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अद्भुत है हजारीबाग के इचाक का बुढ़िया माता मंदिर, मां के निराकार स्वरूप की यहां होती है पूजा

नवरात्रि में मां शक्ति के 9 रूपों की पूजा होती है. लेकिन मां के और भी कई स्वरूप हैं. मां की महिमा इतनी है कि भक्त मां की भक्ति में अनायास ही खींचे चले आते हैं. हजारीबाग के इचाक में मां के निराकार स्वरूप की पूजा की जाती है.

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Published : Oct 25, 2020, 12:22 PM IST

Updated : Oct 25, 2020, 12:40 PM IST

budhiya mata mandir in ichak hazaribag
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हजारीबागः आदि शक्ति मां दुर्गा के कई रूप हैं. कहीं ज्योति के रूप में तो कहीं नैना देवी के रूप में पूजी जाती है. लेकिन हजारीबाग में आदि शक्ति मां के निराकार रूप की पूजा होती है. जो हर मुराद पूरी करने वाली हैं. हजारीबाग के इचाक प्रखंड का बुढ़िया माता मंदिर पूरे सूबे में प्रसिद्ध है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
ये भी पढ़ेंः दुमका का एक गांव जहां दुर्गा के रूप में बेटियों की करते हैं पूजा, पश्चिम बंगाल तक से देखने आते हैं लोग

आस्था का प्रतीक है दुर्गा पूजा. जहां मां के अलग-अलग रूपों की पूजा 9 दिनों तक होती है. मां के कई रूप हैं. जिसमें कहीं मां के चरण की पूजा होती है तो कहीं नयन की. लेकिन हजारीबाग के इचाक प्रखंड में मां शेरावाली के निराकार रूप की पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि यहां हर मुराद पूरी करती है. जो भी मां के दरबार में सच्चे मन से माथा टेकता है, मां उसकी झोली खुशियों से भर देती है. राज्य ही नहीं देश के कोने-कोने से यहां भक्त पहुंचते हैं. भक्त भी कहते हैं कि हमने जब भी यहां सच्चे मन से मांगा है मां ने हमें अपना आशीर्वाद दिया है. इस कारण हम जब भी हजारीबाग आते हैं तो मां के दरबार में जरूर पहुंचते हैं.

इस मंदिर के बारे में एक पौराणिक कहानी भी है. कहा जाता है कि 1668 में इचाक में हैजा महामारी के रूप में फैल गई थी. उस वक्त एक बूढ़ी माता इचाक बाजार में दिखी. इस बीमारी को दूर करने के लिए उन्होंने मिट्टी दी और उसे गांव से दूर रखने को कहा. कुछ देर बाद माता वहां से गायब हो गई और धीरे-धीरे महामारी भी खत्म हो गई. माता की दी हुई मिट्टी 3 पिंडी के रूप में उभर गयी. जिसे आज पूजा जाता है. यहां के मुख्य पुजारी भी कहते हैं कि मां की निराकार रूप में वह शक्ति है कि जो भक्त यहां पहुंचता है, उसकी मुराद पूरी होती है. यहां सालों भर भक्त पहुंचते हैं. रामनवमी और दुर्गा पूजा में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. साल में दो बार मां का वस्त्र भी बदला जाता है.

हजारीबागः आदि शक्ति मां दुर्गा के कई रूप हैं. कहीं ज्योति के रूप में तो कहीं नैना देवी के रूप में पूजी जाती है. लेकिन हजारीबाग में आदि शक्ति मां के निराकार रूप की पूजा होती है. जो हर मुराद पूरी करने वाली हैं. हजारीबाग के इचाक प्रखंड का बुढ़िया माता मंदिर पूरे सूबे में प्रसिद्ध है.

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आस्था का प्रतीक है दुर्गा पूजा. जहां मां के अलग-अलग रूपों की पूजा 9 दिनों तक होती है. मां के कई रूप हैं. जिसमें कहीं मां के चरण की पूजा होती है तो कहीं नयन की. लेकिन हजारीबाग के इचाक प्रखंड में मां शेरावाली के निराकार रूप की पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि यहां हर मुराद पूरी करती है. जो भी मां के दरबार में सच्चे मन से माथा टेकता है, मां उसकी झोली खुशियों से भर देती है. राज्य ही नहीं देश के कोने-कोने से यहां भक्त पहुंचते हैं. भक्त भी कहते हैं कि हमने जब भी यहां सच्चे मन से मांगा है मां ने हमें अपना आशीर्वाद दिया है. इस कारण हम जब भी हजारीबाग आते हैं तो मां के दरबार में जरूर पहुंचते हैं.

इस मंदिर के बारे में एक पौराणिक कहानी भी है. कहा जाता है कि 1668 में इचाक में हैजा महामारी के रूप में फैल गई थी. उस वक्त एक बूढ़ी माता इचाक बाजार में दिखी. इस बीमारी को दूर करने के लिए उन्होंने मिट्टी दी और उसे गांव से दूर रखने को कहा. कुछ देर बाद माता वहां से गायब हो गई और धीरे-धीरे महामारी भी खत्म हो गई. माता की दी हुई मिट्टी 3 पिंडी के रूप में उभर गयी. जिसे आज पूजा जाता है. यहां के मुख्य पुजारी भी कहते हैं कि मां की निराकार रूप में वह शक्ति है कि जो भक्त यहां पहुंचता है, उसकी मुराद पूरी होती है. यहां सालों भर भक्त पहुंचते हैं. रामनवमी और दुर्गा पूजा में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. साल में दो बार मां का वस्त्र भी बदला जाता है.

Last Updated : Oct 25, 2020, 12:40 PM IST
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