जमशेदपुर: झारखंड के कई लोग अब भी ऐसे हैं जो दूसरे प्रदेशों में फंसे हुए हैं और काफी प्रयासों के बाद भी वे अपने शहर नहीं लौट पाए हैं. जमशेदपुर की कदमा निवासी सोनिया दास पिछले चार महीनों से मुंबई में फंसी हुई थी, जो बिना मदद के सड़क मार्ग से मुंबई से टाटा के लिए निकल गईं.
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फ्रेंड के पास रहने लगी
मुंबई में एक प्रोडक्शन हाउस में काम करने वाली सोनिया दास का पूरा परिवार कदमा के भाटिया बस्ती में रहता है. उनके पति अभिषेक घोष को दिल की बिमारी है, उनका एक पांच साल का बच्चा है. लॉकडाउन लग जाने के कारण वह मुंबई में फंस गई थी. उनके पास कोई काम नहीं होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई. रूम का किराया नहीं दे पाने की वजह से घर से निकाल दिया गया. इसके बाद वे पुणे में रहने वाली एक फ्रेंड साबिया के पास रहने चली गईं.
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नहीं मिली मदद
जमशेदपुर लौटने के लिए उन्होंने बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद से ट्वीट कर मदद मांगी. इसके साथ ही उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी ट्वीट किया, लेकिन उन्हें किसी तरह की मदद नहीं मिली. आखिरकार सोनिया ने वापसी के लिए खुद ही रास्ता तैयार किया. अपनी सहेली साबिया के साथ वे अपनी स्कूटी से ही जमशेदपुर के लिए निकल पड़ी. इसके लिए उन्होंने अपने कुछ परिचितों से 5,000 मांग कर इकट्ठा किए और वहां पर 21 जुलाई को उन्होंने 1,800 किलोमीटर का सफर शुरू किया. लगातार चलते हुए 22 जुलाई बुधवार की शाम वह रायपुर पहुंची. जहां उन्हें वहां के प्रसाशन ने किन्ही कारणों से रोक दिया. गुरुवार की शाम उन्हें वहां से छोड़ा गया, इसके बाद उन्होंने फिर से अपना सफर शुरू किया.
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शुक्रवार की शाम सोनिया अपनी फ्रेंड के साथ शहर पहुंची
उन्होंने बताया कि काफी प्रयासों के बाद जब उन्हें मदद नहीं मिली तो उन्होंने अपनी सहेली के साथ जमशेदपुर लौटने का मन बनाया. उन्होंने बताया कि कुछ लोगों ने उन्हें बताया था कि जमशेदपुर आने के लिए वाहन पास की जरूरत होगी. जिसके लिए स्थानीय उपायुक्त का आदेश जरूरी है. इस आदेश के लिए उन्होंने अपने पति को डीसी के पास भेजा था, लेकिन वहां से उन्हें वापस लौटा दिया गया. मदद नहीं मिलने के बाद वो खुद ही शहर के लिए निकल पड़ी. सोनिया ने बताया कि पांच साल का बच्चा है और पति की तबीयत ठीक नहीं रहने के कारण वे उसकी देखभाल नहीं कर पा रहे हैं. जमशेदपुर पहुंचने के बाद सोनिया खुद जिम्मेदारी के साथ प्रशासन को जानकारी देकर क्वॉरेंटाइन सेंटर पहुंची.