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पीटीआर में सांभर इनक्लोजर से 40 घंटे बाद बाहर निकाला गया तेंदुआ, तीन इलाकों में काटे गए थे बाड़ - Palamu news

पलामू टाइगर रिजर्व के सांभर इनक्लोजर (Sambhar Enclosure of Palamu Tiger Reserve) में तेंदुआ घूस गया था. इस तेंदुआ को 40 घंटे बाद बाहर निकाला गया. इसको लेकर तीन जगहों पर बाड़ काटे गए थे.

Leopard pulled out after 40 hours from sambar enclosure in PTR
पीटीआर में सांभर इनक्लोजर से 40 घंटे बाद बाहर निकाला गया तेंदुआ
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Published : Sep 26, 2022, 8:41 PM IST

पलामूः पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के बारेसाढ़ स्थित सांभर इनक्लोजर (Sambhar Enclosure of Palamu Tiger Reserve) से करीब 40 घंटे बाद तेंदुआ बाहर निकल गया है. सोमवार की शाम तेंदुआ को पलामू टाइगर रिजर्व के ट्रैकर गाड़ियों के माध्यम से खदेड़ कर बाहर किया गया. तेंदुआ को इनक्लोजर से बाहर करने के लिए तीन जगहों पर बाड़ काटे गए थे.

यह भी पढ़ेंः पलामू टाइगर रिजर्व में दो बाघों की मौजूदगी के मिले साक्ष्य, वन कर्मियों की टीम रख रही नजर

रविवार को तेंदुआ को बाहर निकालने के दैरान ट्रैकरों पर हमला हुआ था. इस हमले में दो ट्रैकर जख्मी भी हुए थे. सांभर इनक्लोजर में डेढ़ सौ ट्रैकरों की तैनात की गई और तीन जगह जाल को काटा भी गया. रविवार की देर रात तक ट्रैकर मशाल जलाकर तेंदुआ को इनक्लोजर से बाहर करने का प्रयास कर रहे थे. बारिश होने के बाद ट्रैकरों को यह अभियान बंद करना पड़ा था.

सोमवार को एक बार फिर से तेंदुआ को भगाने के लिए अभियान की शुरुआत की गई. तेंदुआ को भगाने के लिए पीटीआर के निदेशक कुमार आशुतोष और डिप्टी डायरेक्टर मुकेश कुमार कैंप किए थे. पीटीआर के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि तेंदुआ को इनक्लोजर से बाहर करने के लिए कई कदम उठाए गए थे. इनक्लोजर के तीन इलाकों में 50-50 फीट जाल को काटा गया था और 150 से अधिक ट्रैकरों की तैनात की गई थी. उन्होंने कहा कि गाड़ियों की मदद से तेंदुआ को बाहर निकाला गया है.


पलामू टाइगर रिजर्व का सांभर इनक्लोजर 14 हेक्टेयर में फैला है. इसमें 18 सांभर के प्रजातियां हैं. इसके साथ ही दुर्लभ प्रजाति के चौसिंघा भी रखा गया है. सांभर और चौसिंघा के ब्रीडिंग को लेकर कई कदम उठाए गए हैं. तेंदुआ के घुसने के बाद सांभर पर खतरा मंडरा रहा था. इसकी वजह थी कि तेंदुआ का शिकार सांभर हो सकता था. तेंदुआ को बाहर भगाने के दौरान ट्रैकरों को काफी परेशानियां झेल नी पड़ी है. ट्रैकरों ने बताया कि अभियान के दौरान तेंदुआ पेड़ पर बैठ जाता था. इससे बाहर निकालने में काफी परेशानी हुई.


बता दें कि पीटीआर को ट्रैंकुलाइजर को इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है. ट्रेंकुलाइजर इस्तेमाल की अनुमति पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ देते हैं. फिलहाल झारखंड में पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ के पद पर कोई भी नहीं है. पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ रिटायर कर गए हैं और उनकी जगह किसी की तैनाती नहीं की गई है. इससे तेंदुआ भगाने में दिक्कत हुई है.

पलामूः पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के बारेसाढ़ स्थित सांभर इनक्लोजर (Sambhar Enclosure of Palamu Tiger Reserve) से करीब 40 घंटे बाद तेंदुआ बाहर निकल गया है. सोमवार की शाम तेंदुआ को पलामू टाइगर रिजर्व के ट्रैकर गाड़ियों के माध्यम से खदेड़ कर बाहर किया गया. तेंदुआ को इनक्लोजर से बाहर करने के लिए तीन जगहों पर बाड़ काटे गए थे.

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रविवार को तेंदुआ को बाहर निकालने के दैरान ट्रैकरों पर हमला हुआ था. इस हमले में दो ट्रैकर जख्मी भी हुए थे. सांभर इनक्लोजर में डेढ़ सौ ट्रैकरों की तैनात की गई और तीन जगह जाल को काटा भी गया. रविवार की देर रात तक ट्रैकर मशाल जलाकर तेंदुआ को इनक्लोजर से बाहर करने का प्रयास कर रहे थे. बारिश होने के बाद ट्रैकरों को यह अभियान बंद करना पड़ा था.

सोमवार को एक बार फिर से तेंदुआ को भगाने के लिए अभियान की शुरुआत की गई. तेंदुआ को भगाने के लिए पीटीआर के निदेशक कुमार आशुतोष और डिप्टी डायरेक्टर मुकेश कुमार कैंप किए थे. पीटीआर के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि तेंदुआ को इनक्लोजर से बाहर करने के लिए कई कदम उठाए गए थे. इनक्लोजर के तीन इलाकों में 50-50 फीट जाल को काटा गया था और 150 से अधिक ट्रैकरों की तैनात की गई थी. उन्होंने कहा कि गाड़ियों की मदद से तेंदुआ को बाहर निकाला गया है.


पलामू टाइगर रिजर्व का सांभर इनक्लोजर 14 हेक्टेयर में फैला है. इसमें 18 सांभर के प्रजातियां हैं. इसके साथ ही दुर्लभ प्रजाति के चौसिंघा भी रखा गया है. सांभर और चौसिंघा के ब्रीडिंग को लेकर कई कदम उठाए गए हैं. तेंदुआ के घुसने के बाद सांभर पर खतरा मंडरा रहा था. इसकी वजह थी कि तेंदुआ का शिकार सांभर हो सकता था. तेंदुआ को बाहर भगाने के दौरान ट्रैकरों को काफी परेशानियां झेल नी पड़ी है. ट्रैकरों ने बताया कि अभियान के दौरान तेंदुआ पेड़ पर बैठ जाता था. इससे बाहर निकालने में काफी परेशानी हुई.


बता दें कि पीटीआर को ट्रैंकुलाइजर को इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है. ट्रेंकुलाइजर इस्तेमाल की अनुमति पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ देते हैं. फिलहाल झारखंड में पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ के पद पर कोई भी नहीं है. पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ रिटायर कर गए हैं और उनकी जगह किसी की तैनाती नहीं की गई है. इससे तेंदुआ भगाने में दिक्कत हुई है.

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