जमशेदपुर: साकची के काशीडीह के तरुण कुमार ग्रामीण इलाकों में पैडमैन के नाम से जाने जाते हैं. वह प्रतिदिन सुबह-सुबह अपनी बाइक से सैनिटरी पैड से भरे बॉक्स लेकर गांव की ओर चल पड़ते है और जहां भी ग्रामीण माहिलाएं या लड़कियों को पैड की जरुरत होती है, तो वह उसे फ्री में देते हैं. इस दौरान वे माहवारी के बारे में जागरुक भी करते हैं. बता दें कि इस लॉकडाउन में तरुण लगभग 4000 से ज्यादा सैनेटरी पैड बांट चुके हैं.
तरुण अपनी संस्था 'निश्चय' के बैनर तले इस कार्य को करते हैं. तरुण पहले विभिन्न NGO के माध्यम से झारखंड के कई इलाकों में काम कर चुके हैं. इन्होंने इस काम की शुरूआत 2018 में की थी. इसके तहत उन्होंने गांव-गांव में जाकर बाल अधिकार और महिला सशक्तिकरण पर जागरुकता अभियान शुरू किया. इस दौरान तरुण को जानकारी मिली कि माहवारी के प्रति माहिलाओं के गलत विचार हैं. उसके बाद उन्होंने इसको लेकर जागरुकता अभियान शुरु किया और आज वे इस अभियान में सफल भी है.
माहवारी सुरक्षा एंबेसडर के नाम से फेमस
तरुण बताते हैं कि उन्होंने इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में सैनिटरी पैड की समस्या से निपटने के लिए 28 मई 2018 को 'मिशन 5000' के तहत सरकारी स्कूलों में पैड बैंक की स्थापना की थी. आज कोल्हान के 16 स्कूलों में यह पैड बैंक खोला जा चुका है. पैड बैंक में कम से कम 100 पैकेट सैनिटरी पैड होते हैं. तरुण कहते हैं कि उन्होंने कोल्हान के 100 स्कूलों में पैड बैंक खोलने का टारगेट रखा है. इसके लिए अभी तक 5163 सदस्य उनके साथ जुड़ चुके हैं. क्षेत्र में उन्हें माहवारी सुरक्षा एंबेसडर के नाम से भी जाना जाता है.
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तरुण कुमार को माहवारी स्वच्छता जागरुकता के लिए 'लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स 2019' में जगह मिली थी. तरुण लॉकडाउन में पहले कुछ दिनों तक ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं गए, लेकिन जब गांव से फोन आने लगे तो उन्होंने पास बनवा कर अपने अभियान को जारी रखा. इस दौरान तरुण 4000 से ज्यादा पैड बांट चुके हैं. तरुण के इस अभियान की सफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गांव की बच्चियों ने भी तरुण को खुलकर समर्थन करना शुरु कर दिया है.
पूर्व विधायक करेंगे सहयोग
बहरागोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी ने भी तरुण के कार्यो को सराहा है, साथ ही उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से भरोसा दिलाया है कि वह तरुण को हरसंभव मदद करेंगे.
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कौन हैं तरुण कुमार
तरुण कुमार मूलरुप से बिहार के सासाराम जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने एमसीए की पढ़ाई की है. बचपन से ही समाज सेवा की तरफ रुझान ने तरुण को इस मुकाम तक पहुंचाया है. वहीं तरुण माहवारी स्वच्छता जागरूकता अभियान के लिए कई एनजीओ के अलावे सरकारी स्तर पर भी सम्मानित हो चुके हैं. इसके इन कार्यों को देखकर कहा जा सकता है कि तरुण का अभियान निश्चय ही काबिले तारीफ है.