जमशेदपुरः वैश्विक संकट कोरोना वायरस के कहर से पूरी दुनिया त्राहिमाम है. कोरोना वायरस के संकट से निजात पाने की कवायद में वैज्ञानिक और चिकित्सा जगत की टीम दिन रात जुटी है. कोरोना से संक्रमित मरीजों के अंतिम संस्कार के लिए प्रशासन को स्थानीय लोगों की ओर से विरोध का भी सामना करना पड़ता है. स्थानीय लोग शव जलाने के विरोध के साथ-साथ तोड़फोड़ भी करते हैं जिसे देखते हुए जमशेदपुर के स्वर्णरेखा बर्निंग घाट और पार्वती घाट में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की जा रही है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि कोरोना संक्रमित का शव जलाने से जो धुंआ निकलेगा उसमें संक्रमण फैलेगा जिससे कि बस्ती के लोग प्रभावित होंगे. जमशेदपुर में कोरोना के कहर से अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है. स्थानीय प्रशासन और लोगों के बीच कोरोना संक्रमित मरीजों के शव को जलाने के लिए उचित व्यवस्था नहीं की गई है. शमशान घाट के किनारे निवास कर रहे लोगों के मुताबिक संक्रमित मरीजों के शव को जलाने और दफनाने से संक्रमण आस-पास के इलाकों में तेजी से फैलने लगता है.
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प्रशासन की बदइंतजामी
जमशेदपुर के भौगिलिक भूखंड के मुताबिक सीतारामडेरा थाना क्षेत्र स्थित स्वर्णरेखा बर्निंग घाट और बिष्टुपुर थाना क्षेत्र स्थित पार्वती घाट में हिन्दू संस्कृति के अनुसार शवों को जलाने की प्रक्रिया की जाती है. वहीं, अन्य समुदाय के शवों को साकची थाना क्षेत्र स्थित कब्रिस्तान में दफनाने की व्यवस्था की गई है. कुछ अन्य समुदाय के लोगों को मानगो स्थित कब्रगाह में दफनाया जाता है. मूल रूप से जमशेदपुर के शहरी क्षेत्र में चार स्थानों पर मृत व्यक्ति के शव का दाह संस्कार किया जाता है.
बता दें कि कोरोना संक्रमित मरीजों के शव को जलाने के लिए प्रशासन ने सीतारामडेरा थाना क्षेत्र स्थित बर्निंग घाट के स्थान को चुना है. यहां की भौगोलिक स्थिति के मुताबिक आस-पास के क्षेत्रों में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को कोरोना संक्रमित मरीजों के शव को लेकर नगवार होना पड़ता है. कोरोना संक्रमित मरीजों के परिजनों को शव जलाने के लिए तकरीबन 24 घंटे तक का इंतजार करना पड़ता है जिसके कारण आसपास के लोग प्रदर्शन करने को उतारू हो जाते हैं.
शव जलाने को लेकर झड़प
जमशेदपुर के सोनारी स्थित 75 वर्षीय कोरोना संक्रमित मरीज के शव जलाने को लेकर जमशेदपुर जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों के बीच झड़प की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है. स्थानीय लोगों ने बर्निंग घाट में संक्रमित मरीजों के शव जलाने को लेकर मनाही की थी जिसके बाद प्रासाशन और स्थानीय लोगों के बीच पथराव तक कि स्थिति उत्पन्न हो गई थी. यही नहीं जिला पुलिस के दो जवान झड़प में गंभीर रूप से घायल हो गए.
बता दें कि साकची स्थित कोरोना संक्रमित महिला के शव को दफनाने के लिए ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हुई जब 12 जुलाई को कोरोना संक्रमित मरीज के मौत की पुष्टि होने के बाद 12 जुलाई की संध्या मरीज के शव को जलाया गया था. मरीजों के शव को जलाने के लिए पूर्वी सिंहभूम प्रशासन की और से कोई व्यवस्था अब तक नहीं की गई है. एमजीएम अस्पताल के उपाधीक्षक के मुताबिक कोरोना संक्रमित मरीजों के शव को जलाने से और दफनाने से कोरोना संक्रमण का फैलाव और प्रसार नहीं फैलता है.