पलामू: कोरोना काल में एक तरफ लोग परेशान हैं तो वहीं, प्रकृति अपने आप को निखार रही है. मेदिनीनगर से करीब 33 किलोमीटर दूर मलय डैम की खूबसूरती पूरे सबाब पर है. कोरोना काल के बाजवूद सैकड़ों लोग इसका लुत्फ उठाने के लिए पंहुच रहे हैं. प्रकृति के इस खूबसूरत नजारे को देखने के बाद पलामू जिला प्रशासन अब मलय डैम को पर्यटन का बड़ा केंद्र बनाने पर विचार कर रहा है.
कोरोना काल के बाद इस दिशा में बड़ा कदम उठाया जाएगा. समुद्र तल से करीब 234 मीटर पर मौजूद मलय डैम पर्यटन के साथ-साथ मछली पालन का भी बड़ा केंद्र बन सकता है. मलय डैम मलय नदी पर 1980 में बन कर तैयार हुआ था. डैम से पलामू के सतबरवा, लेस्लीगंज और सदर प्रखंड के 1.11 लाख हेक्टेयर से भी अधिक जमीन में सिंचाई की योजना थी.
मिलेगा सैकड़ों लोगों को रोजगार
पलामू में इस बार बारिश काफी अच्छी हुई है. अच्छी बारिश के बाद कई डैम में पानी ओवरफ्लो कर रहा है. सतबरवा के स्थानीय युवक मुकेश तिवारी बताते हैं कि मलय डैम को पर्यटन के लिए विकसित करने की जरूरत है. मछली पालन होती है, लेकिन इसे और अधिक बढ़ावा देने की जरूरत है. स्थानीय विकास बताते हैं कि सरकार यहां सुविधा बढ़ाए. मछली पालन से जुड़े गुड्डू बताते है कि मछली पालन को बढ़ावा देने की जरूरत है. पर्यटन और मछली पालन से आसपास के 40 से अधिक गांव को रोजगार मिलेगा.
ये भी पढे़ं: रांची में उपायुक्त ने किया स्टैटिक टेस्ट सेंटर्स का दौरा, डेटा एंट्री रिपोर्ट किया चेक
मलय डैम को बनाया जाएगा पर्यटन स्थल
पलामू डीसी शशि रंजन बताते हैं कि मलय डैम में बड़ी संख्या में लोग पंहुच रहे हैं. जिला प्रशासन की योजना है कि मलय डैम को पर्यटन के लिए विकसित किया जाए. इसके लिए योजना तैयार की जा रही है. डीसी बताते हैं कि मलय डैम में बोटिंग की भी सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी.