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साइबेरियन पक्षियों को नहीं भा रहा लौहनगरी, स्वच्छता और व्यवस्था पर उठ रहे सवाल

साइबेरिया से आने वाले साइबेरियन पक्षियों का जमावड़ा अब जमशेदपुर के तालाबों और नदियों में नहीं दिख रहा है. जिस कारण यहां आने वाले पर्यटकों में मायूसी हैं, साथ ही प्रशासन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

Migration of Siberian birds
साइबेरियन पक्षियों को नहीं भा रही लौहनगरी
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Published : Dec 15, 2019, 2:10 PM IST

जमशेदपुर: पहले ठंड की दस्तक के साथ ही प्रवासी पक्षियों का लौहनगरी आना शुरू हो जाता था. लेकिन अब ये खास मेहमान नहीं आ रहे हैं जिस कारण आज-कल पर्यटक काफी मायूस लग रहे हैं. पहले दिसंबर के दिनों में लौहनगरी के तालाब और नदियां प्रवासी मेहमानों से गुलजार हो जाया करता था. लेकिन अब हालात वैसे नहीं हैं.

वीडियो में देखिए पूरी रिपोर्ट

बता दें कि यहां प्रवासी पक्षियों का कलरव पर्यटकों को लंबे अरसे से लुभाता रहा है. इसीलिए इस बार साइबेरियन पक्षियों का इंतजार दूर-दराज से आए पर्यटक बड़ी बेसब्री से कर रहे हैं क्योंकि इसबार दिसंबर महीने की शुरुआत होने के बाद भी लौहनगरी के जलाशयों और नदियों में प्रवासी पक्षियां नहीं दिखाई दे रहे हैं.

नवंबर और दिसंबर में करती थी प्रवेश

शहर के डिमना लेक में दूसरे राज्य से आए पर्यटकों का कहना है कि नदियों के बीच अब प्रवासी पक्षियों का आना कम हो गया है. ये पक्षियां नवंबर और दिसंबर महीने की शुरुआत जमशेदपुर में प्रवेश करती थी, लेकिन इसबार ऐसा कुछ नहीं होने से पर्यटकों में भी नाराजगी देखी जा रही है. उसका कहना है कि हरियाली और खूबसूरती होने के बावजूद भी पक्षियां कभी कभार ही दिखाई देती हैं.

ये भी पढ़ें - JMM और BJP के बीच कार्यकर्ताओं के बीच झड़प, जामा विधायक ने बीजेपी पर मनमानी का लगाया आरोप

विषेशज्ञों के अनुसार

विषेशज्ञों के अनुसार पश्चिमी देशों से आने वाली साइबेरियन पक्षियों की तादाद हर साल घटती जा रही है. जैसे वो विलुप्त होते जा रहे हैं. उनका कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग औक प्रदूषण के प्रभाव के कारण विदेशी पक्षियां यहां नहीं आ पाती हैं. वहीं नदियों के दूषित जल भी इसका प्रभाव का कारण है.

क्यों आते हैं साइबेरियन पक्षी

दरअसल, इस मौसम में पक्षियों के मूल निवास स्थान पर झील और जलाशय बर्फ में तब्दील हो जाते हैं जिससे इनकी भोजन में कमी हो जाती है. तब यह पक्षी गर्म इलाकों को अपना बसेरा बनाते हैं.

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कहां से आती हैं ये पक्षियां

ये प्रवासी पक्षियां रूस के साइबेरिया इलाके से आती हैं इसीलिए इन्हें साइबेरियन पक्षी कहा जाता है. यह ऐसे पक्षी के रूप में जाने जाते हैं जो हवा में उड़ते हैं और पानी में भी तैरते हैं. साइबेरिया बहुत ठंडी जगह है और नवंबर से लेकर मार्च तक तापमान जीरो से भी नीचे चला जाता है. इस तापमान में इन पक्षियों का जिंदा रह पाना मुश्किल हो जाता है. इसलिए यह पक्षी लंबी दूरी तय करके भारत आते हैं.

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बहरहाल, अब सात समंदर पार कर आने वाले ये विदेशी मेहमान ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण के कारण लौहनगरी में डेरा नहीं बना रहे हैं. जिससे हज़ारों लोगों के चेहरे पर मायूसी तो है ही साथ ही ये सवाल भी उठता है प्रशासन पर की ऐसी क्या गलती हो रही है जिससे धीरे-धीरे ये पक्षियां यहां नहीं आ रही हैं. क्योंकि प्रकृति के नियमों से खिलवाड़ करने के कारण इन पक्षियों का देश आना मुश्किल हो जाता है. इसलिए जरूरत है स्वच्छता के आयामों का पालन करें.

जमशेदपुर: पहले ठंड की दस्तक के साथ ही प्रवासी पक्षियों का लौहनगरी आना शुरू हो जाता था. लेकिन अब ये खास मेहमान नहीं आ रहे हैं जिस कारण आज-कल पर्यटक काफी मायूस लग रहे हैं. पहले दिसंबर के दिनों में लौहनगरी के तालाब और नदियां प्रवासी मेहमानों से गुलजार हो जाया करता था. लेकिन अब हालात वैसे नहीं हैं.

वीडियो में देखिए पूरी रिपोर्ट

बता दें कि यहां प्रवासी पक्षियों का कलरव पर्यटकों को लंबे अरसे से लुभाता रहा है. इसीलिए इस बार साइबेरियन पक्षियों का इंतजार दूर-दराज से आए पर्यटक बड़ी बेसब्री से कर रहे हैं क्योंकि इसबार दिसंबर महीने की शुरुआत होने के बाद भी लौहनगरी के जलाशयों और नदियों में प्रवासी पक्षियां नहीं दिखाई दे रहे हैं.

नवंबर और दिसंबर में करती थी प्रवेश

शहर के डिमना लेक में दूसरे राज्य से आए पर्यटकों का कहना है कि नदियों के बीच अब प्रवासी पक्षियों का आना कम हो गया है. ये पक्षियां नवंबर और दिसंबर महीने की शुरुआत जमशेदपुर में प्रवेश करती थी, लेकिन इसबार ऐसा कुछ नहीं होने से पर्यटकों में भी नाराजगी देखी जा रही है. उसका कहना है कि हरियाली और खूबसूरती होने के बावजूद भी पक्षियां कभी कभार ही दिखाई देती हैं.

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विषेशज्ञों के अनुसार

विषेशज्ञों के अनुसार पश्चिमी देशों से आने वाली साइबेरियन पक्षियों की तादाद हर साल घटती जा रही है. जैसे वो विलुप्त होते जा रहे हैं. उनका कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग औक प्रदूषण के प्रभाव के कारण विदेशी पक्षियां यहां नहीं आ पाती हैं. वहीं नदियों के दूषित जल भी इसका प्रभाव का कारण है.

क्यों आते हैं साइबेरियन पक्षी

दरअसल, इस मौसम में पक्षियों के मूल निवास स्थान पर झील और जलाशय बर्फ में तब्दील हो जाते हैं जिससे इनकी भोजन में कमी हो जाती है. तब यह पक्षी गर्म इलाकों को अपना बसेरा बनाते हैं.

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कहां से आती हैं ये पक्षियां

ये प्रवासी पक्षियां रूस के साइबेरिया इलाके से आती हैं इसीलिए इन्हें साइबेरियन पक्षी कहा जाता है. यह ऐसे पक्षी के रूप में जाने जाते हैं जो हवा में उड़ते हैं और पानी में भी तैरते हैं. साइबेरिया बहुत ठंडी जगह है और नवंबर से लेकर मार्च तक तापमान जीरो से भी नीचे चला जाता है. इस तापमान में इन पक्षियों का जिंदा रह पाना मुश्किल हो जाता है. इसलिए यह पक्षी लंबी दूरी तय करके भारत आते हैं.

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बहरहाल, अब सात समंदर पार कर आने वाले ये विदेशी मेहमान ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण के कारण लौहनगरी में डेरा नहीं बना रहे हैं. जिससे हज़ारों लोगों के चेहरे पर मायूसी तो है ही साथ ही ये सवाल भी उठता है प्रशासन पर की ऐसी क्या गलती हो रही है जिससे धीरे-धीरे ये पक्षियां यहां नहीं आ रही हैं. क्योंकि प्रकृति के नियमों से खिलवाड़ करने के कारण इन पक्षियों का देश आना मुश्किल हो जाता है. इसलिए जरूरत है स्वच्छता के आयामों का पालन करें.

Intro:एंकर-- ठंड की दस्तक के साथ ही प्रवासी पक्षियों का लौहनगरी आना शुरू हो जाता है. दूर देश से खास मेहमान नहीं आ रहे लौहनगरी पर्यटकों के चेहरे पर मायुषि दिख रही है.


Body:वीओ1-- दिसंबर के दिनों में लौहनगरी के तालाब और नदियाँ प्रवासी मेहमानों से गुलजार हो जाया करते थें प्रवासी पक्षियों का कलरव पर्यटकों को लंबे अरसे से लुभाता रहा है.साइबेरियन पक्षियों का इंतजार दूर-दराज से आए पर्यटक भी कर रहे हैं.दिसंबर माह की शुरुवात होते ही लौहनगरी के जलाशय,नदियों में प्रवासी पक्षियाँ नहीं दिखाई दे रही है.
शहर के डिमना लेक में दूसरे राज्य से आए पर्यटकों का कहना है.नदियों के बीच अब प्रवासी पक्षियों का आना कम हो गया है.नदियों की खूबसूरती में चार-चाँद लगाने वाली पक्षियों का आना कम हो गया है.ये पक्षियाँ नवंबर, दिसंबर महीने की शुरुआत होते ही लौहनगरी आ जाया करती थी.दूर-दराज से आए पर्यटकों में भी नाराजगी देखने को मिल रही है.हरियाली, खूबसूरत,होने के बावजूद पक्षियाँ कभी-कभार ही दिखाई देती है.
बाइट--रतन सिंह (पर्यटक)
बाइट--अभिजीत(पर्यटक)
बाइट--सुमित(पर्यटक)
बाइट--देबासिष( हुगली से आए पर्यटक)
वीओ2-- पश्चिमी देशों से आने वाले साइबेरियन पक्षियों की हर साल तादाद घटती जा रही है. साइबेरियन पक्षी जैसे विलुप्त होते जा रहे हैं.ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण के प्रभाव के कारण विदेशी पक्षियाँ नहीं आ पाती है.नदियों के जल दूषित होने के कारण भी इसका प्रभाव पड़ रहा है.
बाइट--राकेश पांडेय( भूगोल विभाग में ग्रेजुएट कॉलेज प्रोफेसर)

विदेशी मेहमान क्यों आते हैं--
पक्षियों के मूल निवास स्थान की झीलों और जलाशयों पर में तब्दील हो जाता है और भोजन की कमी होती है तब यह पक्षी गर्म इलाकों को अपना बसेरा बनाते हैं.
हर साल कहाँ से आते हैं पक्षी-- जी प्रवासी पक्षी रूस के साइबेरिया इलाके से आते हैं इन्हें साइबेरियन पक्षी कहते हैं. यह ऐसे पक्षी है जो हवा में उड़ते हैं और पानी में भी तैरते हैं. साइबेरिया बहुत ही ठंड जगह है. नवंबर से लेकर मार्च तक तापमान जीरो से नीचे चला जाता है. इस तापमान में इन पक्षियों का जिंदा रह पाना मुश्किल हो जाता है. इसलिए यह पक्षी लंबी दूरी करके भारत आते हैं.


Conclusion:बहरहाल सात समंदर पार कराने वाले विदेशी मेहमान ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण के कारण लौहनगरी में डेरा नहीं बना रहे हैं.जिससे हज़ारों लोगों के चेहरे पर मायुषि देखने को मिलती है.प्रकृति के नियमों से खिलवाड़ करने के कारण इन पक्षियों का देश आना मुश्किल हो जाता है.जरूरत है स्वक्षता के आयाम पालन करे।
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