हजारीबाग: बड़कागांव के रहने वाले आनंद ने हजारीबाग पुलिस के 6 पदाधिकारियों पर थर्ड डिग्री टॉर्चर करने का आरोप लगाया है. जिसके बदन मे उभरे हुए दाग इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि उसे बहुत ही बेदर्दी से मारा गया है. अब हजारीबाग के एसपी ने इस पूरे प्रकरण की जांच की जिम्मेवारी हजारीबाग एसडीपीओ कमल किशोर को दी है. जांच रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई करने का आश्वासन भी पदाधिकारी ने दिया है.
दरअसल, ईटीवी भारत ने रविवार को आनंद कुमार की बर्बरता पूर्वक पिटाई की खबर दिखाई थी. जिसमें आनंद ने पुलिस पर आरोप लगाया था कि 6 पदाधिकारियों ने मिलकर उसकी जमकर पिटाई की और सरकारी गवाह बनने को मजबूर किया. गवाह नहीं बनने के बाद उसकी पिटाई की गई. आलम यह है कि आज आनंद अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा हुआ है.
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आंनद ने बताया था कि वह रांची में अपनी मौसी के घर रहकर पढ़ाई कर रहा था. वर्तमान में सीसीएल बरकाकाना में ट्रेनिंग भी की थी. अचानक से 21 मई को उसे हजारीबाग के बड़कागांव पुलिस रांची अरगोड़ा थाना के सामने से उठाकर बड़कागांव ले आई. वहां उसके साथ मारपीट की गयी. यही नहीं देर रात मेरु स्थित एसडीपीओ विष्णुगढ कार्यालय लाया गया और वहां थर्ड डिग्री इस्तेमाल किया गया.
उसका कहना है कि 100 लाठी मुझे पैर में मारने को कहा गया. पुलिस ने उल्टा टांग कर मुझे मारा है और जब मन नहीं भरा तो पूरे बदन में टूटे हुए बांस के डंडे से घायल किया गया. यहां तक कि नाखून में भी डंडे से मारा गया और पैर में बूट से मारा. आनंद का कहना है कि पुलिस का दबाव है कि वह सरकारी गवाह बन जाए और सादे पन्ने पर अपना सिग्नेचर कर दे.
जमीन विवाद का मामला
उसका यह भी कहना है कि हाल के दिनों में बड़कागांव में किसी की हत्या हुई थी. उसी मामले में मुझे सरकारी गवाह बनने का दबाव था. साथ ही साथ यह मालूम चला है कि पूरे प्रकरण के पीछे जमीन का विवाद है. पीड़ित आनंद कुमार के छोटे भाई पर हत्या का आरोप है और वह फरार चल रहा है. उसके पिता का कहना है कि जमीन के कारण प्रशासन उनके परिवार के पीछे पड़ा है और एक बेटे को हत्यारा घोषित करने की कोशिश कर रहा है तो वहीं दूसरे के ऊपर जुल्म ढा रहा है.
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उन्होंने बड़कागांव थाना प्रभारी, केरेडारी थाना प्रभारी, 2 प्रशिक्षु दरोगा और गाड़ी कला थाना प्रभारी पर यह आरोप लगाया है. आरोप काफी गंभीर है. बदन के दाग इस ओर इशारा कर रहे हैं कि उसके साथ पिटाई तो हुई है. इस मामले को लेकर पीड़िता के ओर से डीआईजी को एक आवेदन भी सौंपा गया है.
इस मामले की जांच की जिम्मेवारी सदर एसडीपीओ कमल किशोर को दी गयी है. अब ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या पुलिस अपने सहकर्मी के खिलाफ जांच सही तरीके से कर पाएगी या फिर खानापूर्ति कर फाइल बंद कर दिया जाएगा.