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Sarhul in Jamshedpur: धूमधाम से जमशेदपुर में मना सरहुल, आकर्षण का केंद्र रहा छऊ नृत्य

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Published : Apr 5, 2022, 8:37 AM IST

Updated : Apr 5, 2022, 8:52 AM IST

जमशेदपुर में धूमधाम से सरहुल पर्व मनाया गया. हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग सड़कों पर उतरे. लोगों ने पर्यारण संरक्षण का संदेश दिया. सरहुल जुलूस के आकर्षण का केंद्र छऊ नृत्य रहा.

sarhul celebrated in jamshedpur
sarhul celebrated in jamshedpur

जमशेदपुरः कोरोना काल के बाद सरहुल पर्व को आदिवासी समाज ने उत्साह के साथ मनाया. शहर के अलग अलग आदिवासी बहुल इलाके से पारंपरिक परिधान में समाज के लोगों ने ढोल, नगाड़े की थाप पर थिरकते हुए सरहुल का आनंद लिया. जबकि छऊ नृत्य आकर्षण का केंद्र बना रहा. समाज की महिलाओं का कहना है कि हम प्रकृति की पूजा कर पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने का संकल्प लेते हैं. मान्यता के अनुसार इस साल बारिश भी होगी और गर्मी का असर भी रहेगा.
ये भी पढ़ेंः सरहुल की शोभा यात्रा निकली मनमोहक झांकियां, आदिवासी संगीत पर जमकर थिरके लोग

प्रकृति की पूजा करने वाला आदिवासी समाज आज आधुनिक युग मे भी अपनी पुरानी परंपरा संस्कृति को बचाए रखने के लिए संकल्पित है. जमशेदपुर में कोरोना काल के बाद समाज के लोगों ने सरहुल पर्व को नए उत्साह के साथ मनाया. पूजा स्थल में पूजा अर्चना करने के बाद आदिवासी समाज की महिला पुरुष सड़कों पर पर निकले. ढोल, नगाड़े की थाप पर महिलाएं अपने अंदाज में एक दूसरे का हाथ पकड़ थिरकते नजर आईं. जबकि पुरुष भी अपनी भाषा के गीत पर थिरकते दिखे.


शहर के अलग अलग आदिवासी बहुल इलाके से हजारों की संख्या में सरहुल मनाने आदिवासी समाज उत्साह के साथ सड़कों पर निकला. देर शाम तक सरहुल का रंग देखने को मिला. माथे पर साल के फूल को लगाकर महिलाएं चल रही थी. महिलाओं ने कहा कि यह पर्व प्रकृति से जुड़ा हुआ है. इस पर्व के जरिये हम पर्यावरण को संतुलित बनाएं रखने का संकल्प लेते हैं. नए फूल फल के साथ पूजा कर हम अच्छी बारिश की कामना करते हैं. जबकि मान्यता के अनुसार इस साल पाहन ने यह संदेश दिया है कि बारिश भी होगी और गर्मी का असर भी रहेगा.

देखें पूरी खबर
झारखंड में सरहुल को विशेष रूप से मनाया जाता है. इस पर्व में समाज के लोगों के अलावा दूसरे समाज के लोग भी शामिल होकर एकता का संदेश देते हैं. वहीं समाज की इस पुरानी परंपरा को आज की पीढ़ी भी बचाये रखने के संकल्पित है. कॉलेज की छात्रा संगीता समद का कहना है कि अपनी इस परंपरा को आगे भी निभाएंगे. यह पर्व प्रकृति का पर्व है. इस साल सरहुल में छऊ नृत्य आकर्षण का केंद्र बना रहा. छऊ के कलाकारों ने जगह जगह नृत्य के जरिये अपनी कला का प्रदर्शन किया.

जमशेदपुरः कोरोना काल के बाद सरहुल पर्व को आदिवासी समाज ने उत्साह के साथ मनाया. शहर के अलग अलग आदिवासी बहुल इलाके से पारंपरिक परिधान में समाज के लोगों ने ढोल, नगाड़े की थाप पर थिरकते हुए सरहुल का आनंद लिया. जबकि छऊ नृत्य आकर्षण का केंद्र बना रहा. समाज की महिलाओं का कहना है कि हम प्रकृति की पूजा कर पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने का संकल्प लेते हैं. मान्यता के अनुसार इस साल बारिश भी होगी और गर्मी का असर भी रहेगा.
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प्रकृति की पूजा करने वाला आदिवासी समाज आज आधुनिक युग मे भी अपनी पुरानी परंपरा संस्कृति को बचाए रखने के लिए संकल्पित है. जमशेदपुर में कोरोना काल के बाद समाज के लोगों ने सरहुल पर्व को नए उत्साह के साथ मनाया. पूजा स्थल में पूजा अर्चना करने के बाद आदिवासी समाज की महिला पुरुष सड़कों पर पर निकले. ढोल, नगाड़े की थाप पर महिलाएं अपने अंदाज में एक दूसरे का हाथ पकड़ थिरकते नजर आईं. जबकि पुरुष भी अपनी भाषा के गीत पर थिरकते दिखे.


शहर के अलग अलग आदिवासी बहुल इलाके से हजारों की संख्या में सरहुल मनाने आदिवासी समाज उत्साह के साथ सड़कों पर निकला. देर शाम तक सरहुल का रंग देखने को मिला. माथे पर साल के फूल को लगाकर महिलाएं चल रही थी. महिलाओं ने कहा कि यह पर्व प्रकृति से जुड़ा हुआ है. इस पर्व के जरिये हम पर्यावरण को संतुलित बनाएं रखने का संकल्प लेते हैं. नए फूल फल के साथ पूजा कर हम अच्छी बारिश की कामना करते हैं. जबकि मान्यता के अनुसार इस साल पाहन ने यह संदेश दिया है कि बारिश भी होगी और गर्मी का असर भी रहेगा.

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झारखंड में सरहुल को विशेष रूप से मनाया जाता है. इस पर्व में समाज के लोगों के अलावा दूसरे समाज के लोग भी शामिल होकर एकता का संदेश देते हैं. वहीं समाज की इस पुरानी परंपरा को आज की पीढ़ी भी बचाये रखने के संकल्पित है. कॉलेज की छात्रा संगीता समद का कहना है कि अपनी इस परंपरा को आगे भी निभाएंगे. यह पर्व प्रकृति का पर्व है. इस साल सरहुल में छऊ नृत्य आकर्षण का केंद्र बना रहा. छऊ के कलाकारों ने जगह जगह नृत्य के जरिये अपनी कला का प्रदर्शन किया.
Last Updated : Apr 5, 2022, 8:52 AM IST
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