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आजादी के बाद से अब तक नहीं पहुंची यहां कोई सुविधा, देसी जुगाड़ से ग्रामीणों ने बनाया पुल - ग्रामीणों ने हजारीबाग में लकड़ी का पुल बनाया

तमाम प्रयास और मांगों के बाद भी प्रशासन या जनप्रतिनिधि के ध्यान नहीं देने पर बरकट्ठा इचाक प्रखंड के पंचायत डाढ़ा के बांका गांव के लोगों ने मिलकर नदी पर लकड़ी का पुल बना दिया. इस पुल से अब गांव के बच्चे, महिला-पुरुष प्रखंड मुख्यालय पहुंच रहे हैं. पुल के बनने से गांव के लोगों को आवागमन का एक बेहतर विकल्प मिल गया है.

Villagers built wooden bridge in hazaribag, wooden bridge in hazaribag, ग्रामीणों ने हजारीबाग में लकड़ी का पुल बनाया, हजारीबाग में लकड़ी का पुल
बनाया गया पुल
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Published : Jul 14, 2020, 5:04 PM IST

हजारीबाग: जिले के इचाक प्रखंड के पंचायत डाढ़ा के बांका गांव के लोगों को शहर आने जाने के लिए कोई संसाधन नहीं था. बांका गांव की नदी पार कर ही जाने की मजबूरी थी. गांव के लोगों ने कई बार चुनाव के समय वोट मांगने आने वाले नेताओं से समस्या से रूबरू कराया. इसके अलावा प्रशासन को भी अवगत कराया गया, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई. आए दिन आवागमन की समस्या से निजात पाने के लिए गांव में बैठक कर नदी पर पुल बनाने का निर्णय किया गया. आपस में चंदा किया ओर इस पुल को बनाया, तब गांव के लोग शहर जा पा रहे हैं. आजादी के बाद से ही इस गांव में पुल का निर्माण नहीं हो पाया है. जहां एक ओर सरकार पुल, सड़क निर्माण को लेकर बड़ी-बड़ी बात करती है, तो दूसरी ओर जमीनी हकीकत है कि यहां के लोग हर बरसात में जान जोखिम में डालकर बांस के पुल से गांव से शहर पहुंचते हैं.

देखें पूरी खबर

मानव विकास संस्थान से जुड़कर पुल बनाया गया

स्थानीय किसान भी कहते हैं कि उनके पास कोई संसाधन नहीं है. दो वक्त की रोटी के लिए वे मजदूरी करने शहर जाते हैं. उनके पास कोई विकल्प नहीं है, इस कारण उन्होंने चचरी पुल बना लिया. पंचायत समिति सदस्य सरयू राम का कहना है कि प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए 70 किमी दूरी तय करते हैं. पुल बनाने से प्रखंड मुख्यालय की दूरी मात्र 25 किमी होगी. मानव विकास संस्थान से जुड़कर पुल को बनाया गया.

ये भी पढ़ें- दिनदहाड़े एक कंपनी के डिलीवरी ब्वॉय से लूट, बंदूक की नोक पर दिया वारदात को अंजाम

किसी ने नहीं ली सुध

इस गांव में 144 घरों में करीब 700 की आबादी में 80 प्रतिशत आदिवासी बहुल क्षेत्र है. 20 दिनों में तैयार कर लिया अस्थाई पुल. गांव चारों ओर से पहाड़ी, नदियों से घिरा है. ग्रामीणों का कहना है कि न तो प्रशासन ने सुध ली न जनप्रतिनिधि, वे वोट मांगने के समय सिर्फ नजर आते हैं.

हजारीबाग: जिले के इचाक प्रखंड के पंचायत डाढ़ा के बांका गांव के लोगों को शहर आने जाने के लिए कोई संसाधन नहीं था. बांका गांव की नदी पार कर ही जाने की मजबूरी थी. गांव के लोगों ने कई बार चुनाव के समय वोट मांगने आने वाले नेताओं से समस्या से रूबरू कराया. इसके अलावा प्रशासन को भी अवगत कराया गया, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई. आए दिन आवागमन की समस्या से निजात पाने के लिए गांव में बैठक कर नदी पर पुल बनाने का निर्णय किया गया. आपस में चंदा किया ओर इस पुल को बनाया, तब गांव के लोग शहर जा पा रहे हैं. आजादी के बाद से ही इस गांव में पुल का निर्माण नहीं हो पाया है. जहां एक ओर सरकार पुल, सड़क निर्माण को लेकर बड़ी-बड़ी बात करती है, तो दूसरी ओर जमीनी हकीकत है कि यहां के लोग हर बरसात में जान जोखिम में डालकर बांस के पुल से गांव से शहर पहुंचते हैं.

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मानव विकास संस्थान से जुड़कर पुल बनाया गया

स्थानीय किसान भी कहते हैं कि उनके पास कोई संसाधन नहीं है. दो वक्त की रोटी के लिए वे मजदूरी करने शहर जाते हैं. उनके पास कोई विकल्प नहीं है, इस कारण उन्होंने चचरी पुल बना लिया. पंचायत समिति सदस्य सरयू राम का कहना है कि प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए 70 किमी दूरी तय करते हैं. पुल बनाने से प्रखंड मुख्यालय की दूरी मात्र 25 किमी होगी. मानव विकास संस्थान से जुड़कर पुल को बनाया गया.

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किसी ने नहीं ली सुध

इस गांव में 144 घरों में करीब 700 की आबादी में 80 प्रतिशत आदिवासी बहुल क्षेत्र है. 20 दिनों में तैयार कर लिया अस्थाई पुल. गांव चारों ओर से पहाड़ी, नदियों से घिरा है. ग्रामीणों का कहना है कि न तो प्रशासन ने सुध ली न जनप्रतिनिधि, वे वोट मांगने के समय सिर्फ नजर आते हैं.

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