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पलामू में केंद्रीय सहायता से बदलेगी आदिम जनजाति गांव की तस्वीर, शुरू हुआ सर्वे

पलामू में आदिम जनजाति गांव की तस्वीर बदलने के लिए सर्वे शुरू किया गया है. जिसके माध्यम से गांव में मौजूद बुनियादी सुविधाओं का आकलन किया जाएगा. सर्वे के बाद सभी गांव में विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए पहल की जाएगी.

primitive tribal village
आदिम जनजाति गांव
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Published : Jan 10, 2022, 9:24 PM IST

Updated : Jan 10, 2022, 9:32 PM IST

रांची: विशेष केंद्रीय सहायता से पलामू में आदिम जनजाति गांव की तस्वीर बदलने वाली है. पलामू जिला प्रशासन ने आदिम जनजाति गांव का सर्वे शुरू किया है. इस सर्वे के माध्यम से गांव में मौजूद बुनियादी सुविधाओं का आकलन किया जा रहा है. इस आकलन के बाद सभी गांव में कई विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए पहल की जाएगी. पलामू में 72 से अधिक गांव में आदिम जनजाति के परिवार रहते है. केंद्र सरकार ने आदिम जनजातियों को संरक्षक की श्रेणी में रखा है और उन्हें विलुप्ति के कगार पर माना है.

ये भी पढ़ें- Knife Attack In Palamu: पशु चिकित्सक पर चाकू से वार, गंभीर हालत में एमआरएमसीएच रेफर

रामगढ़ प्रखंड के उलडंडा गांव से सर्वे शुरू
पलामू के उप विकास आयुक्त मेघा भारद्वाज ने बताया कि आदिम जनजाति गांव में विकास के काम के लिए सर्वे का काम सबसे पहले रामगढ़ प्रखंड के उलडंडा गांव से शुरू की गई है. उलडंडा जनजाति बहुल गांव है. उप विकास आयुक्त ने बताया कि स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंट (SCA) के माध्यम से इन गांवों में कई विकास योजनाओं को शुरू किया जाएगा. स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंट की राशि को केंद्र सरकार प्रत्येक वर्ष नक्सल प्रभावित इलाकों को देती है. उन्होंने बताया कि गांव में कई योजनाएं शुरू की जाएंगी और आदिम जनजाति परिवार को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए पहल की जाएगी.

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गांव में मूलभूत सुविधा मौजूद नहींपलामू में आदिम जनजाति परिवार के कई गांव में आज भी कोई भी मूलभूत सुविधा मौजूद नहीं है. यहां की आबादी मानव तस्करी का शिकार हो रही है. कई गांव में आदिम जाति के परिवार साक्षर भी नहीं है. स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंट की राशि से आदिम जनजाति गांव में कई योजनाओं को शुरू किया जाना है. जिससे यहां विकास की उम्मीद बढ़ी है.

रांची: विशेष केंद्रीय सहायता से पलामू में आदिम जनजाति गांव की तस्वीर बदलने वाली है. पलामू जिला प्रशासन ने आदिम जनजाति गांव का सर्वे शुरू किया है. इस सर्वे के माध्यम से गांव में मौजूद बुनियादी सुविधाओं का आकलन किया जा रहा है. इस आकलन के बाद सभी गांव में कई विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए पहल की जाएगी. पलामू में 72 से अधिक गांव में आदिम जनजाति के परिवार रहते है. केंद्र सरकार ने आदिम जनजातियों को संरक्षक की श्रेणी में रखा है और उन्हें विलुप्ति के कगार पर माना है.

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रामगढ़ प्रखंड के उलडंडा गांव से सर्वे शुरू
पलामू के उप विकास आयुक्त मेघा भारद्वाज ने बताया कि आदिम जनजाति गांव में विकास के काम के लिए सर्वे का काम सबसे पहले रामगढ़ प्रखंड के उलडंडा गांव से शुरू की गई है. उलडंडा जनजाति बहुल गांव है. उप विकास आयुक्त ने बताया कि स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंट (SCA) के माध्यम से इन गांवों में कई विकास योजनाओं को शुरू किया जाएगा. स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंट की राशि को केंद्र सरकार प्रत्येक वर्ष नक्सल प्रभावित इलाकों को देती है. उन्होंने बताया कि गांव में कई योजनाएं शुरू की जाएंगी और आदिम जनजाति परिवार को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए पहल की जाएगी.

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गांव में मूलभूत सुविधा मौजूद नहींपलामू में आदिम जनजाति परिवार के कई गांव में आज भी कोई भी मूलभूत सुविधा मौजूद नहीं है. यहां की आबादी मानव तस्करी का शिकार हो रही है. कई गांव में आदिम जाति के परिवार साक्षर भी नहीं है. स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंट की राशि से आदिम जनजाति गांव में कई योजनाओं को शुरू किया जाना है. जिससे यहां विकास की उम्मीद बढ़ी है.
Last Updated : Jan 10, 2022, 9:32 PM IST
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