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झारखंड में 1992-93 जैसे अकाल की आशंका, अगले 10 दिन बेहद महत्वपूर्ण - Jharkhand news

झारखंड में 1992-93 जैसे अकाल की आशंका जाताई जा रही है. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि अगर अगले 10 दिनों में अच्छी बारिश नहीं होती है तो स्थिति भयंकर हो सकती है.

Fear of famine
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Published : Jul 22, 2022, 6:00 PM IST

Updated : Jul 22, 2022, 6:06 PM IST

पलामू: झारखंड में अकाल को लेकर 30 वर्ष पहले जो परिस्थितियां पैदा हुई थी और अधिकारियों ने जो आकलन किया था, उसी तरह के हालात वर्तमान की परिस्थितियां बन रही है. यानि एक बार फिर से झारखंड में 1992-93 जैसे अकाल की आशंका है. अगले 10 दिनों में अच्छी बारिश नहीं होती है तो स्थिति चुनौतीपूर्ण होने वाली है. यह बात राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने पलामू में कही. पलामू प्रमंडल में बारिश के हालात को लेकर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने शुक्रवार को गढ़वा पलामू का औचक निरीक्षण किया.

ये भी पढ़ें: अकाल के मुहाने पर झारखंड: 120 दिन से ज्यादा का समय लेने वाले धान के बीज की बिक्री पर लगी रोक

पलामू में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि झारखंड में बारिश के हालात को लेकर और खासकर पलामू प्रमंडल के हालात को लेकर वे चिंतित हैं. गुरुवार को विभागीय समीक्षा के दौरान उन्होंने पाया कि पलामू प्रमंडल के हालात चुनौतीपूर्ण हैं, जिसके बाद उन्होंने इलाके में निरीक्षण का निर्णय लिया. उन्होंने तीनो जिलों के अधिकारियों से स्थिति से निबटने के लिए एक एक्शन प्लान मांगा है. उन्होंने बताया कि 2017 में भी पलामू के कई प्रखंडों को सुखाड़ घोषित किया गया था, लेकिन मामले में देरी के कारण केंद्र सरकार ने मुआवजा देने को लेकर सुस्ती अपनाई थी और किसानों को राहत नहीं मिल पाया था. इस बार उन्होंने अधिकारियों को समय पर सभी रिपोर्ट और प्रतिवेदन तैयार करने को कहा है.

बादल पत्रलेख, कृषि मंत्री
हालात को लेकर 26 जुलाई को सभी एक्सपर्ट के साथ होगी बैठक: कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि झारखंड में बारिश के हालात को लेकर 26 जुलाई को सभी एक्सपर्ट के साथ वह बैठक करेंगे. बैठक में सभी विभागों के प्रमुख मौजूद रहेंगे. उन्होंने कहा कि पलामू और गढ़वा की हालात चुनौतीपूर्ण है. जिलों में औसत से 83 प्रतिशत कम बारिश हुई है, गढ़वा में एक प्रतिशत जबकि पलामू में एक प्रतिशत से भी कम धनरोपनी हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार पूरे हालातों पर नजर रखे हुए है, एक्सपोर्ट की रिपोर्ट और अधिकारियों की रिपोर्ट के बाद सुखाड़ घोषित करने और राहत के लिए कदम उठाए जाएंगे.पुराने बांधों को मरम्मत के लिए मांगा गया एक्शन प्लान: कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि पलामू प्रमंडल के तीनों जिलों से पुराने बांधों को मरम्मत के लिए अधिकारियों से एक्शन प्लान मांगा गया है. उन्होंने कहा कि पलामू जिला के पास कोई भी अतिरिक्त फंड नहीं है. पलामू डीसी से पूरे मामले में पुराने बांधों को जीर्णोद्धार करने आपदा प्रबंधन को लेकर एक एक्शन प्लान मांगा है. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने किसानों से राज्य फसल राहत योजना में रजिस्ट्रेशन करवाने की अपील की है, ताकि सुखाड़ जैसे हालात में किसानों को मुआवजा मिल सके. इस योजना के माध्यम से 30 से 40 प्रतिशत तक फसलों के नुकसान होने पर प्रति एकड़ तीन हजार रुपये से अधिकतम 15 हजार रुपये मुआवजे का प्रावधान है. जिन किसानों के पास जमीन के कागजात नहीं है वह भी इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. रजिस्ट्रेशन पूरी तरह से ऑनलाइन होगा.कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि पलामू प्रमंडल में बारिश नहीं होने के कारण स्थिति विकट है, 30 वर्ष पहले पलामू में रेलवे वैकेंसी मवेशी कोरियर चारा पहुंचा था, जबकि रेलवे टैंकर से भी पानी मंगवाया गया था. अगले 10 दिनों में बारिश नहीं हुई तो स्थिति इसी तरह होने की आशंका है. राज्य की सरकार पूरे मामले को लेकर गंभीर है और हर एक बिंदु पर नजर रखी जा रही है. पलामू प्रमंडल में 1992-93 में भीषण अकाल पड़ा था, हालात को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को आना पड़ा था.

पलामू: झारखंड में अकाल को लेकर 30 वर्ष पहले जो परिस्थितियां पैदा हुई थी और अधिकारियों ने जो आकलन किया था, उसी तरह के हालात वर्तमान की परिस्थितियां बन रही है. यानि एक बार फिर से झारखंड में 1992-93 जैसे अकाल की आशंका है. अगले 10 दिनों में अच्छी बारिश नहीं होती है तो स्थिति चुनौतीपूर्ण होने वाली है. यह बात राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने पलामू में कही. पलामू प्रमंडल में बारिश के हालात को लेकर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने शुक्रवार को गढ़वा पलामू का औचक निरीक्षण किया.

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पलामू में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि झारखंड में बारिश के हालात को लेकर और खासकर पलामू प्रमंडल के हालात को लेकर वे चिंतित हैं. गुरुवार को विभागीय समीक्षा के दौरान उन्होंने पाया कि पलामू प्रमंडल के हालात चुनौतीपूर्ण हैं, जिसके बाद उन्होंने इलाके में निरीक्षण का निर्णय लिया. उन्होंने तीनो जिलों के अधिकारियों से स्थिति से निबटने के लिए एक एक्शन प्लान मांगा है. उन्होंने बताया कि 2017 में भी पलामू के कई प्रखंडों को सुखाड़ घोषित किया गया था, लेकिन मामले में देरी के कारण केंद्र सरकार ने मुआवजा देने को लेकर सुस्ती अपनाई थी और किसानों को राहत नहीं मिल पाया था. इस बार उन्होंने अधिकारियों को समय पर सभी रिपोर्ट और प्रतिवेदन तैयार करने को कहा है.

बादल पत्रलेख, कृषि मंत्री
हालात को लेकर 26 जुलाई को सभी एक्सपर्ट के साथ होगी बैठक: कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि झारखंड में बारिश के हालात को लेकर 26 जुलाई को सभी एक्सपर्ट के साथ वह बैठक करेंगे. बैठक में सभी विभागों के प्रमुख मौजूद रहेंगे. उन्होंने कहा कि पलामू और गढ़वा की हालात चुनौतीपूर्ण है. जिलों में औसत से 83 प्रतिशत कम बारिश हुई है, गढ़वा में एक प्रतिशत जबकि पलामू में एक प्रतिशत से भी कम धनरोपनी हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार पूरे हालातों पर नजर रखे हुए है, एक्सपोर्ट की रिपोर्ट और अधिकारियों की रिपोर्ट के बाद सुखाड़ घोषित करने और राहत के लिए कदम उठाए जाएंगे.पुराने बांधों को मरम्मत के लिए मांगा गया एक्शन प्लान: कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि पलामू प्रमंडल के तीनों जिलों से पुराने बांधों को मरम्मत के लिए अधिकारियों से एक्शन प्लान मांगा गया है. उन्होंने कहा कि पलामू जिला के पास कोई भी अतिरिक्त फंड नहीं है. पलामू डीसी से पूरे मामले में पुराने बांधों को जीर्णोद्धार करने आपदा प्रबंधन को लेकर एक एक्शन प्लान मांगा है. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने किसानों से राज्य फसल राहत योजना में रजिस्ट्रेशन करवाने की अपील की है, ताकि सुखाड़ जैसे हालात में किसानों को मुआवजा मिल सके. इस योजना के माध्यम से 30 से 40 प्रतिशत तक फसलों के नुकसान होने पर प्रति एकड़ तीन हजार रुपये से अधिकतम 15 हजार रुपये मुआवजे का प्रावधान है. जिन किसानों के पास जमीन के कागजात नहीं है वह भी इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. रजिस्ट्रेशन पूरी तरह से ऑनलाइन होगा.कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि पलामू प्रमंडल में बारिश नहीं होने के कारण स्थिति विकट है, 30 वर्ष पहले पलामू में रेलवे वैकेंसी मवेशी कोरियर चारा पहुंचा था, जबकि रेलवे टैंकर से भी पानी मंगवाया गया था. अगले 10 दिनों में बारिश नहीं हुई तो स्थिति इसी तरह होने की आशंका है. राज्य की सरकार पूरे मामले को लेकर गंभीर है और हर एक बिंदु पर नजर रखी जा रही है. पलामू प्रमंडल में 1992-93 में भीषण अकाल पड़ा था, हालात को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को आना पड़ा था.
Last Updated : Jul 22, 2022, 6:06 PM IST
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