हजारीबाग: कोरोना संक्रमण अभी खत्म भी नहीं हुआ है. लेकिन लापरवाही चरम सीमा पर है. हजारीबाग में लापरवाही का एक बड़ा नजारा सामने आया है, जिसे देखकर आप भी सकते में रह जाएंगे कि आखिर राजधानी रांची में कोरोना मरीज के शव के साथ यह क्या किया जा रहा है.
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कोरोना संक्रमण अभी टला नहीं है बल्कि और भी अधिक एहतियात बरतने की जरूरत है, लेकिन राजधानी रांची के प्रतिष्ठित गुरु नानक अस्पताल की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है. हजारीबाग खीरगांव निवासी की इलाज के दौरान मौत हो गयी, जिसकी मौत हुई है वह कोरोना संक्रमित था. लेकिन गुरु नानक अस्पताल प्रबंधन ने उसका शव बिना प्रोटोकॉल निभाते हुए परिजनों को सौंप दिया.
क्या है प्रोटोकॉल
नियम यह है कि जब किसी संक्रमित मरीज की मौत होती है तो उसे 3 लेयर से ढका जाता है. जिसमें प्लास्टिक, कपड़ा और अंत में पीपीई किट में डाल कर दिया जाता है ताकि सावधानीपूर्वक अंतिम संस्कार किया जा सके लेकिन गुरु नानक अस्पताल ने बिना नियम का पालन किए शव परिजनों को सौंप दिया. परिजन एंबुलेंस में शव के साथ हजारीबाग आए. इसकी सूचना हजारीबाग मुर्दा कल्याण समिति को दी गयी, जो कोरोना मरीज की मौत के बाद अंतिम संस्कार कर रही है.
समिति ने भी शव देखकर ताज्जुब किया. मुर्दा कल्याण समिति के अध्यक्ष मोहब्बत खालिद ने बताया कि वह भी शव देखकर अचंभित हो गए. उनके पास भी समय कम था इसलिए अंतिम संस्कार करने के समय एहतियात बरतते हुए अग्नि संस्कार किया. उनका कहना है कि जिस तरह से अस्पताल में लापरवाही बरती गई है. ऐसे में उस पर कार्रवाई करने की भी जरूरत है ताकि दूसरे अस्पताल को भी सीख मिले.
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परिजन भी भयभीत
वहीं, एंबुलेंस के चालक ने भी बताया कि उन लोगों को भी नहीं पता था कि मृत्यू कोरोना से हुई है. चालक ने कहा बिना पीपीई किट से ढके हुए शव को एंबुलेंस से भेज दिया गया. ऐसे में मृतक के परिजन भी काफी भयभीत और चिंतित हैं. उनका कहना है कि इस तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए, क्योंकि एंबुलेंस में बैठकर हमारे घर के लोग भी आए हैं. अब हमें कोरोना टेस्ट कराना है. इस घटना से पूरा परिवार भयभीत है.