पलामू: माओवादियो के सुरक्षित ठिकानों में से एक बूढ़ा पहाड़ में नक्सलियों के पास हथियार उठाने के लिए भी अब लोग नहीं बचे हैं. बूढ़ा पहाड़ पर माओवादियों के पास हथियार अधिक और कैडर कम बच गए हैं. बिहार के गया में गिरफ्तार टॉप कमांडर मिथिलेश मेहता और आत्मसमर्पण करने वाले टॉप कमांडर विमल यादव ने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के सामने कई खुलासे किए हैं. दोनों ने सुरक्षा एजेंसियों को बताया है कि बूढ़ा पहाड़ पर माओवादियो के पास 200 से अधिक हथियार मौजूद हैं, लेकिन कैडर मात्र 30 से 40 बचे हैं.
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पिछले एक दशक में बूढ़ा पहाड़ पर माओवादियो के कैडर 70 प्रतिशत तक कम हो गई है. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि माओवादियों के खिलाफ लगातार अभियान जारी है. पुलिस सभी से आत्मसमर्पण करने की अपील कर रही है. लोहरदगा लातेहार सीमा पर अभियान के दौरान माओवादियो को बड़ा नुकसान हुआ है. माओवादियो के बिहार, झारखंड, उतरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमेटी जिसमें पूरा बिहार और झारखंड है उसमें साल 2008-09 तक कैडरों की संख्या 2500 से 3000 के बीच थी. माओवादियों की इससे अधिक संख्या सिर्फ दंडकारण्य स्पेशल जोन कमेटी के पास थी.
दंडकारण्य स्पेशल जोन कमिटी में कैडरों की संख्या 4500 से 5000 के करीब थी. सुरक्षा एजेंसियों की मानें तो झरखंड, बिहार, उतरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमिटी में 300 से भी कम PLGA कैडर बच गए हैं. माओवादियो के हिंसक गतिविधि को PLGA ही अंजाम देता है. PLGA के पास रॉकेट लांचर से लेकर कई आधुनिक हथियार हैं. नक्सल मामलों के जानकार देवेंद्र गुप्ता बताते हैं माओवादियों का गुरिल्ला आर्मी बेहद कमजोर हो गया है. माओवादियों का जनाधार घट रहा है. माओवादियों के टॉप नेता पैसों के पीछे भाग रहे हैं. जिस कारण यह संगठन कमजोर हो गया है. बदलते वक्त के साथ सरकार की नीतियां भी बदली हैं, जिसके कारण आम लोग माओवादियों का समर्थन नहीं कर रहे हैं.
मिथिलेश मेहता और विमल यादव ने टॉप अधिकारियों को बताया है कि बूढ़ा पहाड़ पर माओवादियो के पास एम 16, एके 47, इंसास, एसएलआर, मोर्टार, एलएमजी जैसे आधुनिक हथियार हैं. यह हथियार बड़ी संख्या में हैं लेकिन आदमी बेहद ही कम हैं. मिथिलेश मेहता और विमल के गिरफ्तार होने के बाद बूढ़ा पहाड़ पर बिछाए गए लैंड माइंस के स्थान को बदल दिया गया है.