जमशेदपुर: देश में होनहार प्रतिभाओं की कमी नहीं है, कई ऐसी प्रतिभा है जो समय समय पर अपनी कला और हुनर से लोगों के बीच पहचान बनाने में कामयाब होते हैं. हम जमशेदपुर के एक ऐसे ही सिख युवक राजकमल जीत की बात कर रहे हैं जो अब अपनी अनोखी प्रतिभा के कारण चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. राजकमल पूर्वोत्तर भारत में अकेले ऐसे शख्स हैं जो आंख पर पट्टी बांधकर 174 स्टाइल में अपने सर पर पगड़ी बांध सकते हैं. उनके इसी हुनर के लोग कायल हो रहे हैं.
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सम्मान का प्रतीक है पगड़ी
सिखों के दशवें गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की रक्षा और मुगलों का सामना करने के लिए 5 मर्यादाएं केश, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा धारण करने का आदेश दिया था. जिसे सम्मिलित रूप से 5 ककार कहा जाता है. इन्हें धारण करना सभी सिखों के लिए अनिवार्य होता है. इन्ही में से एक ककार सिर के केश को ढंकने के लिए पगड़ी बांधने की प्रथा की शुरुआत हुई थी. शान का प्रतीक समझे जाने वाले पगड़ी बांधने की कला को ही राजकमल ने अपना हुनर बना लिया और बिना देखे एक से एक स्टाइल में कम समय में पगड़ी बांधने का रिकॉर्ड कायम किया.
2015 से शुरू की थी कोशिश
राजकमल जीत बताते हैं कि 2015 से वो अपने घर में अलग अलग तरीके के पगड़ी बांधने का प्रयास करने लगे थे. इस दौरान वह अपनी आंख पर काली पट्टी बांधकर पगड़ी बांधने में कामयाब हो गए. उन्होंने बताया कि वो आंख पर पट्टी बांध कर सिर्फ 10 मिनट में 8 मीटर कपड़े से पगड़ी बांध सकते हैं. इसके अलावा वह 1 घंटे में 66 पेंच वाले पगड़ी भी बांध सकते हैं.
174 स्टाइल में बांधते हैं पगड़ी
सिख समाज में अलग-अलग रंग के कपड़े से पगड़ी बांधी जाती है जो सिर पर बंधने के बाद आकर्षक दिखता है. पगड़ी बांधने की कई कलाएं होती हैं, जिसके अलग-अलग नाम होते हैं. पगड़ी, दस्तार, पाग, छोटी पगड़ी, परना, अफसर शाही, पटियाला शाही, मोरनी पगड़ी बांधने की कला है. राजकमल बताते हैं कि अपने अथक प्रयास से वह अब तक 174 तरीके से पगड़ी बांधने की कला को सीख चुके हैं. उन्होंने बताया कि उनका शौक था कि सिखों की शान पगड़ी को भव्य रूप में बांधा जाए.
ई-टीवी भारत को भी दिखाया हुनर
राजकमल जीत ने ईटीवी भारत के सामने भी अपने हुनर का प्रदर्शन किया. आंख पर काली पट्टी बांधकर 10 मिनट में पगड़ी बांधने की कला को दिखाते हुए राजकमल ने बताया कि इस काम से युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति और परंपरा से जुड़े रहने का संदेश देते हैं. उन्होंने बताया कि वे लोगों को मुफ्त में ऑनलाइन पगड़ी बांधना सिखाते हैं. उन्होंने कहा वे पगड़ी बांधकर पैसे कमाना नहीं चाहते हैं बल्कि लोगों को जागरूक करना चाहते हैं.
राजकमल जीत की इस अनोखी कला से उनके पिता भी खुश हैं. सिख समाज के प्रबुद्ध जसवंत सिंह भोमा ने भी बताया कि सिख समाज को राजकमल जीत पर गर्व है. उन्होंने कहा समाज के दूसरे युवाओं को भी राजकमल से सीख लेने की जरूरत है ताकि वे अपनी संस्कृति और परंपरा से जुड़े रह सकें.