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जब नक्सलियों ने CRPF जवान के पेट में प्लांट किया था बम, 72 घंटे चली थी मुठभेड़, 13 सुरक्षाकर्मी हुए थे शहीद

पलामू के बूढ़ा पहाड़ इलाके में जनवरी 2013 में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ (Encounter between security forces and naxalites) हुई थी. इस मुठभेड़ के दौरान 72 घंटे तक सुरक्षाबल फंसे रहे, जिसमें 13 जवानों की मौत हो गई थी. सुरक्षाबलों के हेलीकॉप्टर को नुकसान पहुंचाने को लेकर जवान के शव में भी विस्फोटक प्लांट किया था.

CRPF was trapped in clutches of Maoists
बूढ़ा पहाड़ इलाके में 72 घंटे तक माओवादियों के चंगुल में फंसे थे सीआरपीएफ
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Published : Sep 24, 2022, 5:30 PM IST

पलामूः झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ पर अब सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया है. लेकिन यह इलाका माओवादियों का गढ़ माना जाता है और साल 2013 में इस इलाके को माओवादियों का यूनिफाइड कमांड बनाया था. बूढ़ा पहाड़ से माओवादियों को खत्म करने को लेकर सुरक्षाबलों की ओर से बड़ा ऑपरेशन शुरू किया गया, जिसका नाम था ऑपरेशन सामना. इस ऑपरेशन के दौरान 72 घंटे तक सुरक्षाबल माओवादियों के चंगुल में फंस गए. इस दौरान नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ (Encounter between security forces and naxalites) हुई, जिसमें 13 जवानों की मौत हो गई थी. इसके साथ ही चार ग्रामीणों की भी जान गई थी. इस मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों ने सीआरपीएफ के एक जवान के पेट में बम लगा दिया था. इस घटना के बाद देश ने माओवादियों के खौफनाक चेहरे देखा था.

यह भी पढ़ेंः 2011 में हुआ था तालिबानी नक्सली हमला, 11 पुलिसकर्मियों की हुई थी मौत, कोर्ट में चल रहा ट्रायल

सुरक्षाबलों ने शुरू किया था ऑपरेशन सामनाः लातेहार के कटिया मुठभेड़ को लेकर मनिका थाना में दो अलग अलग प्राथमिकी दर्ज की गई. मनिका थाने के तत्कालीन थानेदार रवि संजय टोप्पो के बयान पर 1/13 दर्ज किया गया था. वहीं, सब इंस्पेक्टर रामदेव राम के बयान पर 2/13 दर्ज किया गया. प्राथमिकी में बताया गया कि कटिया के इलाके में टॉप माओवादी अरविंद, अनूप और मनोहर के नेतृत्व में 400 नक्सली सक्रिय हैं. इस सूचना के आधार पर सीआरपीएफ के 11 बटालियन, 112 बटालियन, 134 बटालियन, जगुआर और जिला बल की टीम ने 7 जनवरी 2013 को सर्च ऑपरेशन शुरू किया. ऑपरेशन के दौरान सुबह 11ः30 बजे कटिया में माओवादियों ने सुरक्षाबलों पर हमला किया. माओवादियों के हमले के बाद सुरक्षाबल 72 घंटे तक फंसे रहे. इस हमले में 13 जवान शहीद हुए थे और चार आम ग्रामीणों की भी मौत हुई थी. 72 घंटे तक चले ऑपरेशन को लेकर पुलिस ने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की थी. इस प्राथमिकी में 59 नामजद सहित 400 अज्ञात माओवादियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147/ 148/ 149/ 353/ 302/ 307/ 379/ 17, सीएलए एक्ट, यूएपीए, आर्म्स एक्ट 3/4/5 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. एफआईआर का अनुसंधान एसडीपीओ मणिलाल मंडल और नितिन खंडेलवाल ने किया था.

कई बार हुआ था मुठभेड़ः कटिया के इलाके में माओवादियों के खिलाफ सीआपीएफ अस्सिटेंट कमांडेंट लोकेश बाबू, योगेश कुमार मीणा, रवि राज, पवन कुमार के नेतृत्व में ऑपरेशन शुरू किया गया था. ऑपरेशन के पहले दिन ही माओवादियों ने सुरक्षाबलों को घेर लिया था और सीरीज में लैंडमाइंस विस्फोट करने के साथ साथ फायरिंग की थी. पहले दिन देर रात तक मुठभेड़ चली. 8 जनवरी 2013 को एक बार फिर से ऑपरेशन शुरू किया गया था. ऑपरेशन के दौरान सीआरपीएफ 134 बटालियन के सब इंस्पेक्टर प्रदीप यादव, हवलदार रहीतार सिंह, कांस्टेबल सुनील कुमार, यशवीर सिंह और झारखंड जगुआर के सिपाही मुकेश कुमार शर्मा का शव बरामद हुआ था. सीआरपीएफ 11 बटालियन के एएसआई एके शर्मा, तारीक अहमद, गोविंद चंद्र गिरी, तिलक राज, विश्वनाथ सिंह भदोरिया, चंद्रकांत सिंह, नरेश कुमार, संजय वानखेडे, 134 बटालियन के प्रभाकर दुबे, एजी हजारिका, विपिन कुमार, महेश कुमार, सुबोध साहू और झारखंड जगुआर के मनोज कुमार और सुनील बड़ा गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे. इसके साथ ही ऑपरेशन में शामिल 112 बटालियन के सुधीर कुमार, बाबूलाल पटेल, चंपालाल मालवीय, बैजनाथ किस्कू, शंकरलाल चौधरी के शव नहीं मिले थे. जख्मी जवानों को वापस लाने के दौरान नक्सलियों ने एक बार फिर से सुरक्षाबलों पर हमला किया था.

विस्फोट में मारे गए थे चार ग्रामीणः 9 जनवरी 2013 को सुरक्षाबलों ने फिर से ऑपरेशन शुरू किया था. ऑपरेशन के दौरान अमवा टीकर के जंगल में सुरक्षाबलों ने सीआपीएफ जवान बैजनाथ किस्कू का शव देखा. उस घटनास्थल पर चार ग्रामीण भी विस्फोट की चपेट में आए थे, जिनकी मौत हो गई थी. गंभीर रूप से घायल ग्रामीण ने सुरक्षाबलों को बताया कि जख्मी जवान को देखने पहुंचे थे. जवान के शव को पलटते ही विस्फोट हो गया. इस विस्फोट में गन्नू सिंह सहित चार ग्रामीण मारे गए थे. सुरक्षा बल जब आगे बढ़े तो जवान बाबूलाल पटेल, चंपालाल मालवीय और शंकर चौधरी का शव बरामद हुआ. सुरक्षाबल सभी के शव को लेकर वापस बेस कैंप लौटे थे. रिम्स में पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टरों ने देखा कि जवान बाबूलाल पटेल के पेट में माओवादियों ने बम प्लांट किया था.

माओवादी इंद्रजीत ने शहीद जवान के पेट में लगाया था बमः पुलिस ने इस घटना से जुड़े हुए कई माओवादियों को गिरफ्तार किया. पुलिस के अनुसंधान से पता चला कि शहीद जवान बाबूलाल पटेल के पेट में माओवादी इंद्रजीत यादव ने बम प्लांट किया था. इंद्रजीत यादव उर्फ कपिल उर्फ श्याम बिहार के गया के डुमरिया थाना क्षेत्र के महुलिया का रहने वाला था. इंद्रजीत ने टॉप मामा जी आरके उर्फ अनुराग के साथ मिलकर यह बम प्लांट किया था. माओवादियों की योजना थी कि पेट में बम प्लांट कर सुरक्षाबलों के हेलीकॉप्टर को नुकसान पहुंचाई जाए.



पांच हजार राउंड से अधिक हुई थी फायरिंगः कटिया घटना में सीआरपीएफ 134 बटालियन के जवान देवराज गुर्जर ने बहादुरी दिखाई थी. 72 घंटे तक उसने माओवादियों से मुठभेड़ किया और सुरक्षाबलों के कई हथियार को माओवादियों से बचाया. हालांकि इस दौरान माओवादियों ने सुरक्षाबलों से इजराइली हथियार एक्स 95 सहित 1100 गोलियां लूट लिए थे. पुलिस के अनुसंधान में इस बात का जिक्र है कि इस दौरान सुरक्षाबलों की तरफ से करीब पांच राउंड फायरिंग की गई थी।

60 से अधिक के खिलाफ दाखिल किया गया था आरोप पत्रः पुलिस ने इस अनुसंधान को छह वर्षों में पूरा किया. एसडीपीओ बालूमाथ नितिन खंडेलवाल 4 दिसंबर 2019 को आरोप पत्र समर्पित किया था. आरोपपत्र में 60 माओवादियों को दोषी माना गया था. हालांकि, इस अनुसंधान में 12 आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य की कमी पाई गई थी, जबकि सात आरोपियों का पता सत्यापित नहीं हो पाया था. टॉप माओवादियो में देव कुमार सिंह उर्फ अरविंद, इंद्रजीत, बड़ा विकास, बिरसाय, नकुल, बादल, आजाद, प्रभात, संतोष, मुनेश्वर, मनोहर, प्रपात, उमेश यादव, सौरव, रौशन,अंकित, संदीप, चार्लिस, वीरेंद्र यादव, मुनीर, गोपाल, कविता, अनीता, रूबी, मीनाक्षी, बालेश्वर सहित 60 से अधिक माओवादियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था.

पलामूः झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ पर अब सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया है. लेकिन यह इलाका माओवादियों का गढ़ माना जाता है और साल 2013 में इस इलाके को माओवादियों का यूनिफाइड कमांड बनाया था. बूढ़ा पहाड़ से माओवादियों को खत्म करने को लेकर सुरक्षाबलों की ओर से बड़ा ऑपरेशन शुरू किया गया, जिसका नाम था ऑपरेशन सामना. इस ऑपरेशन के दौरान 72 घंटे तक सुरक्षाबल माओवादियों के चंगुल में फंस गए. इस दौरान नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ (Encounter between security forces and naxalites) हुई, जिसमें 13 जवानों की मौत हो गई थी. इसके साथ ही चार ग्रामीणों की भी जान गई थी. इस मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों ने सीआरपीएफ के एक जवान के पेट में बम लगा दिया था. इस घटना के बाद देश ने माओवादियों के खौफनाक चेहरे देखा था.

यह भी पढ़ेंः 2011 में हुआ था तालिबानी नक्सली हमला, 11 पुलिसकर्मियों की हुई थी मौत, कोर्ट में चल रहा ट्रायल

सुरक्षाबलों ने शुरू किया था ऑपरेशन सामनाः लातेहार के कटिया मुठभेड़ को लेकर मनिका थाना में दो अलग अलग प्राथमिकी दर्ज की गई. मनिका थाने के तत्कालीन थानेदार रवि संजय टोप्पो के बयान पर 1/13 दर्ज किया गया था. वहीं, सब इंस्पेक्टर रामदेव राम के बयान पर 2/13 दर्ज किया गया. प्राथमिकी में बताया गया कि कटिया के इलाके में टॉप माओवादी अरविंद, अनूप और मनोहर के नेतृत्व में 400 नक्सली सक्रिय हैं. इस सूचना के आधार पर सीआरपीएफ के 11 बटालियन, 112 बटालियन, 134 बटालियन, जगुआर और जिला बल की टीम ने 7 जनवरी 2013 को सर्च ऑपरेशन शुरू किया. ऑपरेशन के दौरान सुबह 11ः30 बजे कटिया में माओवादियों ने सुरक्षाबलों पर हमला किया. माओवादियों के हमले के बाद सुरक्षाबल 72 घंटे तक फंसे रहे. इस हमले में 13 जवान शहीद हुए थे और चार आम ग्रामीणों की भी मौत हुई थी. 72 घंटे तक चले ऑपरेशन को लेकर पुलिस ने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की थी. इस प्राथमिकी में 59 नामजद सहित 400 अज्ञात माओवादियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147/ 148/ 149/ 353/ 302/ 307/ 379/ 17, सीएलए एक्ट, यूएपीए, आर्म्स एक्ट 3/4/5 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. एफआईआर का अनुसंधान एसडीपीओ मणिलाल मंडल और नितिन खंडेलवाल ने किया था.

कई बार हुआ था मुठभेड़ः कटिया के इलाके में माओवादियों के खिलाफ सीआपीएफ अस्सिटेंट कमांडेंट लोकेश बाबू, योगेश कुमार मीणा, रवि राज, पवन कुमार के नेतृत्व में ऑपरेशन शुरू किया गया था. ऑपरेशन के पहले दिन ही माओवादियों ने सुरक्षाबलों को घेर लिया था और सीरीज में लैंडमाइंस विस्फोट करने के साथ साथ फायरिंग की थी. पहले दिन देर रात तक मुठभेड़ चली. 8 जनवरी 2013 को एक बार फिर से ऑपरेशन शुरू किया गया था. ऑपरेशन के दौरान सीआरपीएफ 134 बटालियन के सब इंस्पेक्टर प्रदीप यादव, हवलदार रहीतार सिंह, कांस्टेबल सुनील कुमार, यशवीर सिंह और झारखंड जगुआर के सिपाही मुकेश कुमार शर्मा का शव बरामद हुआ था. सीआरपीएफ 11 बटालियन के एएसआई एके शर्मा, तारीक अहमद, गोविंद चंद्र गिरी, तिलक राज, विश्वनाथ सिंह भदोरिया, चंद्रकांत सिंह, नरेश कुमार, संजय वानखेडे, 134 बटालियन के प्रभाकर दुबे, एजी हजारिका, विपिन कुमार, महेश कुमार, सुबोध साहू और झारखंड जगुआर के मनोज कुमार और सुनील बड़ा गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे. इसके साथ ही ऑपरेशन में शामिल 112 बटालियन के सुधीर कुमार, बाबूलाल पटेल, चंपालाल मालवीय, बैजनाथ किस्कू, शंकरलाल चौधरी के शव नहीं मिले थे. जख्मी जवानों को वापस लाने के दौरान नक्सलियों ने एक बार फिर से सुरक्षाबलों पर हमला किया था.

विस्फोट में मारे गए थे चार ग्रामीणः 9 जनवरी 2013 को सुरक्षाबलों ने फिर से ऑपरेशन शुरू किया था. ऑपरेशन के दौरान अमवा टीकर के जंगल में सुरक्षाबलों ने सीआपीएफ जवान बैजनाथ किस्कू का शव देखा. उस घटनास्थल पर चार ग्रामीण भी विस्फोट की चपेट में आए थे, जिनकी मौत हो गई थी. गंभीर रूप से घायल ग्रामीण ने सुरक्षाबलों को बताया कि जख्मी जवान को देखने पहुंचे थे. जवान के शव को पलटते ही विस्फोट हो गया. इस विस्फोट में गन्नू सिंह सहित चार ग्रामीण मारे गए थे. सुरक्षा बल जब आगे बढ़े तो जवान बाबूलाल पटेल, चंपालाल मालवीय और शंकर चौधरी का शव बरामद हुआ. सुरक्षाबल सभी के शव को लेकर वापस बेस कैंप लौटे थे. रिम्स में पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टरों ने देखा कि जवान बाबूलाल पटेल के पेट में माओवादियों ने बम प्लांट किया था.

माओवादी इंद्रजीत ने शहीद जवान के पेट में लगाया था बमः पुलिस ने इस घटना से जुड़े हुए कई माओवादियों को गिरफ्तार किया. पुलिस के अनुसंधान से पता चला कि शहीद जवान बाबूलाल पटेल के पेट में माओवादी इंद्रजीत यादव ने बम प्लांट किया था. इंद्रजीत यादव उर्फ कपिल उर्फ श्याम बिहार के गया के डुमरिया थाना क्षेत्र के महुलिया का रहने वाला था. इंद्रजीत ने टॉप मामा जी आरके उर्फ अनुराग के साथ मिलकर यह बम प्लांट किया था. माओवादियों की योजना थी कि पेट में बम प्लांट कर सुरक्षाबलों के हेलीकॉप्टर को नुकसान पहुंचाई जाए.



पांच हजार राउंड से अधिक हुई थी फायरिंगः कटिया घटना में सीआरपीएफ 134 बटालियन के जवान देवराज गुर्जर ने बहादुरी दिखाई थी. 72 घंटे तक उसने माओवादियों से मुठभेड़ किया और सुरक्षाबलों के कई हथियार को माओवादियों से बचाया. हालांकि इस दौरान माओवादियों ने सुरक्षाबलों से इजराइली हथियार एक्स 95 सहित 1100 गोलियां लूट लिए थे. पुलिस के अनुसंधान में इस बात का जिक्र है कि इस दौरान सुरक्षाबलों की तरफ से करीब पांच राउंड फायरिंग की गई थी।

60 से अधिक के खिलाफ दाखिल किया गया था आरोप पत्रः पुलिस ने इस अनुसंधान को छह वर्षों में पूरा किया. एसडीपीओ बालूमाथ नितिन खंडेलवाल 4 दिसंबर 2019 को आरोप पत्र समर्पित किया था. आरोपपत्र में 60 माओवादियों को दोषी माना गया था. हालांकि, इस अनुसंधान में 12 आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य की कमी पाई गई थी, जबकि सात आरोपियों का पता सत्यापित नहीं हो पाया था. टॉप माओवादियो में देव कुमार सिंह उर्फ अरविंद, इंद्रजीत, बड़ा विकास, बिरसाय, नकुल, बादल, आजाद, प्रभात, संतोष, मुनेश्वर, मनोहर, प्रपात, उमेश यादव, सौरव, रौशन,अंकित, संदीप, चार्लिस, वीरेंद्र यादव, मुनीर, गोपाल, कविता, अनीता, रूबी, मीनाक्षी, बालेश्वर सहित 60 से अधिक माओवादियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था.

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