जमशेदपुरः केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को वर्चुअल कार्यक्रम के तहत उनके मंत्रालय को बेस्ट मंत्रालय के अवार्ड से नवाजा गया है. स्कॉच अवार्ड एजेंसी के दिए गये इस अवार्ड को वर्चुअल कार्यक्रम के तहत मंत्री अर्जुन मुंडा ने ऑनलाइन ग्रहण किया. इसके अलावे भी मंत्रालय को तीन और अवार्ड से नवाजा गया है. इस दौरान उन्होंने उक्त कार्यक्रम को भी वर्चुअल के माध्यम से संबोधित किया और अपने मंत्रालय की ओर से जनजातीय और ग्रामीण क्षेत्रों में किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी.
इस दौरान जमशेदपुर के घोड़ाबाधा स्थित अपने आवास में पत्रकारों से बातचीत करते हुए अर्जुन मुंडा ने कहा कि इस प्रकार का अवार्ड मंत्रालय को मिलना निश्चय ही सौभाग्य की बात है. इसके लिए उन्होंने अपनी टीम के सारे सदस्यों को बधाई और शुभकामनाएं दी. अर्जुन मुंडा ने अपने विभागीय सचिव रेणुका सिंह सरोता के प्रयासों की भी सराहना करते हुए कहा कि जब वे झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब से ही डिजिटल झारखंड की दिशा में उन्होंने काम करना शुरू किया. यही कारण है कि आज केंद्र सरकार की ओर से जब उन्हें यह मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली तो उन्होंने सबसे पहले इस मंत्रालय का डिजिटलाइजेशन कैसे हो उस पर कार्य किया और इसके लिए विभागीय अधिकारियों और कर्मियों के साथ बेहतर तालमेल स्थापित करते हुए डीबीटी के माध्यम से जनजातीय छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति का सीधा लाभ पहुंचाने का काम शुरू किया.
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वर्तमान समय में केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय की ओर से डिजिटल तकनीक का उपयोग करते हुए पांच छात्रवृत्ति योजना के माध्यम से देश भर में जनजातीय समूह के करीब 64 लाख छात्र इसका लाभ ले रहे हैं. इसके अलावा मंत्रालय की ओर से किया गया सारा कार्य डिजिटल प्लेट फार्म पर उपलब्ध है. यही कारण है कि आज आदिवासी कल्याण मंत्रालय को यह सम्मान दिया गया है.
उन्होंने बताया कि देश में जनजातियों को समझने वालों की संख्या काफी कम है. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि केंद्र की योजना जनजातीय समुदाय तक सही तरीके से पहुंचाना ही उनके विभाग का मुख्य कार्य है, जिसे आज पूरा किया जा रहा है. जनजातीय समुदाय प्रकृति के पुजारी होते हैं. प्रकृति की रक्षा करना ही उनका धर्म होता है. पेड़ प्रकृति के सबसे बड़े घोतक हैं उन्हें बचाने की रणनीति शहरों में बैठकर नहीं बनाई जा सकती है. इसके लिए जमीनी स्तर पर काम होना जरूरी है. विभाग ने इसमें कई हद तक सफलता पाई है. इस ऑनलाइन प्रतियोगिता में जनजातीय पद्धति की चिकित्सा प्रणाली पर भी विचार रखे गए हैं. साथ ही सूचना और प्रौद्योगिकी के सहयोग को और बढ़ावा दिए जाने की चर्चा की गई.