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पलामू का रणः अबकी बार जलेगा लालटेन या खिला रहेगा कमल?

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Published : Apr 4, 2019, 7:52 PM IST

Updated : Apr 4, 2019, 10:22 PM IST

झारखंड में पहले चरण के दौरान पलामू लोकसभा सीट पर चुनाव होना है. इसके लिए कई दैवेदार मैदान में हैं. जहां बीजेपी ने सीटिंग सांसद बीडी राम को फिर से टिकट दिया तो उनके राह में रोड़ा अटकाने के लिए आरजेडी और सीपीआईएल दोनों खड़े हैं.

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रांची/पलामू: 29 अप्रैल को पलामू में वोटिंग होनी है. पलामू झारखंड का एक महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र है. 1967 में इसे अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व किया गया था. यहां की जनता ने पुलिस के पूर्व मुखिया से लेकर पूर्व नक्सली तक को अपना प्रतिनिधि चुना है.पलामू झारखंड के 24 जिलों में से एक अहम जिला है. जो1892 में अस्तित्व में आया. जिले का मुख्यालय मेदिनीनगर (डाल्टेनगंज) है. पलामू का जनसमुदाय मुख्यतः जनजातीय है, जिनमें से प्रमुख हैं खेरवार, चेरो, मुंडा, उरांव, बिरजिया और बिरहोर.

पलामू लोकसभा सीट से अब तक 18 सांसद रह चुके हैं. 1952 में फर्स्ट पास्ट दी पास्ट इलेक्शन पद्धति से चुनाव हुआ था. जिसमें पलामू लोकसभा सीट से दो सांसद चुने गए थे. इस चुनाव में रांची के कुछ क्षेत्र और हजारीबाग के कुछ क्षेत्र को पलामू में मिला दिया गया था. उस दौरान राजेंद्र प्रसाद सिन्हा और जेठन सिंह खरवार सांसद का चुनाव जीते थे. पलामू लोकसभा सीट से सबसे अधिक चार बार कांग्रेस की कमला कुमारी सांसद रही हैं. वो 1967, 1971, 1980 और 1984 में पलामू की सांसद बनीं.

पलामू के अब तक के सांसद
इस सीट पर 1951 और 1957 का चुनाव कांग्रेस के गजेंद्र प्रसाद सिन्हा ने जीत दर्ज की थी. 1962 में स्वतंत्र पार्टी के शशांक मंजरी ने जीत हासिल की. 1967 और 1971 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर कमला कुमार जीती. 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर रामदेनी राम जीतीं. इसके बाद फिर 1980 और 1984 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर कमला कुमारी जीतीं.1989 में जनता दल के टिकट पर जोरावर राम जीते. 1991 में बीजेपी के टिकट पर राम देव राम ने जीत दर्ज की. 1996, 1998 और 1999 के चुनाव में बीजेपी के ब्रज मोहन राम जीतने में कामयाब हुआ. 2004 में इस सीट राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर मनोज कुमार और 2006 के उपचुनाव में उसके ही टिकट पर घुरान राम जीते. 2009 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के कामेश्वर बैठा संसद पहुंचे. फिर मोदी लहर का फायदा 2014 में बीजेपी के विष्णू दयाल राम को मिला और वो संसद पहुंचे.

ये भी पढे़ं-लोहरदगा का रणः क्या सुखदेव का 'हाथ' इस बार रोकेगा सुदर्शन का 'चक्र'

1962 के चुनाव में पलामू के लोगों ने देखा था पहली बार हेलीकॉप्टर
1962 के लोकसभा चुनाव में पलामू के लोगों ने पहली बार हेलीकॉप्टर को देखा था. उस चुनाव में हजारीबाग रामगढ़ की राजमाता शशांक मंजरी ने चुनाव के दौरान हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया था. राजमाता स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ी थीं. उस दौरान हेलीकॉप्टर चैनपुर के चांदो में उतारा गया था.

सामाजिक तानाबाना
इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें और 21 मंडल आते हैं. इन विधानसभा सीटों के नाम हैं डाल्टनगंज, गढ़वा, भवनाथपुर, विश्रामपुर, छतरपुर और हुसैनाबाद. इन विधानसभा सीटों में से छतरपुर की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. 2014 में हुए आम चुनाव के दौरान इस सीट पर मतदाताओं की संख्या करीब 16.45 लाख थी, जिसमें 8.90 लाख पुरुष मतदाता और 7.55 लाख महिला मतदाता शामिल थे. साल 2014 में 977,323 लोगों ने वोट दिया था. जिनमें से 453,869 महिलाएं और 523,454 पुरुष थे. जनगणना के आंकड़ों पर नजर डालें तो पाएंगे कि जिले में 89.57 फीसदी ग्रामीण और 10.43 फीसदी शहरी जनता है जिसमे 25.9 अनुसूचित जाति और 11.93 अनुसूचित जनजाति के लोग निवास करते हैं.

2019 का रण
बीजेपी ने इस बार फिर से विष्णू दयाल राम को पलामू के रण में उतारा है. वहीं महागठबंधन के तहत यह सीट आरजेडी को मिली है. जिस पर उसने घुरन राम को उम्मीदवार बनाया है. वहीं सीपीआई एमएल ने सुषमा मेहता को अपना प्रत्याशी बनाया है.


रांची/पलामू: 29 अप्रैल को पलामू में वोटिंग होनी है. पलामू झारखंड का एक महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र है. 1967 में इसे अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व किया गया था. यहां की जनता ने पुलिस के पूर्व मुखिया से लेकर पूर्व नक्सली तक को अपना प्रतिनिधि चुना है.पलामू झारखंड के 24 जिलों में से एक अहम जिला है. जो1892 में अस्तित्व में आया. जिले का मुख्यालय मेदिनीनगर (डाल्टेनगंज) है. पलामू का जनसमुदाय मुख्यतः जनजातीय है, जिनमें से प्रमुख हैं खेरवार, चेरो, मुंडा, उरांव, बिरजिया और बिरहोर.

पलामू लोकसभा सीट से अब तक 18 सांसद रह चुके हैं. 1952 में फर्स्ट पास्ट दी पास्ट इलेक्शन पद्धति से चुनाव हुआ था. जिसमें पलामू लोकसभा सीट से दो सांसद चुने गए थे. इस चुनाव में रांची के कुछ क्षेत्र और हजारीबाग के कुछ क्षेत्र को पलामू में मिला दिया गया था. उस दौरान राजेंद्र प्रसाद सिन्हा और जेठन सिंह खरवार सांसद का चुनाव जीते थे. पलामू लोकसभा सीट से सबसे अधिक चार बार कांग्रेस की कमला कुमारी सांसद रही हैं. वो 1967, 1971, 1980 और 1984 में पलामू की सांसद बनीं.

पलामू के अब तक के सांसद
इस सीट पर 1951 और 1957 का चुनाव कांग्रेस के गजेंद्र प्रसाद सिन्हा ने जीत दर्ज की थी. 1962 में स्वतंत्र पार्टी के शशांक मंजरी ने जीत हासिल की. 1967 और 1971 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर कमला कुमार जीती. 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर रामदेनी राम जीतीं. इसके बाद फिर 1980 और 1984 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर कमला कुमारी जीतीं.1989 में जनता दल के टिकट पर जोरावर राम जीते. 1991 में बीजेपी के टिकट पर राम देव राम ने जीत दर्ज की. 1996, 1998 और 1999 के चुनाव में बीजेपी के ब्रज मोहन राम जीतने में कामयाब हुआ. 2004 में इस सीट राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर मनोज कुमार और 2006 के उपचुनाव में उसके ही टिकट पर घुरान राम जीते. 2009 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के कामेश्वर बैठा संसद पहुंचे. फिर मोदी लहर का फायदा 2014 में बीजेपी के विष्णू दयाल राम को मिला और वो संसद पहुंचे.

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1962 के चुनाव में पलामू के लोगों ने देखा था पहली बार हेलीकॉप्टर
1962 के लोकसभा चुनाव में पलामू के लोगों ने पहली बार हेलीकॉप्टर को देखा था. उस चुनाव में हजारीबाग रामगढ़ की राजमाता शशांक मंजरी ने चुनाव के दौरान हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया था. राजमाता स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ी थीं. उस दौरान हेलीकॉप्टर चैनपुर के चांदो में उतारा गया था.

सामाजिक तानाबाना
इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें और 21 मंडल आते हैं. इन विधानसभा सीटों के नाम हैं डाल्टनगंज, गढ़वा, भवनाथपुर, विश्रामपुर, छतरपुर और हुसैनाबाद. इन विधानसभा सीटों में से छतरपुर की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. 2014 में हुए आम चुनाव के दौरान इस सीट पर मतदाताओं की संख्या करीब 16.45 लाख थी, जिसमें 8.90 लाख पुरुष मतदाता और 7.55 लाख महिला मतदाता शामिल थे. साल 2014 में 977,323 लोगों ने वोट दिया था. जिनमें से 453,869 महिलाएं और 523,454 पुरुष थे. जनगणना के आंकड़ों पर नजर डालें तो पाएंगे कि जिले में 89.57 फीसदी ग्रामीण और 10.43 फीसदी शहरी जनता है जिसमे 25.9 अनुसूचित जाति और 11.93 अनुसूचित जनजाति के लोग निवास करते हैं.

2019 का रण
बीजेपी ने इस बार फिर से विष्णू दयाल राम को पलामू के रण में उतारा है. वहीं महागठबंधन के तहत यह सीट आरजेडी को मिली है. जिस पर उसने घुरन राम को उम्मीदवार बनाया है. वहीं सीपीआई एमएल ने सुषमा मेहता को अपना प्रत्याशी बनाया है.

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Last Updated : Apr 4, 2019, 10:22 PM IST
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