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पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेमंत सरकार को दी नसीहत, कहा- बयानबाजी से संकट का समाधान नहीं

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Published : Jun 6, 2020, 11:48 PM IST

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रोजगार के लिए पूर्ववर्ती सरकार की औद्योगिक नीतियों को लागू करने की सलाह हेमंत सरकार को दी है. उन्होंने हेमंत सरकार को हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठे रहने की सलाह देते हुए कहा कि सरकार रोजगार सृजन के लिए तेजी से काम करे.

Former CM Raghubar Das advice to Hemant government, Raghubar Das statement on Hemant government, Migrant workers of Jharkhand, झारखंड के प्रवासी मजदूर, हेमंत सरकार को पूर्व सीएम रघुबर दास की सलाह, हेमंत सरकार पर रघुवर दास का बयान
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास

जमशेदपुर: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रोजगार के लिए पूर्ववर्ती सरकार की औद्योगिक नीतियों को लागू करने की सलाह हेमंत सरकार को दी है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य सरकार को आगाह करते हुए कहा है कि झारखंड में गरीबों, महिलाओं और युवाओं को अधिकाधिक रोजगार देने की आवश्यकता है. इसके लिए यहां ऐसे उद्योगों की स्थापना की जरूरत है, जिससे रोजगार का अधिक अवसर उत्पन्न हो सके.

'बयानबाजी से संकट का समाधान नहीं होता'

रघुवर दास ने कोरोना संकट के सामाजिक और आर्थिक दुष्परिणाम को रेखांकित करते हुए कहा कि सजग होने की जरूरत है, ताकि भविष्य में यह संकट अधिक न गहराए. उन्होंने हेमंत सरकार को हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठे रहने की सलाह देते हुए कहा कि सरकार रोजगार सृजन के लिए तेजी से काम करे, क्योंकि सिर्फ बयानबाजी से संकट का समाधान नहीं होता है. जमीन पर तेजी से इस संकट से निपटने के लिए काम करना जरूरी है.

ये भी पढ़ें- ईटीवी भारत की खबर का असर, टिक टॉक के झारखंडी बादशाह को जेएमएम नेता दिलाएंगे मदद

'रोजगार के अवसर उत्पन्न किए जा सकते हैं'

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इन नीतियों से अधिकाधिक रोजगार के अवसर उत्पन्न किए जा सकते हैं. देशभर से वापस आ रहे भाइयों और बहनों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है. उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार की ऐसी नीतियों की चर्चा करते हुए कहा है कि इनमें झारखंड ऑटोमोबाइल एंड कम्पोनेंट पॉलिसी 2016, झारखंड बीपीओ/बीपीएम पॉलिसी 2016, झारखंड ईएसडीएम पॉलिसी 2016, झारखंड एक्सपोर्ट पॉलिसी 2015, झारखंड फिल्म पॉलिसी 2015, झारखंड फिजिकल इंसेंटिव्स स्कीम फॉर सिटिंग अप ऑफ मेडिकल इंस्टीट्यूसंन 2016, झारखंड फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री पॉलिसी 2015 और झारखंड फिड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री पॉलिसी 2015 उल्लेखनीय है.

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कई क्षेत्र में रोजगार

इसके अलावा झारखंड इंडस्ट्रीयल पार्क पॉलिसी 2015, झारखंड इंडस्ट्रीयल एंड इंवेस्टमेंट प्रोमोसन पॉलिसी 2016, झारखंड आईटी/आईटीईएस पॉलिसी 2016, झारखंड टूरिज्म पॉलिसी 2015, डिफरेंट बेनिफिट्स टू एमएसएमईएस अंडर झारखंड प्रोक्यूमेंट्स पॉलिसी 2014, झारखंड स्टेट सोलर पॉवर पॉलिसी 2015 एंड झारखंड एनर्जी पॉलिसी 2012, झारखंड स्टॉर्टअप पॉलिसी 2016 और झारखंड टेक्सटाइल, अपारेल एंड फूटवेयर पॉलिसी 2016 राज्य, उद्योग और श्रमिक हित में है.

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'उचित रणनीति बनाकर इनसे निपटना जनता के लिए श्रेष्टकर होगा'

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने बयान में कहा है कि कोरोना संकट के चलते देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों की संख्या में झारखंड के प्रवासी श्रमिक और गरीब लोग अपने घरों को लौट रहे हैं. यदि समय रहते उनके रोजगार और जीवकोपार्जन का इंतजाम नहीं किया गया तो राज्य में भारी संकट खड़ा हो जाएगा. राज्य के लाखों मजदूर दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हो जाएंगे, जिससे विधि व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. स्थिति भयावह और विस्फोटक हो सकती है. उन्होंने सरकार को सचेत करते हुए कहा है कि कोरोना संकट के आर्थिक और सामाजिक दुष्परिणाम विकराल रूप लेने के पहले ही सरकार को उचित रणनीति बनाकर इनसे निपटना जनता के लिए श्रेष्टकर होगा.

जमशेदपुर: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रोजगार के लिए पूर्ववर्ती सरकार की औद्योगिक नीतियों को लागू करने की सलाह हेमंत सरकार को दी है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य सरकार को आगाह करते हुए कहा है कि झारखंड में गरीबों, महिलाओं और युवाओं को अधिकाधिक रोजगार देने की आवश्यकता है. इसके लिए यहां ऐसे उद्योगों की स्थापना की जरूरत है, जिससे रोजगार का अधिक अवसर उत्पन्न हो सके.

'बयानबाजी से संकट का समाधान नहीं होता'

रघुवर दास ने कोरोना संकट के सामाजिक और आर्थिक दुष्परिणाम को रेखांकित करते हुए कहा कि सजग होने की जरूरत है, ताकि भविष्य में यह संकट अधिक न गहराए. उन्होंने हेमंत सरकार को हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठे रहने की सलाह देते हुए कहा कि सरकार रोजगार सृजन के लिए तेजी से काम करे, क्योंकि सिर्फ बयानबाजी से संकट का समाधान नहीं होता है. जमीन पर तेजी से इस संकट से निपटने के लिए काम करना जरूरी है.

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'रोजगार के अवसर उत्पन्न किए जा सकते हैं'

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इन नीतियों से अधिकाधिक रोजगार के अवसर उत्पन्न किए जा सकते हैं. देशभर से वापस आ रहे भाइयों और बहनों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है. उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार की ऐसी नीतियों की चर्चा करते हुए कहा है कि इनमें झारखंड ऑटोमोबाइल एंड कम्पोनेंट पॉलिसी 2016, झारखंड बीपीओ/बीपीएम पॉलिसी 2016, झारखंड ईएसडीएम पॉलिसी 2016, झारखंड एक्सपोर्ट पॉलिसी 2015, झारखंड फिल्म पॉलिसी 2015, झारखंड फिजिकल इंसेंटिव्स स्कीम फॉर सिटिंग अप ऑफ मेडिकल इंस्टीट्यूसंन 2016, झारखंड फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री पॉलिसी 2015 और झारखंड फिड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री पॉलिसी 2015 उल्लेखनीय है.

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कई क्षेत्र में रोजगार

इसके अलावा झारखंड इंडस्ट्रीयल पार्क पॉलिसी 2015, झारखंड इंडस्ट्रीयल एंड इंवेस्टमेंट प्रोमोसन पॉलिसी 2016, झारखंड आईटी/आईटीईएस पॉलिसी 2016, झारखंड टूरिज्म पॉलिसी 2015, डिफरेंट बेनिफिट्स टू एमएसएमईएस अंडर झारखंड प्रोक्यूमेंट्स पॉलिसी 2014, झारखंड स्टेट सोलर पॉवर पॉलिसी 2015 एंड झारखंड एनर्जी पॉलिसी 2012, झारखंड स्टॉर्टअप पॉलिसी 2016 और झारखंड टेक्सटाइल, अपारेल एंड फूटवेयर पॉलिसी 2016 राज्य, उद्योग और श्रमिक हित में है.

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