हजारीबाग: हजारीबाग में पत्थलगड़ी (Pathalgadi in Hazaribagh) किया गया है. जिले के सारले सिंदूर, दीपूगढ़ा में आदिवासी छात्र संघ, आदिवासी महासभा और विभिन्न समाजिक संगठनों के साझा नेतृत्व में 1 जनवरी 1948 को हुए खरसांवा नरसंहार के शहीदों के साथ क्रिस्टोफर लकड़ा और उनके परिवार को श्रद्धांजलि दी गई. इसके लिए पारंपरिक पत्थलगड़ी की गई और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया.
हजारीबाग में पत्थलगड़ी (Pathalgadi in Hazaribagh) कार्यक्रम कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई है. कार्यक्रम में पाहन ने पारंपरिक विधि विधान के साथ खरसांवा गोलीकांड में शहीदों हुए लोगों की वेदी और एलियस लकड़ा,उनकी पत्नी फेलिसितास लकड़ा और उनके बेटे क्रिस्टोफर लकड़ा के नाम से पत्थलगड़ी कर उनकी आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की गई. हजारीबाग प्रमंडल में बर्षों बाद किसी आदिवासी ने अपनी निजी जमीन पर नए हरगड़ी का निर्माण किया है. कार्यक्रम में ग्रामीण क्षेत्रों से आये सैकड़ों लोगों ने पुष्प अर्पित कर खरसांवा नरसंहार गोलीकांड के शहीदों और शहीद क्रिस्टोफर लकड़ा को नमन करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि दी.
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पत्थलगड़ी कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आदिवासी समाज के सदस्य विजय कुजुर ने कहा कि पत्थलगड़ी 4 तरह की होती है. आदिवासी समाज में इसका बहुत महत्व है. वे लोग आज यहां पत्थलगड़ी कर रहे हैं जो यह बताएगा कि पत्थलगड़ी और आज के दिन का क्या महत्व है. उनका कहना है कि इससे यह भी पता चलता है कि यह जमीन किस परिवार की है. आने वाले समय में जिनका भी इस परिवार में संबंध होगा उनके नाम पर भी पत्थलगड़ी किया जाएगा. क्रिस्टोफर लकड़ा के परिजन रुचि कुजूर ने कहा कि वे खरसांवा हत्याकांड का विरोध करती हैं और उम्मीद करती हैं कि जो भी आरोपी हैं उन्हें सजा भी मिलेगी. 23 नवंबर 2021 को सेवानिवृत्त क्रिस्टोफर लकड़ा का शव उनके ही निजी तालाब से बरामद किया गया था. उनकी हत्या का आरोप बीरेंद्र मेहता और उनके भू-माफिया सहयोगियों पर लगा था.