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हजारीबाग: NTPC के कोयले भंडार में लगी आग, हो सकता है भारी नुकसान - हाजीबारीबाग में आग की खबर

हजारीबाग के एनटीपीसी कोयले के भंडार में आग लग गई है. जल्द ही इस आग पर काबू नहीं पाया गया तो एक बड़ा रूप ले लेगी, जिससे कोयला भंडार पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा.

एनटीपीसी कोयला भंडार
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Published : Oct 3, 2020, 5:42 PM IST

हजारीबाग: एनटीपीसी पकरी बरवाडीह कोयला खनन परियोजना में खनन कार्य बंद हो जाने के कारण डंप किए गए कोयले के भंडार में आग लग गई है. जगह-जगह धुआं उठ रहा है. अगर जल्द ही कोयले को नहीं उठाया गया तो आग भीषण हो जाएगी और इस पर काबू पाना लगभग असंभव हो जाएगा. इम सब की जानकारी एनटीपीसी के पीआरओ विजय जुवाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी.

प्रेस विज्ञप्ति जारी

जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि आंदोलन के कारण कोयले के ट्रांसपोर्ट का कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो गया है. खनन कार्य पिछले 2 सितंबर से बंद है और लगभग 5.5 लाख मीट्रिक टन कोयला इकट्ठा हो चुका है. कोयले को यदि जल्दी नहीं हटाया गया तो पूरे कोयले के भंडार में भीषण आग लग जाएगी क्योंकि इलाके में दिन में तापमान अभी भी 35 डिग्री के आसपास है.

उन्होंने कहा कि एक जिम्मेदार कंपनी होने के नाते एनटीपीसी ने खान से निकले कोयले को अलग-अलग आठ ढेरों में रखा है, जिससे किसी तरह की आकस्मिक दुर्घटना होने की स्थिति में अग्निशमन के कार्य में आसानी हो. कोयला जलने की स्थिति में राष्ट्र की इस प्राकृतिक संपदा का नुकसान तो हो ही रहा है. इसके साथ ही पर्यावरण को भी हानि हो रही है.

खनन और ट्रांसपोर्ट कार्य को पुन: शुरू किए जाने के लिए 18 सितंबर को एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री और एनटीपीसी के चेयरमैन के बीच वार्ता हुई थी. प्रशासनिक आदेशों के बावजूद भी कार्य आरंभ नहीं करने दिया जा रहा है और अड़चन बनी हुई है. विज्ञप्ति में आगे कहा कि कुछ स्थानीय निवासियों ने एनटीपीसी के अधिकारियों को काम नहीं करने दिया जा रहा है और उन्हें कार्यस्थल पर धमकाया जा रहा है.

कोयला ढुलाई न होने से केंद्र सरकार को 67.71 करोड़ रुपए और राज्य सरकार को 31.24 करोड़ रुपये के राजस्व की हानि हो रही है. इस परियोजना से रोजाना 40,000 मीट्रिक टन कोयला 9 रेक में भरकर एनटीपीसी की 21 परियोजनाओं को जाता है.

कोयला ढुलाई न हो पाने की स्थिति में एनटीपीसी को 91.20 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. रेलवे को भी प्रतिदिन की दर से 10 करोड़ की हानि हो रही है. आगे यह भी कहा गया है कि ट्रांसपोर्ट से जुड़े कई लोगों ने बैंकों से कर्ज लेकर अपने वाहन कोयला ढुलाई के काम में लगा रखे हैं. वे भी काम न होने की स्थिति में भुखमरी की कगार पर हैं और ऊपर से बैंक की किस्तें चुकाने की समस्या आ गई है.

ये भी पढ़े- कांग्रेस के धरोहर श्रृंखला की 15वीं वीडियो हुई जारी, रामेश्वर उरांव ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की साहस को किया याद

दूसरी ओर कर्मचारियों को काम नहीं, तो वेतन नहीं के आधार पर मजदूरी नहीं मिल पा रही है. प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से कोयला ढुलाई व्यापार से जुड़े लोगों और स्थानीय लोगों की कमाई पर भी व्यापक असर पड़ा है और हजारों परिवार प्रभावित हो रहे हैं.

एनटीपीसी पकरी बरवाडीह कोल माइंस के पोषक क्षेत्र में ग्रामीणों का विगत 1 महीने से आंदोलन जारी है, जिसके कारण एनटीपीसी की कोयला ट्रांसपोर्टिंग और खनन कार्य बंद है. खनन कर डंप किया गया कोयले के भंडारण में आग लगने का दवा एनटीपीसी ने किया है.

हजारीबाग: एनटीपीसी पकरी बरवाडीह कोयला खनन परियोजना में खनन कार्य बंद हो जाने के कारण डंप किए गए कोयले के भंडार में आग लग गई है. जगह-जगह धुआं उठ रहा है. अगर जल्द ही कोयले को नहीं उठाया गया तो आग भीषण हो जाएगी और इस पर काबू पाना लगभग असंभव हो जाएगा. इम सब की जानकारी एनटीपीसी के पीआरओ विजय जुवाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी.

प्रेस विज्ञप्ति जारी

जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि आंदोलन के कारण कोयले के ट्रांसपोर्ट का कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो गया है. खनन कार्य पिछले 2 सितंबर से बंद है और लगभग 5.5 लाख मीट्रिक टन कोयला इकट्ठा हो चुका है. कोयले को यदि जल्दी नहीं हटाया गया तो पूरे कोयले के भंडार में भीषण आग लग जाएगी क्योंकि इलाके में दिन में तापमान अभी भी 35 डिग्री के आसपास है.

उन्होंने कहा कि एक जिम्मेदार कंपनी होने के नाते एनटीपीसी ने खान से निकले कोयले को अलग-अलग आठ ढेरों में रखा है, जिससे किसी तरह की आकस्मिक दुर्घटना होने की स्थिति में अग्निशमन के कार्य में आसानी हो. कोयला जलने की स्थिति में राष्ट्र की इस प्राकृतिक संपदा का नुकसान तो हो ही रहा है. इसके साथ ही पर्यावरण को भी हानि हो रही है.

खनन और ट्रांसपोर्ट कार्य को पुन: शुरू किए जाने के लिए 18 सितंबर को एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री और एनटीपीसी के चेयरमैन के बीच वार्ता हुई थी. प्रशासनिक आदेशों के बावजूद भी कार्य आरंभ नहीं करने दिया जा रहा है और अड़चन बनी हुई है. विज्ञप्ति में आगे कहा कि कुछ स्थानीय निवासियों ने एनटीपीसी के अधिकारियों को काम नहीं करने दिया जा रहा है और उन्हें कार्यस्थल पर धमकाया जा रहा है.

कोयला ढुलाई न होने से केंद्र सरकार को 67.71 करोड़ रुपए और राज्य सरकार को 31.24 करोड़ रुपये के राजस्व की हानि हो रही है. इस परियोजना से रोजाना 40,000 मीट्रिक टन कोयला 9 रेक में भरकर एनटीपीसी की 21 परियोजनाओं को जाता है.

कोयला ढुलाई न हो पाने की स्थिति में एनटीपीसी को 91.20 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. रेलवे को भी प्रतिदिन की दर से 10 करोड़ की हानि हो रही है. आगे यह भी कहा गया है कि ट्रांसपोर्ट से जुड़े कई लोगों ने बैंकों से कर्ज लेकर अपने वाहन कोयला ढुलाई के काम में लगा रखे हैं. वे भी काम न होने की स्थिति में भुखमरी की कगार पर हैं और ऊपर से बैंक की किस्तें चुकाने की समस्या आ गई है.

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दूसरी ओर कर्मचारियों को काम नहीं, तो वेतन नहीं के आधार पर मजदूरी नहीं मिल पा रही है. प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से कोयला ढुलाई व्यापार से जुड़े लोगों और स्थानीय लोगों की कमाई पर भी व्यापक असर पड़ा है और हजारों परिवार प्रभावित हो रहे हैं.

एनटीपीसी पकरी बरवाडीह कोल माइंस के पोषक क्षेत्र में ग्रामीणों का विगत 1 महीने से आंदोलन जारी है, जिसके कारण एनटीपीसी की कोयला ट्रांसपोर्टिंग और खनन कार्य बंद है. खनन कर डंप किया गया कोयले के भंडारण में आग लगने का दवा एनटीपीसी ने किया है.

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