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मैं हूं पदमा किला, धूमिल हो रही हैं मेरी गौरवशाली यादें - Ramgarh Fort

हजारीबाग शहर से महज 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पदमा किला राजा राम नारायण सिंह के वंशजों का ऐतिहासिक किला है. जिसे देखने लोग दूर दूर से आते हैं. आज रजवाड़े में न तो पहले जैसी रौनक रही, न ही पहले जैसी ठाट. बाकी है तो सिर्फ यहां से जुड़ी यादें.

पदमा किला
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Published : Sep 27, 2019, 6:03 AM IST

हजारीबाग: झारखंड के हजारीबाग जिले को अपने गौरवशाली अतीत पर गुमान है. उन्हीं में से एक पदमा किला भी है. ये रामगढ़ के राजा का किला था, लेकिन अब देखभाल के अभाव में अपनी पहचान खोता जा रहा है.

देखिए स्पेशल स्टोरी


पदमा किला नहीं रही पहले जैसी रौनक
पदमा किला हजारीबाग शहर से महज 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. राजा राम नारायण सिंह के वंशजों का ऐतिहासिक किला. जिसे देखने लोग दूर दूर से आते हैं. आज रजवाड़े में न तो पहले जैसी रौनक रही, न ही पहले जैसी ठाट. बाकी है तो सिर्फ यहां से जुड़ी यादें. रजवाड़े की ठाट की धुंधली तस्वीर आज भी यहां देखरेख में लगे चौकीदार को याद है. अब किला में सन्नाटा है इसके अवशेष के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है.


1366 में रखी गई थी नींव
वर्तमान समय में इस वंशज के युवराज सौरव नारायण सिंह जो कभी-कभार इस मिलकियत को देखने आते हैं. कभी यहां इम्पोर्टेड गाड़ियों की कतार होती थी और हाथी दरवाजे पर आगंतुक का सवागत करते थे. रामगढ़ राज की नींव राजा रामगढ़ कामाख्या नारायण सिंह के पूर्वज बाघदेव और सिंह देव नाम के सगे भाइयों ने 1366 में रखी थी. बाद में रामगढ़ राज के लोग बड़कागांव, इचाक होते हुए पदमा में आकर बस गए.

ये भी पढे़ं: हजारीबाग कॉलेज हॉस्पिटल में लगी थी ड्यूटी, रांची में घूम रहे थे डॉक्टर साहब
जनता के काफी नजदीक थे राजपरिवार
राज परिवार के बारे में कहा जाता था ये जनता के काफी नजदीक थे. इस कारण राजतंत्र के बाद भी प्रजातंत्र में भी इस परिवार को जनता ने जनप्रतिनिधि बनाया और सदन तक भेजा. कामाख्या नारायण सिंह से रामगढ़ राज परिवार का राजनीतिक जीवन शुरू होता है. वे बिहार विधानसभा में चार बार विधायक रहे. दो बार बगोदर और दो बार हजारीबाग सदर का उन्होंने प्रतिनिधित्व किया. इससे पहले 1947 में वे हजारीबाग जिला परिषद के पहले निर्वाचित अध्यक्ष रहे और लगातार 12 वर्षों तक इस पद पर बने रहे.

ये भी पढे़ं: गोड्डा: मोबाइल चोर गिरोह का भंडाफोड़, पुलिस ने तीन अपराधियों को किया गिरफ्तार
हजारीबाग संसदीय क्षेत्र का उन्होंने चार बार 1962, 1967, 1977 और 1980 में प्रतिनिधित्व किया. इसी परिवार की विजया राजे प्रथम राज्यसभा की सदस्य रहीं. इसी परिवार की पूर्वज राजमाता शशांक मंजरी देवी ने बिहार विधानसभा में दो बार जरीडीह और डूमरी का प्रतिनिधित्व किया. इसके अलावा भी इस राज परिवार के कई लोग ने प्रजातंत्र में हिस्सा लिया.


पदमा किला का इतिहास

  • राजा शासन
  • बाघदेव सिंह 1403 तक
  • करेत सिंह 1449 तक
  • राम सिंह 1537 तक
  • माधव सिंह 1554 तक
  • जुगत सिंह 1604 तक

हजारीबाग: झारखंड के हजारीबाग जिले को अपने गौरवशाली अतीत पर गुमान है. उन्हीं में से एक पदमा किला भी है. ये रामगढ़ के राजा का किला था, लेकिन अब देखभाल के अभाव में अपनी पहचान खोता जा रहा है.

देखिए स्पेशल स्टोरी


पदमा किला नहीं रही पहले जैसी रौनक
पदमा किला हजारीबाग शहर से महज 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. राजा राम नारायण सिंह के वंशजों का ऐतिहासिक किला. जिसे देखने लोग दूर दूर से आते हैं. आज रजवाड़े में न तो पहले जैसी रौनक रही, न ही पहले जैसी ठाट. बाकी है तो सिर्फ यहां से जुड़ी यादें. रजवाड़े की ठाट की धुंधली तस्वीर आज भी यहां देखरेख में लगे चौकीदार को याद है. अब किला में सन्नाटा है इसके अवशेष के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है.


1366 में रखी गई थी नींव
वर्तमान समय में इस वंशज के युवराज सौरव नारायण सिंह जो कभी-कभार इस मिलकियत को देखने आते हैं. कभी यहां इम्पोर्टेड गाड़ियों की कतार होती थी और हाथी दरवाजे पर आगंतुक का सवागत करते थे. रामगढ़ राज की नींव राजा रामगढ़ कामाख्या नारायण सिंह के पूर्वज बाघदेव और सिंह देव नाम के सगे भाइयों ने 1366 में रखी थी. बाद में रामगढ़ राज के लोग बड़कागांव, इचाक होते हुए पदमा में आकर बस गए.

ये भी पढे़ं: हजारीबाग कॉलेज हॉस्पिटल में लगी थी ड्यूटी, रांची में घूम रहे थे डॉक्टर साहब
जनता के काफी नजदीक थे राजपरिवार
राज परिवार के बारे में कहा जाता था ये जनता के काफी नजदीक थे. इस कारण राजतंत्र के बाद भी प्रजातंत्र में भी इस परिवार को जनता ने जनप्रतिनिधि बनाया और सदन तक भेजा. कामाख्या नारायण सिंह से रामगढ़ राज परिवार का राजनीतिक जीवन शुरू होता है. वे बिहार विधानसभा में चार बार विधायक रहे. दो बार बगोदर और दो बार हजारीबाग सदर का उन्होंने प्रतिनिधित्व किया. इससे पहले 1947 में वे हजारीबाग जिला परिषद के पहले निर्वाचित अध्यक्ष रहे और लगातार 12 वर्षों तक इस पद पर बने रहे.

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हजारीबाग संसदीय क्षेत्र का उन्होंने चार बार 1962, 1967, 1977 और 1980 में प्रतिनिधित्व किया. इसी परिवार की विजया राजे प्रथम राज्यसभा की सदस्य रहीं. इसी परिवार की पूर्वज राजमाता शशांक मंजरी देवी ने बिहार विधानसभा में दो बार जरीडीह और डूमरी का प्रतिनिधित्व किया. इसके अलावा भी इस राज परिवार के कई लोग ने प्रजातंत्र में हिस्सा लिया.


पदमा किला का इतिहास

  • राजा शासन
  • बाघदेव सिंह 1403 तक
  • करेत सिंह 1449 तक
  • राम सिंह 1537 तक
  • माधव सिंह 1554 तक
  • जुगत सिंह 1604 तक
Intro:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिन को लेकर भाजपा कई तरह की कार्यक्रम का आयोजन कर रही है ।भाजपा इस सप्ताह को सेवा सप्ताह के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इसी कड़ी में हजारीबाग के विधायक और भाजपा समर्थकों ने मरीजों के बीच फल बांटकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन मनाया।


Body:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के उपलक्ष में भाजपा इस सप्ताह को सेवा सप्ताह के रूप में संपूर्ण देश में मना रही है। इसी कड़ी में मंगलवार को हजारीबाग में सदर विधायक मनीष जायसवाल और भाजपा के कार्यकर्ता सदर अस्पताल के विभिन्न वार्डों में गरीब मरीजों को फल वितरित किया इस मौके पर पार्टी के भी कई वरिष्ठ नेता उपस्थित रहे।

मौके पर सदर विधायक मनीष जयसवाल ने कहा कि वर्तमान समय में नरेंद्र मोदी के इच्छाशक्ति और नेतृत्व की बदौलत भारत एक मजबूत विश्व स्तरीय राष्ट्र के रूप में अग्रसर हो रहा है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता भी समृद्ध और विकसित हो रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेवा भाव से राजनीति कर रहे हैं ठीक उसी तरह हम 1 सप्ताह तक समाज के विभिन्न तबकों के बीच में जाकर सेवा करेंगे। ताकि राष्ट्र निर्माण में हमारा भी योगदान रहे। उन्होंने यह भी कहा कि आगामी सप्ताह मे विभिन्न तरह की कार्य योजना बनाई गई है। जिसमें कई गांव के सड़क का निर्माण कराया जाएगा तो दूसरी ओर बस्तियों में जाकर कपड़ा भी वितरित किया जाएगा।

byte..... मनीष जायसवाल विधायक हजारीबाग


Conclusion:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर जिस तरह से अस्पताल मैं फलों का वितरण किया गया इससे मरीजों को तो लाभ हुआ ही तो दूसरी ओर भाजपा ने अपनी मौजूदगी भी समाज सेवा में दिखाई है
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