जमशेदपुर: लौहनगरी में इस बार दीपावली पर स्कूल ऑफ होप के दिव्यांग बच्चे जो मोमबत्तियां बना रहे हैं उनकी डिमांड काफी है. इधर, स्कूल प्रबंधन भी बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ आत्मनिर्भर बना रहे हैं. वे उन्हें मोमबत्तियां बनाने का प्रशिक्षण देकर स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं. ताकि यह बच्चे भविष्य में शिक्षा पूरी कर अपने कौशल विकास के बदौलत स्वरोजगार की ओर बढ़ सकें.
बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास
जमशेदपुर का स्कूल ऑफ होप पिछले कई वर्षों से वैसे बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने के साथ-साथ उनमें कौशल विकास के गुर भी विकसित किए जा रहे हैं. वोकेशनल कार्यक्रमों के माध्यम से उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. जो शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं, जिनके भविष्य को लेकर उनके पेरेंट्स चिंतित रहते हैं. वैसे बच्चों को मोमबत्ती बनाने का प्रशिक्षण देकर उनमें स्किल डेवलपमेंट पर बल दिया जा रहा है.
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समाज की मुख्यधारा से जोड़ने ये कवायद
बच्चो के द्वारा बनाई गईं मोमबत्तियां खूबसूरत और आकर्षक हैं. इनके डिजाइंस को बाजारों में लोग पसंद कर रहे हैं. यह मोमबत्तियां टाटा मुख्य अस्पताल, सरकारी और निजी कार्यालयों और कई कार्यक्रमों के अलावा दीपावली में लोगों की पहली पसंद बनती जा रही है. जिसके बदौलत स्कूल प्रबंधन की आय में वृद्धि होने के साथ-साथ बच्चों का भविष्य भी संवारा जा रहा है. यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे लगभग 130 दिव्यांग बच्चे इसका लाभ ले रहे हैं. स्कूल प्रबंधन की उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की ये कवायद सफल होती दिख रही है.