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नक्सल प्रभावित इलाकों में फेल हुई बाइक एंबुलेस योजना ,दोबारा शुरुआत करने की कोशिश में विभाग - bike ambulance scheme

पलामू में नक्सल प्रभावित इलाके में मुठभेड़ में जख्मी जवान और ग्रामीणों को अस्पतालों तक पंहुचाने के लिए बाइक एंबुलेंस की तैनाती की गई थी. लेकिन पिछले 4 सालों में ये योजना दम तोड़ती नजर आर रही थी. लोगों की सुविधा का ख्याल रखते हुए पुलिस फिर इसे एक्टिव करने की तैयारी में है.

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बाइक ऐंबुलेंस योजना फेल
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Published : Mar 13, 2022, 10:42 AM IST

Updated : Mar 13, 2022, 11:50 AM IST

पलामू: 2017-18 में नक्सल प्रभावित इलाकों में मुठभेड़ में जख्मी जवान और ग्रामीणों को अस्पतालों तक पंहुचाने के लिए बाइक एम्बुलेंस की तैनाती की गई थी. शुरुआत में इस योजना का लाभ लोगों को तो मिला लेकिन धीरे धीरे स्थिति पुरानी व्यवस्था पर लौट गई है. इन 4 सालों में कितने ग्रामीणों को बाइक ऐंबुलेंस की सुविधा मिली इसका डाटा किसी के पास नहीं है. पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के पास ऐंबुलेंस तो है लेकिन धूल फांक रहा है.

ये भी पढे़ं- फर्जी चालान और हस्ताक्षर से 148 खाद बीज दुकानों का लाइसेंस हुआ रिन्यू, लाखों का गबन, FIR दर्ज

खड़े खड़े खराब हो गए कई ऐंबुलेंस
पूरे झारखंड में सबसे पहले लातेहार के मटलौंग में बाइक एंबुलेंस की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत अति नक्सल प्रभावित इलाके के गर्भवती महिला बीमार व्यक्ति को अस्पताल तक पहुंचाया जाना था. बाइक पर एक बेड लगाकर एंबुलेंस का स्वरूप दिया गया था. पलामू सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल कुमार सिंह बताते हैं कि सरकार एक बार फिर से बाइक एंबुलेंस को एक्टिव करने की सोच रही है. लेकिन इसके संचालन में एक बड़ी चुनौती है शॉकर बैठ जाने के कारण दुर्घटना का डर लगा रहता है. उन्होंने बताया कि बाइक एंबुलेंस की रीमॉडलिंग की पहल की जा रही है. विभाग इसके लिए कार्य कर रहा है और इसके शुरुआत हो जाने से गर्भवती महिलाएं और ग्रामीण इलाके के बीमार बच्चों समेत अन्य लोगों को काफी फायदा होगा.

देखें वीडियो
तैनाती की होगी समीक्षानक्सल प्रभावित इलाके में बाइक एंबुलेंस की तैनाती की समीक्षा की जाएगी. टॉप पुलिस अधिकारी बाइक एंबुलेंस की अब की समीक्षा करेंगे. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि यह योजना काफी अच्छी है सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में इससे लोगों को फायदा होगा. उन्होंने बताया कि पुलिस एक बार फिर से इसे एक्टिव करने वाली है. पलामू रेंज के सभी पुलिस अनुमंडल में एक एक बाइक एंबुलेंस है जबकि स्वास्थ विभाग के पास एक दर्जन से अधिक बाइक एंबुलेंस मौजूद है.

पलामू: 2017-18 में नक्सल प्रभावित इलाकों में मुठभेड़ में जख्मी जवान और ग्रामीणों को अस्पतालों तक पंहुचाने के लिए बाइक एम्बुलेंस की तैनाती की गई थी. शुरुआत में इस योजना का लाभ लोगों को तो मिला लेकिन धीरे धीरे स्थिति पुरानी व्यवस्था पर लौट गई है. इन 4 सालों में कितने ग्रामीणों को बाइक ऐंबुलेंस की सुविधा मिली इसका डाटा किसी के पास नहीं है. पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के पास ऐंबुलेंस तो है लेकिन धूल फांक रहा है.

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खड़े खड़े खराब हो गए कई ऐंबुलेंस
पूरे झारखंड में सबसे पहले लातेहार के मटलौंग में बाइक एंबुलेंस की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत अति नक्सल प्रभावित इलाके के गर्भवती महिला बीमार व्यक्ति को अस्पताल तक पहुंचाया जाना था. बाइक पर एक बेड लगाकर एंबुलेंस का स्वरूप दिया गया था. पलामू सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल कुमार सिंह बताते हैं कि सरकार एक बार फिर से बाइक एंबुलेंस को एक्टिव करने की सोच रही है. लेकिन इसके संचालन में एक बड़ी चुनौती है शॉकर बैठ जाने के कारण दुर्घटना का डर लगा रहता है. उन्होंने बताया कि बाइक एंबुलेंस की रीमॉडलिंग की पहल की जा रही है. विभाग इसके लिए कार्य कर रहा है और इसके शुरुआत हो जाने से गर्भवती महिलाएं और ग्रामीण इलाके के बीमार बच्चों समेत अन्य लोगों को काफी फायदा होगा.

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तैनाती की होगी समीक्षानक्सल प्रभावित इलाके में बाइक एंबुलेंस की तैनाती की समीक्षा की जाएगी. टॉप पुलिस अधिकारी बाइक एंबुलेंस की अब की समीक्षा करेंगे. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि यह योजना काफी अच्छी है सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में इससे लोगों को फायदा होगा. उन्होंने बताया कि पुलिस एक बार फिर से इसे एक्टिव करने वाली है. पलामू रेंज के सभी पुलिस अनुमंडल में एक एक बाइक एंबुलेंस है जबकि स्वास्थ विभाग के पास एक दर्जन से अधिक बाइक एंबुलेंस मौजूद है.
Last Updated : Mar 13, 2022, 11:50 AM IST
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