जमशेदपुर: मैच पर सट्टा लगा कर लाखों कमाने के चक्कर में जिले के युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है. सट्टा बाजार का ट्रेंड तेजी से बदल रहा है. क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी और अन्य खेल को लेकर सट्टा बाजार में बोली लगती है. राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले कार्यक्रम में हार-जीत को लेकर भी सबसे अधिक जुआ सट्टा का बाजार गर्म रहता है.
29 अगस्त 2018 टेल्को थाना क्षेत्र के गरुड़ बासा में संदीप नाम के युवक ने क्रिकेट में सट्टा लगाया था. इस कारण घर से 300 मीटर की दूरी पर पेड़ पर फंदा के सहारे आत्महत्या कर लिया. संदीप ने एक मैच पर 80,000 रुपए दांव लगाया था. टीम हार गई थी और उसके रुपए डूब गए. इसी कारण उसने फांसी लगाकर जान दे दी.
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24 अक्टूबर 2014 साकची थाना अंतर्गत गरम नाला के शंभू सिंह ने घर में पंखा के सहारे लटक कर आत्महत्या कर ली थी. मृतक चालक का काम करता था. 15 जुलाई 2015 को नितिन खेरवाल ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. वो मैच में सट्टा लगा रहा था और लगातार मैच में हार होने की वजह से वो कर्जदार हो गया था. इस तनाव में उसने आत्महत्या कर ली थी. इस घटना के बाद साकची थाना पुलिस ने कई जगह छापेमारी कर सट्टेबाजों का खुलासा किया था.
आज कल के युवा लालच में आकर शॉर्ट-टर्म का रास्ता अपनाते हैं. जिला पुलिस लगातार इन मामलों पर केस दर्ज करवाती है. कुछ दिनों पूर्व साकची थाना अंतर्गत आईपीएल सट्टे को लेकर कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
सिटी एसपी प्रभात कुमार ने कहा कि जो युवा सट्टा खेलते हैं, सबसे बड़ी बात इसमें यह है कि इसमें कहीं जाने की जरूरत नहीं है, स्मार्ट फोन में ऐप के माध्यम से सट्टा लगा सकते हैं. जिला पुलिस के लिए इसे रोकना चुनौती पूर्ण है.
वहीं, अध्यपाक नाथुन राय का मानना है कि वर्तमान की नई पीढ़ी जल्द-से-जल्द आगे बढ़ना चाहती है, लेकिन मेहनत नहीं करना चाहती है. इसके कारण आधरभूत जानकारी पूरी नहीं हो पाती है, जिससे बाद के समय में परेशान होना पड़ता है. दूसरों के प्रतिस्पर्धा में आज के युवा, सट्टा खेलने लगे हैं.
बहरहाल वर्तमान की नई पीढ़ी आसमान छूने के लिए मेहनतकश नहीं बनना चाहती है. कम समय में गलत रास्तों से बुलंदी तक पहुंचना चाहती है, जिसमें सिर्फ धोखा मिलता है.