हजारीबागः जिले के चौपारण के युवा साथियों की मेहनत एक मिसाल के तौर पर साबित हो रही है. कभी अकेले राहगीरों की मदद करने निकले व्यक्ति का धीरे-धीरे समाज, देश के कोने-कोने और विदेश के लोगों से सहयोग मिलता गया और आज यह टोला 53,000 से अधिक लोगों का पेट भर चुका है.
70 दिनों से करा रहे भोजन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से अपील की थी कि आपदा मित्र बने. इसी प्रेरणा से प्रेरित होकर हजारीबाग के चौपारण प्रखंड के युवा साथी आपदा मित्र बनकर हजारों हजार लोगों का पेट भरा है. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से सहायता और सहयोग की अपील चौपारण के करीब दो दर्जन युवाओं के लिए प्रेरणा बनी है. युवाओं की टोली पिछले 70 दिनों से लॉकडाउन में आने वाले प्रवासी मजदूरों और गरीबों के लिए आपदा मित्र के रूप में सही अर्थों में सामने आए हैं. प्रतिदिन समाज के सहयोग से सामुदायिक किचन स्थापित कर हजारों हजार लोगों का भोजन करवा रहे हैं. सामुदायिक किचन के सदस्य शशी शेखर ने बताया कि प्रारंभ में उन्होंने आपसी सहयोग करके यह कार्य प्रारंभ किया. वर्तमान समय में प्रवासी मजदूरों और गरीबों को बेहतर और पौष्टिक भोजन करवाने का काम कर रहे हैं .उन्होंने बताया कि अब तक समाज के लोगों का सहयोग मिल रहा है और अब तक 53000 से अधिक लोगों को इस सेवा का लाभ मिल चुका है.
हर रोज बदलता है मेनु
वहीं, विनोद कुमार बताते हैं कि उनलोगों ने जब यह कार्य शुरू किया तो काफी चिंता में थे कि उनका कारवां आगे कैसे बढ़ेगा, लेकिन उनके कार्यों को लोगों ने सर आंखों पर बैठाया. उन्हें चौपारण से ही कई लोगों ने मदद किया. जब उन्होंने अपनी सेवा की तस्वीरें सोशल साइट्स में डाली तो देश के कोने-कोने से उन लोगों को मदद मिली. आलम यह रहा कि विदेश से भी लोगों ने पैसा भेजा. जिस कारण आज उनलोग 70 दिनों से स्वादिष्ट-लजीज भोजन लोगों को करवा रहे हैं. हर दिन उनका मेनु अलग होता है. जब क्वॉरेंटाइन में रहने वाले लोगों ने बिरयानी की मांग की तो उन लोगों ने उन्हें बिरयानी तक खिलाया.
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आपदा मित्र के अन्य सदस्य जो शिक्षक हैं उनका कहना है कि वे सिर्फ लोगों का आर्थिक सहयोग ही नहीं बल्कि लोगों ने उन्हें भी प्रोत्साहित किया. जब किसी के घर में जन्मदिन या फिर शादी की सालगिरह रही तो लोगों ने राशन और पैसा दिया. उनलोगों ने कहा कि इस पैसे से गरीबों को खाना खिलाएं. ऐसे में आपदा मित्र के लोगों का हौसला और भी अधिक बड़ा और वे बढ़ चढ़कर पूरी ताकत से गरीबों के साथ खड़े हो गए. यहां तक की सदस्यों ने वैसे गरीब जिनके पैरों में चप्पल ही था उन्हें चप्पल भी पहनाने का काम किया है.