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जमशेदपुर से पलायन कर रहे मजदूर, चौंकाने वाले हैं आंकड़े, देखिए ये रिपोर्ट

इस्पात नगरी टाटा औद्योगिक क्षेत्र के लिए देश और दुनिया में मशहूर है. लेकिन राज्य सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद पूर्वी सिंहभूम जिले के मजदूरों को रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाना पड़ रहा है. करीब 16 लाख 70 हजार की आबादी वाले शहर में लगभग 536 बड़ी कंपनियों के साथ ही 1034 छोटी कंपनियों में लोग काम करते हैं.

काम करती महिला मजदूर
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Published : Apr 18, 2019, 10:42 AM IST

जमशेदपुर: चुनावी रणभूमि में मजदूरों के मुद्दे हवा हवाई हो चुके हैं. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद लौहनगरी के औद्योगिक क्षेत्र से मजदूरों का पलायन नहीं रुक रहा है. साल 2016 के आंकड़ों के मुताबिक 1820 से ज्यादा मजदूरों ने पूर्वी सिंहभूम से रोजगार के लिए पलायन किया है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

इस्पात नगरी टाटा औद्योगिक क्षेत्र के लिए देश और दुनिया में मशहूर है. लेकिन राज्य सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद पूर्वी सिंहभूम जिले के मजदूरों को रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाना पड़ रहा है. करीब 16 लाख 70 हजार की आबादी वाले शहर में लगभग 536 बड़ी कंपनियों के साथ ही 1034 छोटी कंपनियों में लोग काम करते हैं.

कुल महिला और पुरूष की संख्या 1620 दर्ज की गई है, इसके साथ ही साल 2018 के आंकड़ों के मुताबिक 2240 मजदूरों की संख्या दर्ज की गई है. सरकारी सर्वेक्षण के मुताबिक साल 2016 में 1620 की संख्या दर्ज की गई है. पूर्वी सिंहभूम से खास तौर पर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और दक्षिण के आंध्र प्रदेश, तेलंगाना की ओर मजदूर रुख कर रहे हैं.

शहर में पढ़ाई करने वाले छात्रों का पलायन को लेकर कहना है कि उच्चस्तर पर रोजगार के कम ही अवसर है. यहां से पलायन करने वाले मजदूरों को कम वेतन में भी रखा जाता है. बहरहाल सरकार के आला अधिकारी चुनावी दौर में मशगूल हैं. नेताजी चुनाव से पहले कई मजदूरों के घर जाते हैं. उन्हें बेहतर जिंदगी और रोजगार के सपने दिखाते हैं. लेकिन चुनाव के बाद वो वादे सिर्फ हवा हवाई ही साबित होते हैं..

जमशेदपुर: चुनावी रणभूमि में मजदूरों के मुद्दे हवा हवाई हो चुके हैं. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद लौहनगरी के औद्योगिक क्षेत्र से मजदूरों का पलायन नहीं रुक रहा है. साल 2016 के आंकड़ों के मुताबिक 1820 से ज्यादा मजदूरों ने पूर्वी सिंहभूम से रोजगार के लिए पलायन किया है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

इस्पात नगरी टाटा औद्योगिक क्षेत्र के लिए देश और दुनिया में मशहूर है. लेकिन राज्य सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद पूर्वी सिंहभूम जिले के मजदूरों को रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाना पड़ रहा है. करीब 16 लाख 70 हजार की आबादी वाले शहर में लगभग 536 बड़ी कंपनियों के साथ ही 1034 छोटी कंपनियों में लोग काम करते हैं.

कुल महिला और पुरूष की संख्या 1620 दर्ज की गई है, इसके साथ ही साल 2018 के आंकड़ों के मुताबिक 2240 मजदूरों की संख्या दर्ज की गई है. सरकारी सर्वेक्षण के मुताबिक साल 2016 में 1620 की संख्या दर्ज की गई है. पूर्वी सिंहभूम से खास तौर पर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और दक्षिण के आंध्र प्रदेश, तेलंगाना की ओर मजदूर रुख कर रहे हैं.

शहर में पढ़ाई करने वाले छात्रों का पलायन को लेकर कहना है कि उच्चस्तर पर रोजगार के कम ही अवसर है. यहां से पलायन करने वाले मजदूरों को कम वेतन में भी रखा जाता है. बहरहाल सरकार के आला अधिकारी चुनावी दौर में मशगूल हैं. नेताजी चुनाव से पहले कई मजदूरों के घर जाते हैं. उन्हें बेहतर जिंदगी और रोजगार के सपने दिखाते हैं. लेकिन चुनाव के बाद वो वादे सिर्फ हवा हवाई ही साबित होते हैं..

Intro:एंकर--चुनावी रणभूमि में मजदूरों के मुद्दे हवा--हवाई हो चुके हैं.सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद लौहनगरी के औद्योगिक छेत्र से मजदूरों का पलायन नहीं रुक रहा है.वर्ष 2016 के आंकड़ों के मुताबिक 1820 से अधिक मजदूरों ने पूर्वी सिंहभूम से रोजगार के लिए पलायन किया है.देखिए एक रिपोर्ट


Body:वीओ1--इस्पात नगरी टाटा औद्योगिक छेत्र के लिए देश और दुनिया में प्रसिद्ध है.राज्य सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद पूर्वी सिंहभूम जिले के मजदूरों को रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों में जाना पड़ रहा है.16 लाख 70 हज़ार आबादी वाले शहर में लगभग 536 बड़ी कंपनियों के साथ 1034 छोटी कंपनी में यहाँ के लोग काम करते हैं.
एक नज़र आंकड़ों पर--वर्ष 2017 के आंकड़ों के मुताबिक
प्रखंड-- पुरुष श्रमिक महिला श्रमिक। प्रवासी श्रमिक
जमशेदपुर सदर
इढलबेरा। 51 2 53
गोलपहाड़ी। 30 0 30
सरजामद। 47 24 71
मुसाबनी। 326 48 374
घालभूमगढ़। 46 34 80
पोटका। 135 15 150
डुमरिया 720 76 796
चाकुलिया। 0 28 28
गोड़ाबांध। 38 0 38
कुल महिला तथा पुरूष 1620 की संख्या दर्ज की गई है.
वर्ष 2018 के आंकड़ों के मुताबिक 2240 मजदूरों की संख्या दर्ज की गई है.
सरकारी सर्वेक्षण के मुताबिक वर्ष 2016 में 1620 की संख्या डॉज की गई है.पूर्वी सिंहभूम से खास तौर पर पंजाब, हरियाणा,दिल्ली,और दक्षिण के आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, जहाँ किसी बड़े निर्माण का कार्य किया जा रहा हो.कुछ मजदूर कुछ समय के लिए भी पलायन करते हैं.और कुछ पर्व त्योहार में वापस घर आ जाते हैं.
बाइट--राकेश प्रसाद(उप--श्रमायुक्त पूर्वी सिंहभूम)
वीओ2---शहर में पढ़ाई करने वाले छात्रों ने पलायन के सवाल पर बताया उच्च स्तर पर रोजगार के कुछ--एक अवसर ही यहाँ है.यहाँ से पलायन करने वाले मजदूरों को कम वेतन में भी रखा जाता है.लेकिन रोजगार के अवसर हर दिन होते हैं.यहाँ पर काम करने वाले मजदूरों को कुछ--एक दिन काम मिलता है तो कुछ एक समय दो जून की रोटी के लिए झोला फैलाना पड़ता है.
बाइट--मिठू जयसवाल(छात्र)









Conclusion:बहरहाल सरकार के आला अधिकारी चुनाव के कार्यों में वयस्त है.नेताजी चुनाव से पहले ऐसे मजदूरों के घर भी जाते हैं.पर चुनाव जीतने के बाद नेताजी अपने आलीशान बंगले से निकलना भी भूल जाते हैं.
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