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First Timer Criminals: अपराध की राह पर बढ़ रहे युवा, पुलिस के लिए बन रहे चुनौती - क्राइम न्यूज

कोरोना और लॉकडाउन की वजह से पलामू के युवा अपराध की ओर रुख कर रहे हैं. पलामू पुलिस के लिए ये फर्स्ट टाइमर अपराधी चुनौती बन गए हैं.

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पलामू पुलिस
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Published : Oct 1, 2021, 4:37 PM IST

Updated : Oct 1, 2021, 10:20 PM IST

पलामूः लॉकडाउन में रोजगार गए, रोजगार के अवसर भी गए जिस कारण युवाओ का अपराधीकरण शुरू हुआ. किसी भी समाज मे युवाओं का अपराधीकरण खतरनाक है. संगठित अपराध और गिरोह से निपटना प्रशासनिक तंत्र और समाज के लिए आसान है. लेकिन यही अपराध फर्स्ट टाइमर से हो तो यह बड़ी चुनौती बन जाती है.

इसे भी पढ़ें- राजधानी की फिजाओं में घुलता 'जहर', नशे की लत से जुर्म की दलदल में धंस रहे युवा

पलामू जैसे इलाके में लॉकडाउन के बाद फर्स्ट टाइमर अपराधियों के आंकड़े चौकाने वाले हैं. फर्स्ट टाइमर अपहरण, लूट से लेकर हत्या तक के आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. पलामू में जनवरी से अब तक 60 से अधिक अपराधी गिरफ्तार हुए है, जिनमें से दो दर्जन से अधिक अपराधी फर्स्ट टाइमर है. नक्सल इलाके में फर्स्ट टाइमर अपराधी पुलिस के लिए चुनौती बने है.

देखें पूरी खबर
फर्स्ट टाइमर अपराधी बड़ी घटनाओं को दिया अंजामपलामू में फर्स्ट टाइमर अपराधियों ने कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है. जनवरी से लेकर सितंबर 2021 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो पलामू में घटने वाली घटनाओं में से 35 प्रतिशत आपराधिक घटनाओं में फर्स्ट टाइमर ही शामिल रहे. पलामू में सितंबर तक 70 लोगों की हत्या हुई है, जिसमें से 20 से अधिक लोगों की हत्या फर्स्ट टाइमर अपराधियों की ओर से की गई है. अपहरण के 48 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से अधिकतर युवाओं ने अंजाम दिया है.केस स्टडी

एक हफ्ता पहले पलामू के मेदिनीनगर के बारालोटा के रहने वाले बिजली विभाग के ठेकेदार के बेटे को उसके दोस्तों ने फिरौती की लालच में अपहरण कर लिया था. अपहरण के आरोप में गिरफ्तार शुभम शुक्ला और छोटू कुमार फर्स्ट टाइमर अपराधी थे. 30 अगस्त को रेहला थाना क्षेत्र के रहने वाले दिलकश नामक युवक का अपहरण कर लिया गया था. अपहरणकर्ताओं ने 10 लाख रुपये की फिरौती भी मांगी थी. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अपहृत को मुक्त करवा लिया था. जबकि इस घटना में शामिल फर्स्ट टाइमर अपराधी आशुतोष पांडेय और एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार किया था. 27 अगस्त को पाटन थाना क्षेत्र में गुजरात से लौट रहे युवक की हत्या कर दी गई थी. हत्या के आरोपी कई फर्स्ट टाइमर अपराधी हैं. यह जमीन और पैसे के लालच में हत्याकांड को अंजाम दिया था.

इसे भी पढ़ें- इंस्टेंट अमीर बनने की चाहत में गुमराह हो रहे युवा, खुद का गैंग बना दे रहे आपराधिक वारदात को अंजाम


फर्स्ट टाइमर अपराधी पुलिस के लिए बन रहे चुनौती
पलामू एसपी चंदन कुमार सिन्हा बताते हैं कि पलामू में ऐसा ट्रेंड देख रहे हैं कि गंभीर अपराध के मामले में फर्स्ट टाइमर अपराधी शामिल हैं. हत्या, अपहरण, बैंकिंग अपराध, इस तरह की घटना में फर्स्ट टाइमर अपराधी शामिल रहे हैं. एसपी बताते हैं कि संगठित अपराध गिरोह खिलाफ कार्रवाई करने में आसानी होती है लेकिन इस तरह की अपराधिक गिरोह पुलिस के लिए चुनौती हैं. हालांकि पुलिस पूरी तरह अलर्ट मोड पर है और ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ अभियान चला रही है.

युवाओं को आपराधिक दलदल से बचाने के लिए सामाजिक पहल की जरूरत
फर्स्ट टाइमर अपराधी पुलिस के साथ-साथ समाज के लिए भी नयी चुनौती बन रहे हैं. लॉकडाउन के बाद युवाओं का अपराधीकरण हुआ है. युवा राहुल दुबे बताते हैं कि युवाओं को अपराध की दुनिया से बचाने के लिए सामाजिक पहल की भी जरूरत है.

युवाओं को अपराध की दुनिया में जाने से बचाने के लिए पुलिस के साथ-साथ समाज के हर तबके को आगे आना होगा. पिछले एक वर्ष के दौरान लोगों के रोजगार चले गए, लोगों की जरूरतें बढ़ गई हैं. आजसू नेता सतीश कुमार बताते हैं कि लॉकडाउन में बड़ी संख्या में लोगों की रोजगार चली गई है, केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने लोगों को रोजगार को लेकर ध्यान नहीं दिया है. नतीजा है कि युवाओं का अपराधीकरण हुआ है, युवाओं को बचाने के लिए हर स्तर पर पहल की जरूरत है.

पलामूः लॉकडाउन में रोजगार गए, रोजगार के अवसर भी गए जिस कारण युवाओ का अपराधीकरण शुरू हुआ. किसी भी समाज मे युवाओं का अपराधीकरण खतरनाक है. संगठित अपराध और गिरोह से निपटना प्रशासनिक तंत्र और समाज के लिए आसान है. लेकिन यही अपराध फर्स्ट टाइमर से हो तो यह बड़ी चुनौती बन जाती है.

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पलामू जैसे इलाके में लॉकडाउन के बाद फर्स्ट टाइमर अपराधियों के आंकड़े चौकाने वाले हैं. फर्स्ट टाइमर अपहरण, लूट से लेकर हत्या तक के आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. पलामू में जनवरी से अब तक 60 से अधिक अपराधी गिरफ्तार हुए है, जिनमें से दो दर्जन से अधिक अपराधी फर्स्ट टाइमर है. नक्सल इलाके में फर्स्ट टाइमर अपराधी पुलिस के लिए चुनौती बने है.

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फर्स्ट टाइमर अपराधी बड़ी घटनाओं को दिया अंजामपलामू में फर्स्ट टाइमर अपराधियों ने कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है. जनवरी से लेकर सितंबर 2021 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो पलामू में घटने वाली घटनाओं में से 35 प्रतिशत आपराधिक घटनाओं में फर्स्ट टाइमर ही शामिल रहे. पलामू में सितंबर तक 70 लोगों की हत्या हुई है, जिसमें से 20 से अधिक लोगों की हत्या फर्स्ट टाइमर अपराधियों की ओर से की गई है. अपहरण के 48 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से अधिकतर युवाओं ने अंजाम दिया है.केस स्टडी

एक हफ्ता पहले पलामू के मेदिनीनगर के बारालोटा के रहने वाले बिजली विभाग के ठेकेदार के बेटे को उसके दोस्तों ने फिरौती की लालच में अपहरण कर लिया था. अपहरण के आरोप में गिरफ्तार शुभम शुक्ला और छोटू कुमार फर्स्ट टाइमर अपराधी थे. 30 अगस्त को रेहला थाना क्षेत्र के रहने वाले दिलकश नामक युवक का अपहरण कर लिया गया था. अपहरणकर्ताओं ने 10 लाख रुपये की फिरौती भी मांगी थी. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अपहृत को मुक्त करवा लिया था. जबकि इस घटना में शामिल फर्स्ट टाइमर अपराधी आशुतोष पांडेय और एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार किया था. 27 अगस्त को पाटन थाना क्षेत्र में गुजरात से लौट रहे युवक की हत्या कर दी गई थी. हत्या के आरोपी कई फर्स्ट टाइमर अपराधी हैं. यह जमीन और पैसे के लालच में हत्याकांड को अंजाम दिया था.

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फर्स्ट टाइमर अपराधी पुलिस के लिए बन रहे चुनौती
पलामू एसपी चंदन कुमार सिन्हा बताते हैं कि पलामू में ऐसा ट्रेंड देख रहे हैं कि गंभीर अपराध के मामले में फर्स्ट टाइमर अपराधी शामिल हैं. हत्या, अपहरण, बैंकिंग अपराध, इस तरह की घटना में फर्स्ट टाइमर अपराधी शामिल रहे हैं. एसपी बताते हैं कि संगठित अपराध गिरोह खिलाफ कार्रवाई करने में आसानी होती है लेकिन इस तरह की अपराधिक गिरोह पुलिस के लिए चुनौती हैं. हालांकि पुलिस पूरी तरह अलर्ट मोड पर है और ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ अभियान चला रही है.

युवाओं को आपराधिक दलदल से बचाने के लिए सामाजिक पहल की जरूरत
फर्स्ट टाइमर अपराधी पुलिस के साथ-साथ समाज के लिए भी नयी चुनौती बन रहे हैं. लॉकडाउन के बाद युवाओं का अपराधीकरण हुआ है. युवा राहुल दुबे बताते हैं कि युवाओं को अपराध की दुनिया से बचाने के लिए सामाजिक पहल की भी जरूरत है.

युवाओं को अपराध की दुनिया में जाने से बचाने के लिए पुलिस के साथ-साथ समाज के हर तबके को आगे आना होगा. पिछले एक वर्ष के दौरान लोगों के रोजगार चले गए, लोगों की जरूरतें बढ़ गई हैं. आजसू नेता सतीश कुमार बताते हैं कि लॉकडाउन में बड़ी संख्या में लोगों की रोजगार चली गई है, केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने लोगों को रोजगार को लेकर ध्यान नहीं दिया है. नतीजा है कि युवाओं का अपराधीकरण हुआ है, युवाओं को बचाने के लिए हर स्तर पर पहल की जरूरत है.

Last Updated : Oct 1, 2021, 10:20 PM IST
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