घाटशिला/पूर्वी सिंहभूम: पूर्वी सिंहभूम के मुसाबनी प्रखंड के बदिया गांव के रहने वाले शेख शमरूद्दीन पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को कभी नहीं भूल पाएंगे. क्योंकि आज उनका बेटा मो. जावेद उनके साथ है तो इसकी बड़ी वजह सुषमा स्वराज हैं. चार साल तक सऊदी अरब में फंसे होने के बाद मो. जावेद की वतन वापसी विदेश मंत्री के तौर पर सुषमा स्वराज की पहल पर ही संभव हो पाई.
इसी तरह मुसाबनी के एक और व्यक्ति इलियास भी काम करने के दौरान कुवैत में फंसे हुए थे. उनकी भी मदद के लिए पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पहल की थी. शेख शमरूद्दीन का बेटा मो. जावेद वर्ष 2013 में सऊदी अरब काम करने गया था. लेकिन वहां कंपनी के मालिक ने उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया. पासपोर्ट जब्त होने के कारण जावेद वतन नहीं लौट पा रहा था. इसी तरह चार साल गुजर गये, एक दिन उसने घरवालों से अपनी पीड़ा बतायी. इसके बाद पिता शेख शमरूद्दीन ने स्थानीय सांसद विद्युत वरण महतो के माध्यम से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से गुहार लगायी.
ये भी पढ़ें- RJD चलाएगा सदस्यता अभियान, 5 लाख नए सदस्य जोड़ने का लक्ष्य
अब देश में ही काम कर रहे हैं जावेद
सुषमा स्वराज ने पत्र के माध्यम से शमरूद्दीन को भरोसा दिलाया कि उनका बेटा अवश्य घर लौटेगा. सुषमा स्वराज की पहल पर चार महीने बाद मो. जावेद घर लौट आया. घर में उनके माता-पिता, उनकी बीवी और तीन बच्चे हैं. फिलहाल जावेद पुणे में एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे हैं.
'गरीबों का मसीहा थीं सुषमा'
आज यह परिवार पूर्व विदेश मंत्री के आकस्मिक निधन पर दुखी है. शेख शमरूद्दीन कहते हैं कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उनका बेटा कभी घर लौट पाएगा. लेकिन सुषमा स्वराज की पहल के चलते ही जावेद घर लौट गया. शमरूद्दीन की माने तो गरीबों की मसीहा इस दुनिया से चली गईं. मो. जावेद ने भी सुषमा स्वराज के निधन पर दुख जताया. उन्होंने कहा कि आज वह परिवार के साथ हैं, तो यह सुषमा स्वराज के चलते ही संभव हो पाया.
शेख इलियास के बाहर राज्य में काम करने के लिए गए इसलिए बात नहीं हो पाई. उनके आसपास के लोगों ने बताया कि मंत्री के इस पहल की उसने काफी तारीफ करते हुए उन्हें गरीबों की मसीहा कहा. बता दें कि मंगलवार रात दिल्ली के एम्स में दिल का दौरा पड़ने से सुषमा स्वराज का निधन हो गया. वह 67 साल की थीं. देश के विदेश मंत्री और दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर पर उनके कामों को लोग सदा याद रखेंगे.