जमशेदपुर: चुनावी रणभूमि में मजदूरों के मुद्दे हवा हवाई हो चुके हैं. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद लौहनगरी के औद्योगिक क्षेत्र से मजदूरों का पलायन नहीं रुक रहा है. साल 2016 के आंकड़ों के मुताबिक 1820 से ज्यादा मजदूरों ने पूर्वी सिंहभूम से रोजगार के लिए पलायन किया है.
इस्पात नगरी टाटा औद्योगिक क्षेत्र के लिए देश और दुनिया में मशहूर है. लेकिन राज्य सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद पूर्वी सिंहभूम जिले के मजदूरों को रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाना पड़ रहा है. करीब 16 लाख 70 हजार की आबादी वाले शहर में लगभग 536 बड़ी कंपनियों के साथ ही 1034 छोटी कंपनियों में लोग काम करते हैं.
कुल महिला और पुरूष की संख्या 1620 दर्ज की गई है, इसके साथ ही साल 2018 के आंकड़ों के मुताबिक 2240 मजदूरों की संख्या दर्ज की गई है. सरकारी सर्वेक्षण के मुताबिक साल 2016 में 1620 की संख्या दर्ज की गई है. पूर्वी सिंहभूम से खास तौर पर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और दक्षिण के आंध्र प्रदेश, तेलंगाना की ओर मजदूर रुख कर रहे हैं.
शहर में पढ़ाई करने वाले छात्रों का पलायन को लेकर कहना है कि उच्चस्तर पर रोजगार के कम ही अवसर है. यहां से पलायन करने वाले मजदूरों को कम वेतन में भी रखा जाता है. बहरहाल सरकार के आला अधिकारी चुनावी दौर में मशगूल हैं. नेताजी चुनाव से पहले कई मजदूरों के घर जाते हैं. उन्हें बेहतर जिंदगी और रोजगार के सपने दिखाते हैं. लेकिन चुनाव के बाद वो वादे सिर्फ हवा हवाई ही साबित होते हैं..