जमशेदपुर: सरकार के द्वारा लौहनगरी के पुलिसकर्मियों के लिए एक अस्पताल की व्यवस्था कराई गई है, लेकिन अस्पताल में ना तो डॉक्टर देखने को मिलते हैं, ना ही दवाईयां उपलब्ध हैं. ऐसे में पुलिसकर्मी इलाज के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल का रूख करने को मजबूर हैं.
1960 में हुआ था निर्माण
जानकारी के अनुसार पुलिस अस्पताल का निर्माण 1960 में हुआ था. बनने के कुछ समय तक तो अस्पताल में काम अच्छे से चला लेकिन समय बीतते इसकी व्यवस्था ठप हो गई, जिसकी वजह से पुलिसकर्मियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.
पुलिसकर्मियों का कहना है कि बीमारी होने पर सरकार के द्वारा कोई व्यवस्था नहीं दी जाती है. बेहतर सेवा के लिए बेहतर सुविधा के प्रति सरकार को ध्यान देना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. उन्होंने बताया कि समय पर उचित इलाज नहीं मिलने के कारण कई बार पुलिसकर्मियों की जान तक जा चुकी है.
वहीं डॉक्टर स्वर्ण सिंह ने बताया कि 2004 से ही जिला पुलिस अस्पताल बीमार पड़ा है. एसएसपी को कई बार इसकी जानकारी दी गई है, लेकिन ऐसी ही उदासीनता रहती है.
खंडहर में तब्दील हो चुका है अस्पताल
अस्पताल में कुछ टुटे हुए स्ट्रेचर और कुछ दवाईयां, इसके अलावा कुछ भी नहीं है. अस्पताल की दीवारें भी टूट चुकी है. पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुके इस अस्पताल में पुलिसकर्मियों के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है. जिसकी वजह से उनको निजी अस्पताल जाना पड़ता है.
जमशेदपुर में ट्रैफिक जवान, जिला पुलिस बल, अधिकारियों को मिलाकर कुल 4 हजार से अधिक जवान है, पर इनके लिए एक ही डॉक्टर तैनात किए गए हैं. ऐसे में इनकी सुरक्षा की जिम्मेवारी किसकी है.