रांची: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने शनिवार को धरोहर श्रृंखला की 19वीं वीडियो सोशल मीडिया पर जारी की है. जिसे प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने जारी पोस्ट को शेयर करने के बाद कहा कि 1915 से 1919 तक के कांग्रेस अधिवेशन ने देश में हिंदू मुस्लिम एकता के जरिए एक बड़े आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
उन्होंने कहा कि आज से ठीक 100 साल पहले आज ही की तरह देश में विकट समस्या थी, महंगाई चरम पर थी, जनता पर अनावश्यक टैक्स का बोझ लाद दिया गया था, महामारी से हजारों लोगों की जानें चली गई थी, अहंकारी ब्रिटिश हुकूमत रोलेट कानून जैसे हथकंडो से देश की आवाज दबा रही थी. 1919 के मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड जैसे सुधारों के नाम पर मताधिकार सीमित कर दिया गया. प्रांतों की शक्तियां कम कर दी गई, कुल मिलाकर ब्रिटिश हुकूमत का मकसद जनता का शोषण करना था.
कांग्रेस विधायक दल नेता आलमगीर आलम ने कहा कि कोलकाता में 1920 के कांग्रेस अधिवेशन में असहयोग कार्यक्रम चलाकर स्वराज की स्थापना तक सरकारी सेवाओं, विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने का निर्णय लेकर अंग्रेजी हुकूमत को कड़ी चेतावनी दी. धरोहर के इस एपिसोड में असहयोग आंदोलन के संघर्ष की कहानी को करीब से समझने की आवश्यकता है.
कांग्रेस मंत्री बादल और बन्ना गुप्ता ने कहा कि गांधी जी के नेतृत्व में चलाया जाने वाला यह प्रथम जन आंदोलन था. इसमें असहयोग और व्यास काल की नीति अपनाई गई. इस आंदोलन का व्यापक जनाधार था. शहरी क्षेत्र से मध्यम वर्ग और ग्रामीण क्षेत्र में किसानों और आदिवासियों का इसे व्यापक समर्थन मिला. इसमें श्रमिक वर्ग की भी भागीदारी थी. इस प्रकार यह प्रथम जन आंदोलन बन गया.
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प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में 4 सितंबर 1920 को पारित हुआ कि जो लोग भारत से उपनिवेशवाद को खत्म करना चाहते हैं. उनसे आग्रह किया गया कि वह स्कूलों कॉलेजों और न्यायालय में न जाएं और कर ना चुकाऐं.