हजारीबागः कृषि क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार विभिन्न तरह की योजनाएं चला रही हैं. कई राज्य सरकारें किसानों और बेरोजगारों को इसके लिए अनुदान भी दे रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी किसानों को खेती में नई तकनीक अपनाने और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अपने भाषणों के जरिए प्रेरित करते रहे हैं. हजारीबाग में स्कूल की कुछ छात्राएं अपनी उच्च शिक्षा के लिए मशरूम की खेती कर रही हैं. इन लड़कियों का मानना है कि उन्हें अपनी पढ़ाई आगे बढ़ाने, कोचिंग जाने और प्रतियोगिता परीक्षा की फीस भरने के लिए मशरूम की खेती से मिले पैसे का इस्तेमाल कर रही हैं.
इसे भी पढ़ें- मैट्रिक पास महिला ने कंपनी बनाकर रचा इतिहास, देश में सबसे अधिक किया कारोबार, दिल्ली में मिला सम्मान
कई ऐसे लोग होते हैं, जो इस इंतजार में रहते हैं कि सरकार उनकी मदद के लिए पहल करेगी और उस मदद से वो अपना जीवन संवारेंगे. लेकिन उन लोगों को हजारीबाग के सुदूरवर्ती मरहंद गांव की ये छात्राएं सीख दे रही हैं कि आप अपने सपनों को साकार करने के लिए खुद से भी मेहनत करें. मरहंद हजारीबाग के पिछड़े गांव में से एक है. इस गांव की 8 स्कूल की छात्राओं ने किशोरी समूह बनाया जो मशरूम की खेती करती हैं.
मशरूम की खेती के लिए इन्हें HDFC Bank के द्वारा चलाया जा रहा परिवर्तन कार्यक्रम से जोड़ा गया है. इस कार्यक्रम के तहत इन्हें ट्रेनिंग दी गयी. प्रशिक्षण पाने के बाद छात्राओं ने मशरूम की खेती करना शुरू किया. आज वो उन्नत किस्म की ऑर्गेनिक मशरूम की खेती कर रही हैं और इससे आमदनी भी प्राप्त कर रही हैं.मशरूम की खेती करने के पीछे का कारण भी बेहद दिलचस्प है. छात्राएं चाहती हैं कि वह सरकारी नौकरी करें. सरकारी नौकरी करने के लिए उच्च शिक्षा की आवश्यकता होगी और उच्च शिक्षा पाने के लिए पैसे की दरकार होती है. ऐसे में माता-पिता पर वो बोझ ना बनें तो उन लोगों ने सोचा कि क्यों ना काम किया जाए और उसी पैसों से पढ़ाई की जाए. कई छात्राओं के पिता मजदूर हैं तो पैसे की भी कमी है. मां अनपढ़ है तो वह पढ़ा नहीं सकतीं. ऐसे में कोचिंग जाना और वहां से ज्ञान प्राप्त करना ही एकमात्र उपाय है. जिसके लिए पैसों की जरूरत है. जिसके लिए उन्होंने मशरूम की खेती को चुना.
अपने पढ़ने की ललक की वजह से इन छात्राओं ने कोचिंग का पैसा निकालने के लिए मशरूम की खेती में जुट गयीं. छात्राएं कहती हैं कि इस व्यवसाय में समय कम लगता है और सालभर इसकी मांग रहती है. पिछले साल उन्होंने लगभग 100 किलो मशरूम बेचा था, उन पैसों को छात्राओं ने अपनी पढ़ाई में खर्च किया. कुछ पैसा जमा करके रखा, उससे उनकी पूंजी बनी और इस साल भी वो मशरूम की खेती कर रही हैं.
इसे भी पढ़ें- 25 लाख की नौकरी छोड़, अनुराग आनंद ने Startup से स्टार्ट किया ऑर्गेनिक ऑयल बिजनेस
इनमें से कई ऐसी छात्राएं हैं, जो शिक्षक बनना चाहती हैं तो कोई पुलिस ऑफिसर. परिवर्तन कार्यक्रम इनके जीवन में परिवर्तन लाने की कोशिश कर रहा है. इस कार्यक्रम के संयोजक कहते हैं कि लगभग सुदूरवर्ती गांव की 200 छात्राओं को इस योजना से जोड़ा गया है. उद्देश्य यही रहता है कि वैसे छात्राओं को जोड़ा जाए जो भविष्य में पढ़ाई करना चाहती हैं. ताकि मशरूम बेचकर कमाया हुआ पैसा वो अपनी पढ़ाई में खर्च कर सके. ऐसे में यह किशोरी ग्रुप बेहद अच्छा काम कर रही हैं. सबसे अच्छी बात है कि इससे इनका शैक्षणिक स्तर भी बढ़ा है.