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जमशेदपुर में जेएमएम ने खेला है चंपई सोरेन पर दांव, जानिए पूरी शख्सियत - जमशेदपुर

झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेताओं में शुमार हैं चंपई सोरेन. आदिवासी वोटरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं.

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Published : May 12, 2019, 12:05 AM IST

रांची/हैदराबादः महागठबंधन के तहत झारखंड में जेएमएम को चार सीट मिले हैं. पार्टी ने इन चारों सीट के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है. इसबार पार्टी ने जमशेदपुर सीट के लिए अपने वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन पर भरोसा जताया है.

देखिए पूरी रिपोर्ट

चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता हैं. झारखंड टाइगर के नाम से वो जाने जाते हैं. फिलहाल सरायकेला सीट से विधायक हैं. वो 5 बार विधायक रह चुके हैं. पहली बार 1990 में सरायकेला सीट पर हुए उपचुनाव में चंपई सोरेन विधायक बने. तब वो निर्दलीय थे. 1995 में वो फिर सरायकेला से विधायक चुने गए. इसबार वो जेएमएम की टिकट पर विधायक बने. 1999 में वो सिंहभूम लोकसभा सीट चुनाव लड़े, लेकिन हार गए.

साल 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें पराजय मिली. 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई. 2005 से अब तक वो सरायकेला सीट नहीं हारे. हेमंत सरकार में वो मंत्री बने.

रांची/हैदराबादः महागठबंधन के तहत झारखंड में जेएमएम को चार सीट मिले हैं. पार्टी ने इन चारों सीट के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है. इसबार पार्टी ने जमशेदपुर सीट के लिए अपने वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन पर भरोसा जताया है.

देखिए पूरी रिपोर्ट

चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता हैं. झारखंड टाइगर के नाम से वो जाने जाते हैं. फिलहाल सरायकेला सीट से विधायक हैं. वो 5 बार विधायक रह चुके हैं. पहली बार 1990 में सरायकेला सीट पर हुए उपचुनाव में चंपई सोरेन विधायक बने. तब वो निर्दलीय थे. 1995 में वो फिर सरायकेला से विधायक चुने गए. इसबार वो जेएमएम की टिकट पर विधायक बने. 1999 में वो सिंहभूम लोकसभा सीट चुनाव लड़े, लेकिन हार गए.

साल 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें पराजय मिली. 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई. 2005 से अब तक वो सरायकेला सीट नहीं हारे. हेमंत सरकार में वो मंत्री बने.

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