पलामू: चर्चित बकोरिया मुठभेड़ में एक नया मोड़ आ गया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बकोरिया मुठभेड़ का प्राथमिकी दर्ज करने वाला दरोगा मोहम्मद रुस्तम सरकारी गवाह बनने की सूचना है. मोहमद रुस्तम के सरकारी गवाह बन जाने के बाद झारखंड पुलिस, सीआरपीएफ और कोबरा के बड़े अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ने वाली है.
बकोरिया मुठभेड़ की जांच सीबीआई कर रही है. 09 जून 2015 को पलामू के सतबरवा के भलवही घाटी में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच कथित मुठभेड़ हई थी. इसमें 12 माओवादी मारे गए थे. मारे गए माओवादियों में कुख्यात माओवादी कमांडर अनुराग उर्फ डॉक्टर था. इस मुठभेड़ में चार नाबालिग, पारा शिक्षक के साथ-साथ अनुराग का बेटा और भतीजा भी मारा गया था.
सतबरवा के ओपी के प्रभारी मोहम्मद रुस्तम और कोबरा की टीम इस कथित मुठभेड़ में शामिल थे. मोहम्मद रुस्तम के लिखित बयान के आधार पर ही पलामू के सदर थाना में बकोरिया मुठभेड़ की प्राथमिकी दर्ज हुई थी. मोहम्मद रुस्तम पहले ही सीबीआई अधिकारियों के समक्ष बयान से मुकर चुका है. अब उसके सरकारी गवाह बन जाने से नए मोड़ आएंगे. मुठभेड़ पर लेकर सवाल उठाए गए थे.
कथित मुठभेड़ में मारे गए पारा शिक्षक के पिता मामले को लेकर हाई कोर्ट पंहुचे थे. हाई कोर्ट के आदेश के बाद 19 नवंबर 2018 को दिल्ली में बकोरिया मुठभेड़ के मामले में सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज को थी. उसके बाद बकोरिया मुठभेड़ का केस नंबर RC SI 2018 S 2018 की जांच शुरू थी.
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जल्द पंहुचेगी सीबीआई की टीम
पलामू बकोरिया मुठभेड़ की आगे की जांच करने के लिए सीबीआई की टीम जल्द ही पलामू पंहुचेगी. जुलाई 2019 में एफएसएल के निदेशक एनबी वर्धन पंहुचे थे. उस दौरान पूरी मुठभेड़ का डेमो कराया गया था, लेकिन जांच के दौरान बारिश ने डेमो में खलल डाला था. सीबीआई की टीम एक बार फिर से डेमो की तैयारी कर रही है. सूत्रों के अनुसार, इस बार झारखंड पुलिस के बड़े अधिकारी और कोबरा के टीम से पूछताछ की जाएगी.