रांची/हैदराबादः जमशेदपुर सीट पर अबकी बार बीजेपी-जेएमएम के बीच सीधी ट्क्कर है. बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद विद्युत वरण को मैदान में उतारा है. वहीं जेएमएम ने अपने वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन को प्रत्याशी बनाया है.
सामाजिक तानाबाना
जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 16 लाख 70हजार 371 हैं. जिसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 8 लाख 55 हजार 831 है. जबकि महिला मतदाता 8 लाख 14 हजार 481 हैं. अन्य मतदाताओं की संख्या 59 है. जबकि नए मतदाताओं की संख्या 26 हजार 718 है. इस सीट पर महतो वोटरों की संख्या 3 लाख 50 हजार के करीब है. जो किसी भी उम्मीदवार की जीत और हार तय करते हैं.
2019 का रण
वैसे तो जमशेदपुर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों की कुल संख्या 23 है. लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी और जेएमएम के बीच है. बीजेपी ने जहां फिर से विद्युत वरण महतो पर दांव लगाया है. वहीं जेएमएम ने इस बार अपने वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन को मैदान में उतारा है.
बीजेपी के प्रत्याशी हैं विद्युत वरण महतो
जमशेदपुर से बीजेपी ने एकबार फिर से मौजूदा सांसद विद्युत वरण महतो पर भरोसा जताया है. विद्युत वरण महतो पर एक बार फिर पार्टी ने भरोसा जताते हुए जमशेदपुर से उम्मीदवार बनाया है. उनका जन्म फरवरी 1963 में सरायकेला के कृष्णापुर में हुआ. उन्होंने टाटा कॉलेज चाइबासा से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की है. छात्र जीवन में ही झारखंड आंदोलन में शामिल हो गए.
2000 के विधानसभा चुनाव में वो बहरागोड़ा सीट से लड़े. उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2005 में वो फिर जेएमएम की टिकट पर बहरागोड़ा से लड़े, एकबार फिर उन्हें हार मिली. 2009 में वो तीसरी बार बहरागोड़ा से चुनाव लड़े. इसबार उन्हें जीत हासिल हुई. वो पहली बार विधायक बने.
2014 में वो जेएमएम छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए. 2014 लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें जमशेदपुर से टिकट दिया. उन्होंने जेवीएम के डॉ. अजय कुमार को हराया. जीतकर पहली बार सांसद बने. 2019 में पार्टी ने उन्हें एकबार फिर से मैदान में उतारा है.
जेएमएम के प्रत्याशी हैं चंपई सोरेन
चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता हैं. झारखंड टाइगर के नाम से वो जाने जाते हैं. फिलहाल सरायकेला सीट से विधायक हैं. वो 5 बार विधायक रह चुके हैं. पहली बार 1990 में सरायकेला सीट पर हुए उपचुनाव में चंपई सोरेन विधायक बने. तब वो निर्दलीय थे. 1995 में वो फिर सरायकेला से विधायक चुने गए. इसबार वो जेएमएम की टिकट पर विधायक बने. 1999 में वो सिंहभूम लोकसभा सीट चुनाव लड़े, लेकिन हार गए.
साल 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें पराजय मिली. 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई. 2005 से अब तक वो सरायकेला सीट नहीं हारे. हेमंत सरकार में वो मंत्री बने.