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लालगढ़ में बुलंद हो रहा लोकतंत्र का झंडा, पूर्व नक्सली और उसके परिजन बना रहे गांव की सरकार - palamu news

झारखंड में पंचायत चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं. छिटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो अब तक मतदान शांतिपूर्ण तरीके से हुआ है. तीसरे चरण में पलामू में मतदान होना है. खास बात ये है कि यहां पर कई ऐसे प्रत्याशी भी हैं जो कभी नक्सली कमांडर हुआ करते थे लेकिन अब उनका भरोसा लोकतंत्र में है.

panchayat elections in Palamu
panchayat elections in Palamu
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Published : May 21, 2022, 8:27 PM IST

Updated : May 22, 2022, 9:12 AM IST

पलामू: झारखंड में चल रहे पंचायत चुनाव में वे लोग अब गांव में विकास कि लौ जलाने चले हैं जो सरकार के समानांतर बंदूक से अपनी सरकार चलाते थे. पलामू प्रमंडल नक्सलियों का गढ़ रहा है और यहां सरकार के विकास की योजना चलती नहीं बल्कि रेंगती थी. यहां वही होता था जो नक्सली चाहते थे और नक्सली ही सरकार चलाते थे, लेकिन बदले माहौल में अब टॉप नक्सली कमांडर भी देश की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं और लोकतंत्र में अपनी आस्था दिखा रहे हैं. अब नक्सली समाज की मुख्य धारा से जुड़ कर चुनाव में भी हिस्सेदारी कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: सुरक्षाबलों के बाइक पेट्रोलिंग से खौफ में नक्सली और अपराधी, सीआरपीएफ ने संभाला मोर्चा

पलामू जिले से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित है केकरगढ़ पंचायत. यहां मुखिया पद के लिए 9 उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. यहां सबसे अहम बात यह है इन 9 प्रत्याशियों में से 6 माओवादी कमांडर रह चुके हैं. अगर माओवादियों के नाम की बात करें तो पलामू क्षेत्र के माओवादियों में बड़ा नाम उमेश यादव, विनोद यादव, निरंजन यादव और अजय यादव की बहू का है. वहीं, JJMP के टॉप कमांडर पप्पू लोहार और सुशील उरांव के परिजन भी चुनावी मैदान में है. टीएसपीसी के टॉप कमांडर शशिकांत के परिवार के लोग भी चुनावी मैदान में हैं.

केकरगढ़ पंचायत को विकास की डगर से जुड़ने और टॉप नक्सली कमांडर के लोकतंत्र की मुख्यधारा में आने की पड़ताल करने ईटीवी ग्राउंड जीरो पर पहुंचा. ईटीवी भारत ने नक्सली कमांडर रहे उमेश यादव से बातचीत की उमेश ने कहा कि 'नक्सल का जमाना चला गया. अब लोकतंत्र का रंग है उसी में रंगना है. विकास की मुख्यधारा के साथ चलना है और यही सभी लोगों को करना भी चाहिए.' वहीं पूर्व माओवादी और पलामू क्षेत्र से कमांडर रहे उमेश यादव ने कहा कि अब लाल सलाम का काम तमाम हो चुका है. झारखंड को विकास की मुख्यधारा पर ले जाना जरूरी है और यही लोकतंत्र की मूल आत्मा भी है.

गांव की सरकार बनाने के लिए लोकतंत्र के महापर्व का रंग अपने तीसरे चरण में पहुंच चुका है. जो लोग लोकतंत्र में अपनी हिस्सेदारी दे रहे हैं समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं यह बड़ी बात है. पलामू रेंज में चुनाव लड़ने वाले नक्सली पूर्व नक्सली और उनके परिजनों को लेकर पुलिस ने एक सूची तैयार की है. तैयार सूची के आधार पर प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बढ़ाई गई है. चुनाव लड़ने वाले विपक्षी प्रत्याशियों के भी पुलिस ने सुरक्षा का ध्यान रखा है. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लाकड़ा ने साफ कहा कि लोकतंत्र में चुनाव लड़ने का सभी को हक है और सभी को एक मजबूत लोकतंत्र का हिस्सा बनना भी चाहिए. किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है सभी को भयमुक्त होकर मतदान करना चाहिए.

बहरहाल गांव की सरकार ही सही लेकिन जिन लोगों ने लोकतंत्र की मुख्यधारा से मुंह मोड़ लिया था. वे लोग आज समाज की मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं. यह बढ़ते झारखंड के विकास को नया मुकाम देगा और उन्हें सबक भी जो लोग लोकतंत्र की मुख्यधारा से भटक जाते हैं.

पलामू: झारखंड में चल रहे पंचायत चुनाव में वे लोग अब गांव में विकास कि लौ जलाने चले हैं जो सरकार के समानांतर बंदूक से अपनी सरकार चलाते थे. पलामू प्रमंडल नक्सलियों का गढ़ रहा है और यहां सरकार के विकास की योजना चलती नहीं बल्कि रेंगती थी. यहां वही होता था जो नक्सली चाहते थे और नक्सली ही सरकार चलाते थे, लेकिन बदले माहौल में अब टॉप नक्सली कमांडर भी देश की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं और लोकतंत्र में अपनी आस्था दिखा रहे हैं. अब नक्सली समाज की मुख्य धारा से जुड़ कर चुनाव में भी हिस्सेदारी कर रहे हैं.

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पलामू जिले से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित है केकरगढ़ पंचायत. यहां मुखिया पद के लिए 9 उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. यहां सबसे अहम बात यह है इन 9 प्रत्याशियों में से 6 माओवादी कमांडर रह चुके हैं. अगर माओवादियों के नाम की बात करें तो पलामू क्षेत्र के माओवादियों में बड़ा नाम उमेश यादव, विनोद यादव, निरंजन यादव और अजय यादव की बहू का है. वहीं, JJMP के टॉप कमांडर पप्पू लोहार और सुशील उरांव के परिजन भी चुनावी मैदान में है. टीएसपीसी के टॉप कमांडर शशिकांत के परिवार के लोग भी चुनावी मैदान में हैं.

केकरगढ़ पंचायत को विकास की डगर से जुड़ने और टॉप नक्सली कमांडर के लोकतंत्र की मुख्यधारा में आने की पड़ताल करने ईटीवी ग्राउंड जीरो पर पहुंचा. ईटीवी भारत ने नक्सली कमांडर रहे उमेश यादव से बातचीत की उमेश ने कहा कि 'नक्सल का जमाना चला गया. अब लोकतंत्र का रंग है उसी में रंगना है. विकास की मुख्यधारा के साथ चलना है और यही सभी लोगों को करना भी चाहिए.' वहीं पूर्व माओवादी और पलामू क्षेत्र से कमांडर रहे उमेश यादव ने कहा कि अब लाल सलाम का काम तमाम हो चुका है. झारखंड को विकास की मुख्यधारा पर ले जाना जरूरी है और यही लोकतंत्र की मूल आत्मा भी है.

गांव की सरकार बनाने के लिए लोकतंत्र के महापर्व का रंग अपने तीसरे चरण में पहुंच चुका है. जो लोग लोकतंत्र में अपनी हिस्सेदारी दे रहे हैं समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं यह बड़ी बात है. पलामू रेंज में चुनाव लड़ने वाले नक्सली पूर्व नक्सली और उनके परिजनों को लेकर पुलिस ने एक सूची तैयार की है. तैयार सूची के आधार पर प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बढ़ाई गई है. चुनाव लड़ने वाले विपक्षी प्रत्याशियों के भी पुलिस ने सुरक्षा का ध्यान रखा है. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लाकड़ा ने साफ कहा कि लोकतंत्र में चुनाव लड़ने का सभी को हक है और सभी को एक मजबूत लोकतंत्र का हिस्सा बनना भी चाहिए. किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है सभी को भयमुक्त होकर मतदान करना चाहिए.

बहरहाल गांव की सरकार ही सही लेकिन जिन लोगों ने लोकतंत्र की मुख्यधारा से मुंह मोड़ लिया था. वे लोग आज समाज की मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं. यह बढ़ते झारखंड के विकास को नया मुकाम देगा और उन्हें सबक भी जो लोग लोकतंत्र की मुख्यधारा से भटक जाते हैं.

Last Updated : May 22, 2022, 9:12 AM IST
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