जमशेदपुर: लौहनगरी में एक बार फिर से आत्महत्या का ग्राफ बढ़ गया है. स्थिति यह है कि किसी भी अखबार का पन्ना आत्महत्या की खबरों से अछूता नहीं रहता है. जमशेदपुर में पारिवारिक विवादों के कारण आत्महत्या के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं. हालांकि, इस वर्ष आत्महत्या करने वालों की संख्या में कमी दर्ज की गई है.
क्या कहते हैं आंकड़े
बीते माह की रिपोर्ट देखें तो 16 लोगों ने अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लिया. जबकि, जमशेदपुर में इस वर्ष 118 लोगों ने आत्महत्या की है. जिसमें मार्च महीने में सबसे अधिक 21 लोगों ने आत्महत्या की. इसमें 10 पुरूष और 11 महिलाएं थीं. बता दें कि जमशेदपुर में वर्ष 2018 में 208 लोगों ने खुदकुशी की थी.
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क्या है कारण?
ऐसा नहीं है कि आत्महत्या सिर्फ शहरी क्षेत्र के लोग कर रहे हैं. पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी आत्महत्या करने की खबरें सामने आ रही हैं. एक तरफ जिले में आत्महत्या के सबसे अधिक मामले पारिवारिक कलह के कारण सामने आएं हैं, तो दूसरी ओर परीक्षा में अधिक अंक लाने के दबाव में छात्र खुदकुशी कर लेते हैं. कई मामले प्रेम संबंधों में असफल होने और नौकरी जाने को लेकर भी देखे गए हैं.
काउंसिलिंग से रोकथाम है संभव
आत्महत्या रोकने के लिए जमशेदपुर में चल रही 'जीवन संस्था' का कहना है कि उनके पास हर वर्ष 600 से अधिक लोग अपनी समस्या को लेकर आते हैं. वे उनकी काउंसिलिंग कर उन्हें इस तरह के कदम उठाने से रोकते हैं. उनका कहना है कि बच्चों को आत्महत्या करने से रोकने के लिए कई तरह के जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं.
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इसके अलावा आत्महत्या रोकथाम के लिए सरकारी विभागों के द्वारा भी काउंसिलिंग की जाती है. शहर में बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं को देखते हुए 'आत्महत्या निवारण केंद्र' की स्थापना की गई है. जिसमें हर दिन 4-5 लोग अपनी समस्या को लेकर आते हैं. संस्था ने लोगों की मदद के लिए अपना हेल्प लाइन नंबर जारी किया है.