पलामू: झारखंड में प्रशासनिक अधिकारी अपने काम को लेकर कितने लापरवाह हैं. इसका नजारा पलामू जिले के अंचल कार्यालय में देखने को मिला है. 10 अगस्त को पलामू कमिश्नर जटाशंकर चौधरी ने छतरपुर अंचल कार्यालय का निरीक्षण किया था और अंचल अधिकारी से निरीक्षण पर टिप्पणी मांगी थी. कमिश्नर के टिप्पणी मांगने पर अंचल अधिकारी ने नियमों को ताक पर रखते हुए आधे अधूरे हालात में रिपोर्ट बनाकर सीधे कमिश्नर को भेज दिया. जबकि नियम के मुताबिक ये रिपोर्ट डीसी के माध्यम से भेजी जानी थी. इसी मामले में कमिश्नर ने छतरपुर अंचल अधिकारी से तीन दिनों में जवाब मांगा था लेकिन अंचल अधिकारी ने अब तक स्पष्टीकरण का कोई जवाब नहीं दिया.
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सीओ के खिलाफ गठित होगा आरोप प्रपत्र
अब इस पूरे मामले को कमिश्नर जटाशंकर चौधरी ने गंभीरता से लिया है. जिसके बाद सीओ के खिलाफ आरोप प्रपत्र गठित करने का निर्देश दिया गया है. कमिश्नर ने पलामू डीसी को आरोप प्रपत्र गठित कर प्रतिवेदन मांगा है ताकि अंचल अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जा सके.
दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए
पूरे मामले में कमिश्नर जटा शंकर चौधरी का कहना है कि निरीक्षण के दौरान अपर समाहर्ता छतरपुर और अनुमंडल पदाधिकारी भी मौजूद थे. निरीक्षण होने के बाद भी कई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए. दस्तावेज नहीं मिलने की वजह से निरीक्षण का काम पूरी तरह से नहीं हो पाया था. अब कमिश्नर ने इसी मामले में पलामू अपर समाहर्ता से एक सप्ताह के अंदर कई बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगते हुए निरीक्षण टिप्पणी उपलब्ध करवाने को कहा है. अंचल कार्यालय द्वारा एक भी कर्मचारी की सेवा पुस्तिका वज्रपात से हुए नुकसान के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गई है. 2017 में अंचल कार्यालय का पलामू डीसी ने निरीक्षण किया था. निरीक्षण का अनुपालन दो दिनों में दिखाया गया जो संदेह के दायरे में है.