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बजट को लेकर मजदूरों को उम्मीदें, कहा- महंगाई पर अंकुश लगाई जाए - बजट पर उम्मीद

2020 के बजट को लेकर तैयारी पूरी हो चुकी है. एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में जमशेदपुर के मजदूर वर्गों को केंद्र सरकार से ढेरों उम्मीदें हैं. मजदूरों ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से मध्यम वर्गीय परिवार के लोगों को टैक्स में थोड़ी राहत मिले.

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बजट पर उम्मीदें
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Published : Jan 30, 2020, 1:12 PM IST

रांची: महानगरों की तर्ज पर बसा आर्थिक नगरी लौहनगरी मजदूरों का शहर है. स्टील सिटी के नाम से प्रसिद्ध लौहनगरी में 90 फीसदी मजदूरों का निवास स्थान है. आगामी बजट में मजदूरों की केंद्र सरकार से बहुत सारी अपेक्षाएं हैं.

बजट पर उम्मीदें

'मोदी सरकार महंगाई कम करने में नाकाम'
2020 के बजट को लेकर तैयारी पूरी हो चुकी है. एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में मजदूर वर्गों को केंद्र सरकार से ढेरों उम्मीदें हैं. ऐसे में मजदूरों ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से मध्यम वर्गीय परिवार के लोगों को टैक्स में थोड़ी राहत मिले. निजी शिक्षण संस्थानों में फीस बढ़ोतरी के कारण बच्चों को पढ़ाना मुश्किल होता है. केंद्र की मोदी सरकार महंगाई कम करने में नाकाम साबित हुई है.

ये भी पढ़ें- छात्राओं ने दिखाया दम, स्नैचर को धर दबोचा, जमकर हुई बीच सड़क धुनाई

'व्यवसाय के नाम पर लूट खसोट'
मजदूरों का कहना है कि आगामी बजट में महंगाई पर अंकुश लगाया जाए. ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी के कारण जमशेदपुर के सीमावर्ती से सटे आदित्यपुर की कई कंपनियों में ताले लटके हुए हैं. टाटा मोटर्स जैसी औद्योगिक घरानों में बार-बार ब्लॉक क्लोजर करना पड़ रहा है. ऐसे में ट्रक चालकों को रोजमर्रा के मुताबिक कम पैसे मिल रहे हैं. मजदूरों ने कहा कि कुछ वर्षों से आम बजट में हमारी अनदेखी हुई है. टैक्स, टोल टैक्स में बीते पांच सालों में बढ़ोतरी हुई है. बैंकों के विलय होने से बेरोजगारी बढ़ी है. व्यवसाय के नाम पर लूट खसोट का कारोबार चल रहा है.

रांची: महानगरों की तर्ज पर बसा आर्थिक नगरी लौहनगरी मजदूरों का शहर है. स्टील सिटी के नाम से प्रसिद्ध लौहनगरी में 90 फीसदी मजदूरों का निवास स्थान है. आगामी बजट में मजदूरों की केंद्र सरकार से बहुत सारी अपेक्षाएं हैं.

बजट पर उम्मीदें

'मोदी सरकार महंगाई कम करने में नाकाम'
2020 के बजट को लेकर तैयारी पूरी हो चुकी है. एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में मजदूर वर्गों को केंद्र सरकार से ढेरों उम्मीदें हैं. ऐसे में मजदूरों ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से मध्यम वर्गीय परिवार के लोगों को टैक्स में थोड़ी राहत मिले. निजी शिक्षण संस्थानों में फीस बढ़ोतरी के कारण बच्चों को पढ़ाना मुश्किल होता है. केंद्र की मोदी सरकार महंगाई कम करने में नाकाम साबित हुई है.

ये भी पढ़ें- छात्राओं ने दिखाया दम, स्नैचर को धर दबोचा, जमकर हुई बीच सड़क धुनाई

'व्यवसाय के नाम पर लूट खसोट'
मजदूरों का कहना है कि आगामी बजट में महंगाई पर अंकुश लगाया जाए. ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी के कारण जमशेदपुर के सीमावर्ती से सटे आदित्यपुर की कई कंपनियों में ताले लटके हुए हैं. टाटा मोटर्स जैसी औद्योगिक घरानों में बार-बार ब्लॉक क्लोजर करना पड़ रहा है. ऐसे में ट्रक चालकों को रोजमर्रा के मुताबिक कम पैसे मिल रहे हैं. मजदूरों ने कहा कि कुछ वर्षों से आम बजट में हमारी अनदेखी हुई है. टैक्स, टोल टैक्स में बीते पांच सालों में बढ़ोतरी हुई है. बैंकों के विलय होने से बेरोजगारी बढ़ी है. व्यवसाय के नाम पर लूट खसोट का कारोबार चल रहा है.

Intro:एंकर-- महानगरों की तर्ज पर बसा आर्थिक नगरी लौहनगरी मजदूरों का शहर है.स्टील सिटी के नाम से जाने-जाने वाले लौहनगरी में नब्बे फ़ीसदी मजदूरों का निवास स्थान है.आगामी बजट में मजदूरों की केंद्र सरकार से क्या अपेक्षाएं है.


Body:वीओ1--2020 के बजट को लेकर तैयारी पूरी हो चुकी है.1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में मजदूर वर्गों को केंद्र सरकार से ढेरों उम्मीदें हैं. ऐसे में मजदूरों ने कहा केंद्र सरकार के द्वारा मध्यम वर्गीय परिवार के लोगों को टैक्स में थोड़ी राहत मिले.निजी शिक्षण संस्थानों में फ़ी बढ़ोतरी के कारण बच्चों को पढ़ाना मुश्किल होता है.केंद्र की मोदी सरकार महँगाई कमी करने में नाकाम साबित हुई है.आगामी बजट में महँगाई पर अंकुश लगाया जाए.ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी के कारण जमशेदपुर के सीमावर्ती से सटे आदित्यपुर की कई कंपनियां में ताले लटके हुए हैं. टाटा मोटर्स जैसी औद्योगिक घरानों में बार-बार ब्लॉक क्लोजर करना पड़ रहा है.ऐसे में ट्रक चालकों को रोजमर्रा के मुताबिक कम पैसे मिल रहे हैं.मजदूरों ने कहा कुछ वर्षों से आम बजट में हमारी अनदेखी हुई है.टैक्स,टोल टैक्स में बीते पाँच सालों में बढ़ोतरी हुई है.बैंकों के विलय होने से बेरोजगारी बढ़ी है.व्यव्साय के नाम पर लूट खसोट का कारोबार चल रहा है.नई नौकरियों को खत्म कर दिया गया है. हर बार के बजट में किसानों की कर्ज माफी की बात कही जाती है लेकिन अब तक किसानों की कर्ज माफ़ नहीं हुई है।
बाइट--मजदूर
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Conclusion:बहरहाल आने वाले बजट में अब देखना है कि मजदूरों की बातें केंद्र सरकार कितना हद तक पूरा करती है।
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