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लौहनगरी का बदहाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र , 8 साल बाद भी नहीं तैयार हुआ 30 बेड वाला अस्पताल

जमशेदपुर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत बदहाल है. ये स्वास्थ्य केंद्र मात्र एक डॉक्टर के सहारे चल रहा है. जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं, लोगों को छोटे-मोटे इलाज के लिए दूसरे अस्पताल का रूख करना पड़ता है.

सरकारी अस्पताल की हालत बदहाल
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Published : Jul 8, 2019, 5:58 PM IST

जमशेदपुर: दो लाख की आबादी पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और वो भी एक डॉक्टर के सहारे चल रहा है. इस कारण लोगों को परेशानी हो रही है. बता दें कि आठ साल के बाद भी 30 बेड का अस्पताल नहीं चालू हो सका. जिसके अभाव में इलाज के लिए आए मरीजों को बैरंग लौटने को मजबूर होना पड़ता है. वहीं, हर दिन सैंकड़ों लोग इलाज कराने आते हैं.

सरकारी अस्पताल की हालत बदहाल

लौहनगरी के जुगसलाई स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की जहां सिर्फ एक डॉक्टर के सहारे लाखों की आबादी टिकी है और यहां चार करोड़ रुपए की लागत से 30 बेड का अस्पताल बनना था, लेकिन यह अब तक नहीं बन पाया है. ईटीवी भारत की टीम ने सामुदायिक अस्पताल का मुआयना किया तो यहां एक डॉक्टर ओपीडी में मिले. वहीं, संसाधनों के अभाव के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हर दिन दम तोड़ रही चिकित्सक सेवा. डॉक्टरों के अभाव के कारण यहां महिला और प्रसूति विभाग में भी इलाज सही से नहीं हो पाता है. डॉक्टरों की संख्या भी ना के बराबर है.

ये भी पढ़ें- रांची रेल मंडल में चला ऑपरेशन प्यास, अवैध रूप से बोतल बंद पानी बेचने वालों की दुकानें सील

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति एक हजार नागरिकों पर दो या तीन चिकित्सक होने चाहिए. इसी तरह पूर्वी सिंहभूम में जनसंख्या के अनुसार स्वास्थ्य केंद्र की हालत बेहद खराब है. वहीं, 22 लाख की आबादी वाले पूर्वी सिंहभूम में 9 सीएचसी,18 पीएचसी और 244 हेल्थ सब्सेन्टर है. जबकि 4 हजार145 की जनसंख्या पर एक स्वास्थ्य केंद्र होने चाहिए.

जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग झारखंड सरकार के रूरल हेल्थ स्टैटिस्टिक्स के अनुसार पांच हजार जनसंख्या वाले क्षेत्र में 2.54 किलोमीटर पर और चार कस्बों के अनुरूप एक हेल्थ सब्सेन्टर होनी चाहिए. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाज और दवा इन सबकी कमी अक्सर होती है. डॉक्टरों की कमी के कारण सुदूर क्षेत्र के लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आपाताकाल स्थिति में मरीजों के लिए एक बेड की व्यवस्था भी नहीं है. छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी दूसरे अस्पातल में रेफर कर दिया जाता है.

जमशेदपुर: दो लाख की आबादी पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और वो भी एक डॉक्टर के सहारे चल रहा है. इस कारण लोगों को परेशानी हो रही है. बता दें कि आठ साल के बाद भी 30 बेड का अस्पताल नहीं चालू हो सका. जिसके अभाव में इलाज के लिए आए मरीजों को बैरंग लौटने को मजबूर होना पड़ता है. वहीं, हर दिन सैंकड़ों लोग इलाज कराने आते हैं.

सरकारी अस्पताल की हालत बदहाल

लौहनगरी के जुगसलाई स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की जहां सिर्फ एक डॉक्टर के सहारे लाखों की आबादी टिकी है और यहां चार करोड़ रुपए की लागत से 30 बेड का अस्पताल बनना था, लेकिन यह अब तक नहीं बन पाया है. ईटीवी भारत की टीम ने सामुदायिक अस्पताल का मुआयना किया तो यहां एक डॉक्टर ओपीडी में मिले. वहीं, संसाधनों के अभाव के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हर दिन दम तोड़ रही चिकित्सक सेवा. डॉक्टरों के अभाव के कारण यहां महिला और प्रसूति विभाग में भी इलाज सही से नहीं हो पाता है. डॉक्टरों की संख्या भी ना के बराबर है.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति एक हजार नागरिकों पर दो या तीन चिकित्सक होने चाहिए. इसी तरह पूर्वी सिंहभूम में जनसंख्या के अनुसार स्वास्थ्य केंद्र की हालत बेहद खराब है. वहीं, 22 लाख की आबादी वाले पूर्वी सिंहभूम में 9 सीएचसी,18 पीएचसी और 244 हेल्थ सब्सेन्टर है. जबकि 4 हजार145 की जनसंख्या पर एक स्वास्थ्य केंद्र होने चाहिए.

जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग झारखंड सरकार के रूरल हेल्थ स्टैटिस्टिक्स के अनुसार पांच हजार जनसंख्या वाले क्षेत्र में 2.54 किलोमीटर पर और चार कस्बों के अनुरूप एक हेल्थ सब्सेन्टर होनी चाहिए. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाज और दवा इन सबकी कमी अक्सर होती है. डॉक्टरों की कमी के कारण सुदूर क्षेत्र के लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आपाताकाल स्थिति में मरीजों के लिए एक बेड की व्यवस्था भी नहीं है. छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी दूसरे अस्पातल में रेफर कर दिया जाता है.

Intro:एंकर--दो लाख की आबादी पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र.जहाँ एक डॉक्टर के सहारे लोगों को ईलाज चल रहा है.आठ साल के बाद भी नहीं चालू हो सका 30 बेड का अस्पताल.ईलाज के अभाव में मरीज बैरंग लौटने को मजबूर।हर दिन सैंकड़ों लोग ईलाज कराने आते हैं।


Body:वीओ1--यह तस्वीर है लौहनगरी के जुगसलाई स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की जहाँ सिर्फ एक डॉक्टर के सहारे सवा लाख की आबादी टिकी है.यहाँ चार करोड़ रुपए की लागत से तीस बेड का अस्पताल बनना था.लेकिन यह अब तक नहीं बन पाया है.ईटीवी भारत की टीम ने सामुदायिक अस्पताल का मुआयना किया तो यहाँ एक डॉक्टर ओपीडी में मिले.संसाधनों के अभाव के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हर दिन दम तोड़ रही चिकित्सक सेवा.डॉक्टरों के अभाव के कारण यहाँ महिला एवं प्रसूति विभाग का ईलाज भी सही से नहीं हो पाता है.डॉक्टरों की संख्या भी ना के बराबर है।
बाइट--स्थानीय निवासी
वीओ2--विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति एक हज़ार नागरिकों पर 2.5 चिकित्सक होने चाहिए.इसी तरह पूर्वी सिंहभूम में जनसंख्या के अनुसार स्वास्थ्य केंद्र बेहद गड़बड़ है.22लाख की आबादी वाले पूर्वी सिंहभूम में 9 सीएचसी(सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र)18 पीएचसी(प्राथमिकी स्वास्थ्य केंद्र)और 244 हेल्थ सब्सेन्टर है.जबकि 4145 की जनसंख्या पर एक स्वास्थ्य केंद्र होने चाहिए.
स्वास्थ्य विभाग झारखंड सरकार के रूरल हेल्थ स्टैटिसकटिक्स के अनुसार--पाँच हज़ार जनसंख्या वाले छेत्र में 2.54 किलोमीटर पर और चार कस्बों के अनुरूप एक हेल्थ सब्सेन्टर होनी चाहिए.
ईलाज और दवा इन सबकी कमी यहाँ अक्सर होती है.डॉक्टरों की कमी के कारण सुदूर छेत्र के लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.अविलम्ब डॉक्टर भी पहुंचते हैं।आपाताकाल स्थिति में मरीजों के लिए एक बेड की व्यवस्था भी नहीं है.छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी दूसरे अस्पातल में रेफर कर दिया जाता है।
बाइट--कमल कुमार(स्थानीय निवासी)
बाइट--सरोज ठाकुर( चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र)



Conclusion:बहरहाल स्टील सिटी के लोगों को स्वास्थ्य के लिए दर--दर भटकना पड़ रहा है.करोड़ों रुपए से बनी इमारतों की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
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