

प्राथमिकी में बैंक के वरीय अधिकारियों पर भवन की साज-सज्जा मरम्मत नवीनीकरण और नेटवर्किंग के नाम पर राशि के गबन का आरोप लगाया गया है. दर्ज प्राथमिकी के अनुसार जिस ठेकेदार से मरम्मत और नवीनीकरण का काम करवाया गया उसे 49 लाख 77 हजार रुपये की जगह 99 लाख 96,000 रुपये का भुगतान किया गया. इस तरह से 50.19 लाख की राशि का गबन किया गया है.

बिना टेंडर हुआ काम
एफआईआर में तत्कालीन सहकारिता निबंधक श्रवण सहाय की अध्यक्षता में गठित जांच दल की रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया है. इसमें कहा गया है कि साजिश के तहत बैंक के भवन के नवीनीकरण और नेटवर्किंग के नाम पर पहले 73 लाख 29 हजार रुपये के तीन प्राक्कलन तैयार किए गए.

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तीन प्राक्कलन
वहीं, उसके बाद 51 लाख 28 हजार रुपये के तीन प्राक्कलन भी बनाए गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन सीईओ जयदेव सिंह ने इन कामों के लिए टेंडर भी नहीं निकाला. सहकारिता निबंधक विजय कुमार सिंह की ओर से दी गई रिपोर्ट में भी जयदेव सिंह को ही दोषी बताया गया है.

पुलिस मामले की जांच में जुटी
बैंक के द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने के बाद रांची की कोतवाली पुलिस पूरे मामले की छानबीन में जुट गई है. कोतवाली इंस्पेक्टर श्यामानंद मंडल ने बताया कि बैंक के द्वारा प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है. जिसमें पूर्व प्रबंधक को दोषी बताया गया है. इस मामले को लेकर जांच शुरू कर दी गई है.

रांची: शहीद चौक स्थित झारखंड राज्य सहकारी बैंक में 50 लाख के घोटाले का मामला सामने आया है. इस मामले में बैंक के महाप्रबंधक सुशील कुमार ने बैंक के पूर्व महाप्रबंधक बृजेश्वर नाथ और वरीय प्रबंधक राजेश तिवारी के खिलाफ रांची के कोतवाली थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई है.

बैंक के वरीय अधिकारियों पर आरोप

प्राथमिकी में बैंक के वरीय अधिकारियों पर भवन की साज-सज्जा मरम्मत नवीनीकरण और नेटवर्किंग के नाम पर राशि के गबन का आरोप लगाया गया है. दर्ज प्राथमिकी के अनुसार जिस ठेकेदार से मरम्मत और नवीनीकरण का काम करवाया गया उसे 49 लाख 77 हजार रुपये की जगह 99 लाख 96,000 रुपये का भुगतान किया गया. इस तरह से 50.19 लाख की राशि का गबन किया गया है.

बिना टेंडर हुआ काम
एफआईआर में तत्कालीन सहकारिता निबंधक श्रवण सहाय की अध्यक्षता में गठित जांच दल की रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया है. इसमें कहा गया है कि साजिश के तहत बैंक के भवन के नवीनीकरण और नेटवर्किंग के नाम पर पहले 73 लाख 29 हजार रुपये के तीन प्राक्कलन तैयार किए गए.

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तीन प्राक्कलन
वहीं, उसके बाद 51 लाख 28 हजार रुपये के तीन प्राक्कलन भी बनाए गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन सीईओ जयदेव सिंह ने इन कामों के लिए टेंडर भी नहीं निकाला. सहकारिता निबंधक विजय कुमार सिंह की ओर से दी गई रिपोर्ट में भी जयदेव सिंह को ही दोषी बताया गया है.

पुलिस मामले की जांच में जुटी
बैंक के द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने के बाद रांची की कोतवाली पुलिस पूरे मामले की छानबीन में जुट गई है. कोतवाली इंस्पेक्टर श्यामानंद मंडल ने बताया कि बैंक के द्वारा प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है. जिसमें पूर्व प्रबंधक को दोषी बताया गया है. इस मामले को लेकर जांच शुरू कर दी गई है.

Intro:रांची के शहीद चौक स्थित झारखंड राज्य सहकारी बैंक में 50 लाख घोटाला सामने आया है।इस मामले में बैंक के महाप्रबंधक सुशील कुमार ने बैंक के पूर्व महाप्रबंधक बृजेश्वर नाथ और वरीय प्रबंधक राजेश तिवारी के खिलाफ रांची के कोतवाली थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई है।

क्या है मामला

प्राथमिकी में बैंक के वरीय अधिकारियों पर भवन की साज-सज्जा मरम्मत नवीनीकरण और नेटवर्किंग के नाम पर राशि के गबन का आरोप लगाया गया है। दर्ज प्राथमिकी के अनुसार जिस ठेकेदार से मरम्मत और नवीनीकरण का काम करवाया गया उसे 49 लाख 77 हजार रुपए की जगह 99 लाख 96000 रुपए का भुगतान किया गया ।इस तरह से 50.19 लाख की राशि का गबन किया गया है।

बिना टेंडर हुआ काम

एफआईआर में तत्कालीन सहकारिता निबंधक श्रवण सहाय की अध्यक्षता में गठित जांच दल की रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया है ।इसमें कहा गया है कि साजिश के तहत बैंक के भवन के नवीनीकरण और नेटवर्किंग के नाम पर पहले 73 लाख 29 हजार रुपए के तीन प्राक्कलन तैयार किए गए। उसके बाद 51 लाख 28 हजार रुपए के तीन प्राकलन भी बनाए गए ।रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन सीईओ जयदेव सिंह ने इन कामों के लिए टेंडर भी नही निकाला। सहकारिता निबंधक विजय कुमार सिंह की ओर से दी गई रिपोर्ट में भी जयदेव सिंह को ही दोषी बताया गया है।

पुलिस मामले की जांच में जुटी
बैंक के द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने के बाद रांची की कोतवाली पुलिस पूरे मामले की छानबीन में जुट गई है ।कोतवाली इंस्पेक्टर श्यामानंद मंडल ने बताया कि बैंक के द्वारा प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है। जिसमें पूर्व प्रबंधक को दोषी बताया गया है इस मामले को लेकर जांच शुरू कर दी गई है।


(एफआईआर कॉपी मेल पर है )


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