जमशेदपुरः लॉकडाउन में गुजरात के मोरबी में फंसे प्रवासी मजदूर स्पेशल ट्रेन से देर शाम टाटानगर स्टेशन पहुंचे. यहां मजदूरों का थर्मल स्क्रीनिंग कर उन्हें बस के जरिये उनके जिले तक भेजा गया है. पूर्वी सिंहभूम जिला उपायुक्त ने बताया है कि मोरबी से 1,200 के लगभग प्रवासी मजदूर आये हैं. आगामी दिनों में अन्य कई राज्यों से प्रवासी मजदूर टाटानगर आएंगे.
कोरोना महामारी को लेकर देश में किए गए लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों को उनके प्रदेश तक ट्रेन के जरिए भेजा जा रहा है, जिसके तहत टाटानगर में तीसरे चरण में गुजरात के मोरबी से 1,225 प्रवासी मजदूर स्पेशल ट्रेन से रविवार की देर शाम पहुंचे. मौसम खराब होने के कारण मजदूरों को स्टेशन से बाहर बस तक पहुंचने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ा.
देर शाम प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर प्रवासी मजदूरों को लेकर ट्रेन पहुंची. पूर्वी सिंहभूम जिला उपायुक्त की निगरानी में मजदूरों को कोच से क्रमवार सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए बाहर निकाला गया.
खाने के पैकेट और पानी की बोतल दी गईं
मजदूरों के आगमन को लेकर जिला प्रशासन ने पूरी तैयारी कर रखी थी, जिसके तहत मजदूरों का थर्मल स्क्रीनिंग कर उन्हें खाने के पैकेट पानी की बोतल दी गईं. इधर ट्रेन के आगमन से पहले रेलवे सिविल डिफेंस द्वारा हम होंगे कामयाब गीत गाकर ड्यूटी में तैनात सभी लोगों की हौसला अफजाई की गई. मजदूरों के प्लेटफॉर्म से बाहर निकलते ही सिविल डिफेंस के सदस्यों ने प्रवासी मजदूरों को बस तक पहुंचाया.
ये भी पढ़ें- हजारीबाग में मिला एक और कोरोना पॉजिटिव मरीज, झारखंड में कुल संख्या 157
थर्मल स्क्रीनिंग के बाद बस से भेजा गया घर
इस दौरान टाटानगर स्टेशन में पुलिस प्रशासन के अलावा पूर्वी और पश्चिम सिंहभूम जिले के उपायुक्त के अलावा कई अधिकारी मौजूद रहे.
उपायुक्त रविशंकर शुक्ला ने बताया कि मोरबी से 1200 के लगभग प्रवासी मजदूर आये हैं जिनका थर्मल स्क्रीनिंग कर उन्हें खाने के पैकेट दिए गए हैं. सभी मजदूर पश्चिम सिंहभूम जिला के हैं. कुछ लातेहार और अन्य जिला के हैं, जिन्हें सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए बस के जरिये उनके जिले तक भेजने की व्यवस्था की गई है.
वहीं, प्रवासी मजदूरों ने बताया कि लॉकडाउन के कुछ दिन तक उन्हें खाने पीने में कोई परेशानी नहीं हुई, लेकिन कुछ दिन बाद जहां वे काम करते थे काम बंद होने के कारण उन्हें खाना मिलना बंद हो गया. काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है. मजदूरों ने कहा कि वो अब अपने घर जाकर खेती करेंगे, लेकिन वापस नहीं जाएंगे. मजदूरों ने बताया कि मोरबी में अभी भी ओडिशा-झारखंड के काफी संख्या में मजदूर फंसे हुए हैं.